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Uttaranchal / उत्तराखंड के अधिकारियों व कार्मिकों को देना होगा संपत्ति का पूरा लेखा-जेखा, वरना प्रमोशन में होगी दिक्कत - CHIEF SECRETARY ORDER

clean-udaipur उत्तराखंड के अधिकारियों व कार्मिकों को देना होगा संपत्ति का पूरा लेखा-जेखा, वरना प्रमोशन में होगी दिक्कत - CHIEF SECRETARY ORDER
Dinesh Bhatt May 17, 2025 06:57 PM IST

उत्तराखंड में अधिकारियों की संपत्तियों को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते रहे हैं. ऐसे में इस बार खुद मुख्य सचिव ने अधिकारियों को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का विवरण समय पर देने के निर्देश दिए हैं. हालांकि अधिकारियों के लिए यह पहले से ही लागू है. इसके बावजूद भी कुछ अधिकारी संपत्ति का समय पर विवरण नहीं दे रहे है. इसीलिए मुख्य सचिव को अब अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी संपत्ति को ब्यौरा देने के निर्देश दिए है.

उत्तराखंड में ऐसे तमाम अधिकारी है, जिनकी संपत्ति को लेकर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहे हैं. यही नहीं कई अधिकारियों की संपत्ति की जांच भी पूर्व में करवाई गई है. फिर कुछ अधिकारी अपनी संपत्ति की जानकारी देने को तैयार नहीं होते है. हालांकि राज्य में पहले से ही नियम है कि कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा. फिर भी कुछ अधिकारी और कर्मचारी इस पर अमल नहीं कर रहे है और शासन को अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहे है. हालांकि अब मुख्य सचिव के आदेश के बाद सभी को अपनी संपत्ति की पूरा जानकारी देनी होगी.

दरअसल, राज्य में अधिकारियों को अपनी वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि भरने के दौरान ही संपत्ति का विवरण भी देना होगा. वैसे तो ये व्यवस्था पूर्व से ही लागू है और अधिकारियों के साथ कर्मचारियों को भी अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर साल देना ही होता है, लेकिन कई अधिकारियों द्वारा समय पर विवरण नहीं देने के कारण मुख्य सचिव आनंद वर्धन को इस मामले पर दिशा निर्देश जारी करने पड़े हैं.

इस बार शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और साफ किया है कि यदि किसी अधिकारी ने अपनी संपत्ति को ब्यौरा नहीं दिया तो उसके प्रमोशन में रुकावट भी आ सकती है. वैसे राज्य में कर्मचारी और अधिकारियों को वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि 30 जून तक भरनी होती है. इसका बाकायदा एक प्रारूप है. उसी आधार पर ही कर्मचारियों को विवरण देना होता है.

दरअसल, IAS, PCS या दूसरे ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों को भी संपत्ति खरीदने से पहले इसकी जानकारी शासन को देनी होती है. हालांकि अब तक वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि को समय पर भरने को लेकर ही पूरा फोकस रहता था, लेकिन अब इसके अलावा इस प्रविष्टि को भरने के साथ ही संपत्ति की भी विस्तृत रूप से जानकारी देना जरूरी होगा. इसमें खासतौर पर राज्य सेवा के अधिकारी संपति का ब्यौरा देने में लापरवाही करते दिखते हैं, जिन्हें अब नए आदेशों के बाद समय पर ही ACR भरने के साथ संपत्ति का पूरा रिकॉर्ड भी उपलब्ध कराना होगा.

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