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Udaipur / फतहसागर के मोती मगरी में कैफेटेरिया और पार्किंग निर्माण में स्थानीय प्रशासन की मौन मूक स्वीकृति क्यों ? -अरुण टांक

arth-skin-and-fitness फतहसागर के मोती मगरी में कैफेटेरिया और पार्किंग निर्माण में स्थानीय प्रशासन की मौन मूक स्वीकृति क्यों ? -अरुण टांक
दिनेश भट्ट September 08, 2022 07:17 PM IST

उदयपुर, 08 सितंबर 2022 : उदयपुर की झीलों के आसपास तथाकथित तौर निर्माण कार्य जारी है और झीलों के निर्माण निषेध क्षेत्र में मोती मगरी के गेट के पास वर्तमान में रेस्टोरेंट निर्माण की चर्चाएं आम है। ऐसे में उदयपुर शहर के काँग्रेस संगठन  महामंत्री, उदयपुर नगर निगम महापौर प्रत्याशी कांग्रेस और अधिवक्ता अरुण टांक ने प्रखर होते हुए झीलों के आसपास रसूखदारों द्वारा अवैध निर्माण पर पत्र लिखा है।

पत्र में क्या कहा अरुण टांक ने -

आज सभी समाचार पत्रों में सोशल मीडिया में देवाली छोर से प्रदूषण मुक्त फतहसागर पाल को करने हेतु वाहन नहीं चलेंगे,बड़े बड़े अक्षरों में खबर छपी है, जो शहर के लिए बहुत अच्छी हैं कि हम हमारा कुछ क्षेत्र ऐसा रखें जो स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त हो। जहां शहर की आवाम प्रातः और साय नित्य स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए फतह सागर किनारे टहलता एवं योगा करता है, नित्य उदयपुर शहर के युवा यहां पर आकर मनोरंजन करते हैं। स्वस्थ ऑक्सीजन का लाभ लेते हैं। देश-विदेश के पर्यटक भी फतहसागर के किनारे बैठकर दृश्यों से अभिभूत होकर दोबारा उदयपुर में आने के लिए अपने स्तर पर देश विदेश तक प्रचार करते हैं,जिससे पर्यटक आगमन से उदयपुर के मध्यमवर्गीय व्यवसाय चलते व बढ़ते हैं। साथ ही होटल व्यवसाय में निरंतर प्रगति होती है,जिससे कई लोगों को रोजगार मिल रहा है।

 

लेकिन मात्र उदयपुर कलेक्टर महोदय एवं एसपी महोदय उदयपुर के हित में तुगलकी फरमान, भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था में जारी नहीं कर सकते है। प्रशासन को चाहिए कि वह क्षेत्रीय पार्षद ,व्यापार मंडल ,क्षेत्र के मौतबीरों व उदयपुर शहर के ऐसे सभी झील प्रेमियों और प्रदूषण मुक्त भारत देखने वाले हमारे वॉरियर्स शहर के विधायक एवं प्रत्याशी अन्य संगठन के मौतबरों को बुलाकर एक छोटी सी मंत्रणा कर लेनी आवश्यक थी। जिससे जगदीश चौक की तर्ज पर हम उदयपुर के सभ्य नागरिक झील प्रेमी पर्यावरण प्रेमी और उदयपुर के सौंदर्य को सदैव हरा भरा देखने वाले वरिष्ठ लोग सहयोग के साथ-साथ उदयपुर के हित की 2-4 और बातें करते।

लेकिन शायद कलेक्टर महोदय एवं एसपी महोदय भारत में लोकतंत्रात्मक व्यवस्थाओं से हटकर कार्य करना चाहते हैं या फिर वे पूर्वोत्तर  ऐसा कार्य करते आ रहे हैं। मेरी बात इस कार्य के विरुद्ध नहीं है लेकिन लोकतंत्र में सभी के समक्ष एक कुटुंब समझ कर बात को रख कर,उसे कार्य योजना बनाकर नियोजित करना होता है, क्योंकि यहां के नागरिक जो उदयपुर मेवाड़ में पीढ़ियों से रह रहे हैं, वह उदयपुर को शायद अपने अनुभव के आधार पर अधिकारियों से बेहतर समझते हैं । ऐसे में मात्र फरमान जारी कर कर कानून थोपना जायज नहीं है। मैसेज ऐसा जाना चाहिए कि सभी को साथ लेकर वार्तालाप कर कर लोकतंत्र के अहम जनसेवक विधायक ,सांसद, विभिन्न संगठन के प्रत्याशी व प्रमुख और क्षेत्रीय चुने हुए पार्षद, साथ में झील प्राधिकरण और झील प्रेमियों के साथ वार्तालाप कर कर उदयपुर के हित में आदेश पारित किया है।

इसमें संदेह है नहीं है कि सभी इसी पक्ष में है जैसा कि पूर्व नगर निगम बोर्ड में पारित हो चुका है। फतहसागर को शिक्षा भवन से देवाली से पाल की और तक पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त करना है। हम सभी आपसे अनुरोध करते हैं कि शहर के नैसर्गिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए आने वाले समय में फतहसागर के दोनों छोर पर गाड़ियों की आवाजाही रोक कर मात्र इलेक्ट्रिक लो फ्लोर ई व्हीकल, उदयपुर नगर विकास प्रन्यास एवं नगर निगम उदयपुर के माध्यम से प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ मात्र ₹5 या ₹10 में बाकी अनुदान स्वयं विभाग वहन करते हुए बोर्ड की मीटिंग में तय अनुसार आवागमन साधन के रूप में चलन होना आवश्यक है। जिसे हमारे बुजुर्ग और पर्यटक इस नैसर्गिक वातावरण का आनंद उठा सकें और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें । 

मोती मगरी का एरिया भी फतहसागर का ही छौर है। वहां पर भी उदयपुर का नागरिक एवं पर्यटक सड़क पर दुपहिया व चार पहिया डीजल अथवा पेट्रोल वाहन के माध्यम से प्रदूषण फैलाते हुए मोती मगरी आता है, जो यदि शिक्षा भवन क्षेत्र में पार्किंग स्थल से ई व्हीकल से फतहसागर आना चाहिए, लेकिन माननीय कलेक्टर महोदय एवं नगर निगम आयुक्त महोदय साथ में पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा मोती मगरी हमारे आस्था का प्रतीक प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के अमूल्य स्मरणीय पुराणिक विरासत क्षेत्र व दुर्लभ वनस्पति सगन वृक्षों से लदी हुई पहाड़ियां और वन क्षेत्र को विनाश कर लगातार बड़ी बड़ी जेसीबी मशीन लगाकर पहाड़िया और विरासत काल के उन स्मृति चिन्हों को धूमिल करते हुए रिंग रोड, कैफिटेरिया, खाने-पीने के किओस्क, कई अन्य निर्माण एवं एक बड़ी 25 बीघा में पार्किंग का निर्माण का आदेश कैसे दे दिया गया जबकि वहां पर सघन वन क्षेत्र था क्या यह सही था ? आप एक ओर फतहसागर को प्रदूषण मुक्त रखना चाहते हैं। हम तो यह कहना चाहते हैं कि हमारी दुर्लभ प्रातः स्मरणीय महाराणा की यादगार पलों की विरासत मोती मगरी के आगोश में आज भी जिंदा है । देश का पर्यटक मेवाड़ का नागरिक और बुद्धिजीवी के साथ प्रत्येक मेवाड़ का बाशिंदा कभी मोती मगरी के स्वरूप को परिवर्तन करने की इजाजत नहीं देगा । हमारी विरासत ,विरासत काल जैसी रहनी चाहिए । प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के स्मरण चिन्ह मोती मगरी में आज भी मौजूद है और यह मोती मगरी ,सर्किट हाउस की मगरी, लक्ष्मी विलास की मंगरी सभी फतेहसागर के मनोरम दृश्य को और ज्यादा खूबसूरत बनाते हैं और शहर को ऑक्सीजन देने के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा कर पर्यटक आकर्षित करते हैं । लेकिन मात्र आर्थिक रूप से सोचते हुए धन संचय की नीति रखते हुए मोती मगरी के स्वरूप को विकास के नाम से परिवर्तित किया जा रहा है जिसे मेवाड़ का बाशिंदा कतई मंजूर नहीं करेगा ।इस पर प्रशासन मौनमूक है, जिसमें कैफिटेरिया ,पार्किंग इत्यादि का निर्माण लगातार रिंग रोड के साथ किया जा रहा है। जिसमें कई पौराणिक चिन्हों को ध्वस्त कर दिया गया होगा साथ ही दुर्लभ औषधि युक्त वनस्पति वृक्ष धराशाई कर दिए गए हैं जिसमे फतहसागर मैं सदैव की भांति अन्यत्र देशों से  दुर्लभ पक्षी आते हैं और वहां आसपास मोती मगरी के वन्य क्षेत्र में विचरण करते अपने बच्चों को जन्म देते हैं। कई दुर्लभ तोते-मैना, सांप, अजगर,लोमड़ी इत्यादि के साथ उड़ने वाली गिलहरी जैसे दुर्लभ पशु-पक्षी, चिड़ियाए मोती मगरी के वन क्षेत्र में अपना निवास बनाए हुए है। उनके घरौंदों को उजाड़ दिया जा रहा है।यह कैसा विकास है, जो पर्यावरण को दूषित करने के लिए हम कर रहे हैं या करने की इजाजत दे रहे हैं। आम व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता है,लेकिन कलेक्टर महोदय की सैर पर सब कुछ हो सकता है हमारे खूबसूरत झीलों के आसपास के आवरण का भौतिक विकास के नाम पर अंत कर दिया गया है।इसके जिम्मेदार और कोई नहीं हमारा प्रशासन है,जो एक और प्रदूषण की बात करता है और दूसरी और नियमों को ताक में रखकर हमारी विरासतों को छेड़छाड़ करने की अनुमति प्रदान करता है। इन सभी पर मेवाड़ का प्रत्येक नागरिक प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करता है।हमारे इस विशेष प्रश्न पर प्रशासन को जवाब तो देने ही हैं लेकिन ऐसा करने में इनकी सहमति क्यों यह मुख्य प्रश्न है ?

अतः हम सभी जिम्मेदार अधिकारी महोदय को अनुरोध करना चाहते हैं कि लोकतंत्र में जनसेवक और जनता दोनों के सहयोग से जनहित के लिए किए जाने वाले कार्य प्रशासन की मध्यस्थता में संयुक्त रुप से होता है तो वह कार्य अति सफल होता है और सभी को मान्य भी रहता है। उदयपुर का प्रत्येक बाशिंदा उदयपुर मेवाड़ की सभी पहाड़िया एवं झीलों को सुरक्षित और स्वच्छ रखने के साथ प्रदूषण मुक्त देखना चाहता है।

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