उदयपुर,01 अक्टूबर 2022: स्वच्छ सर्वेक्षण भारत के शहरों और महानगरों के बीच स्वच्छ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक साबित होता गया है।इस सर्वेक्षण का मकसद स्वच्छ शहरों का निर्माण और सफाई के प्रति नागरिकों के व्यवहार और सोच में परिवर्तन लाना है। हर साल सर्वेक्षण में कुछ नए क्राइटेरिया को शामिल करते हुए प्रतिस्पर्धा होती है। इससे पहले बीते दिनों स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के नियम भी जारी किए गए थे।
इसके साथ ही शनिवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 (swachh Survekshan 2022) का रिजल्ट जारी हो गया है। जिसमें उदयपुर शहर ने 1 लाख से 10 लाख जनसंख्या की कैटेगरी वाले शहरों में देश में 122 वा स्थान हासिल किया है। इससे पहले 2021 में उदयपुर शहर ने 1 लाख से 10 लाख जनसंख्या की कैटेगरी वाले शहरों में देश में 95वें नंबर पर था,तो वही 2020 में उदयपुर की रैंकिंग 54वें नंबर पर थी। इसके साथ ही इस साल उदयपुर की राज्य में स्वच्छता रैंकिंग दूसरे नंबर पर रही है।
आंकड़ों और रैंकिंग के हिसाब से पिछले तीन सालों से उदयपुर की रैंकिंग लगातार गिरती जा रही है। हालांकि उदयपुर शहर की सफाई में पहले की अपेक्षा ज्यादा साफ सुथरी व्यवस्था देखने में आ रही है। लेकिन फिर भी शहर की रैंकिंग लगातार गिरती जा रही है। इसके साथ ही राज्यवार रैंकिंग में राजस्थान भारत में 8 नंबर पर आया है।
वहीं जयपुर हेरिटेज निगम ने राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही डूंगरपुर की 25000 से 50000 जनसंख्या की कैटेगरी में भारत मे 16वी रैंक आयी है।
किन कैटेगरी में उदयपुर ने हासिल किए अच्छे अंक
- डोर टू डोर कचरा संग्रहन और पृथक्करण में -90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- शहरी सुंदरता में-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- बाजारों की साफ सफाई-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- आवासीय इलाकों की साफ-सफाई-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- नालियों की साफ सफाई-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- जलस्रोतों के आसपास सफाई-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- आवासीय इलाकों में प्रतिदिन साफ सफाई--90 प्रतिशत या इससे ऊपर
- खुले कचरा पात्र की अनुपलब्धता-90 प्रतिशत या इससे ऊपर
किस कैटेगरी में फिसड्डी रहा है उदयपुर
- सड़कों की साफ-सफाई-50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत
- पब्लिक टॉयलेट की सफाई-50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत
- नागरिक शिकायत सिस्टम-50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत
क्या संभावित कारण है उदयपुर की रैंकिंग गिरने के
- चूंकि उदयपुर शहर से नॉन गार्बेज सिटी का तमगे के लिए कचरा पात्र हटा दिए गए है और कचरा संग्रहण वाहन दिन में एक बार ही घरों तक जा रहे है। इस कारण कई नागरिकों को कचरा सड़कों और खाली प्लाट में डालना पड़ता है। जिससे कचरा सड़कों पर आ जाता है। यहीं कारण है कि सड़कों की साफ सफाई में उदयपुर को स्वच्छता रैंकिंग में कम अंक मिले है।
- SBM में जनता की शिकायतों के त्वरित निदान के लिए अलग से अंक निर्धारित होते है। इसके साथ ही स्वच्छता ऐप्प या स्थानीय निकाय की ऐप्प के सफलतापूर्वक संचालन के लिए भी अतिरिक्त अंक मिलते है। साथ ही फील्ड इंस्पेक्शन में भी जनता से स्थानीय निकाय के शिकायत निवारण संबंधी प्रश्न भी पूछे जाते है कि क्या स्थानीय निकाय ऐप्प के माध्यम से समयबद्व तरीके से शिकायतों का निवारण कर रहा है अथवा नहीं? हालांकि उदयपुर शहर में जनता की शिकायतों के निदान के लिए एक मोबाइल एप्प 'उदयपुर नगर निगम' नाम से लांच की गई थी। लेकिन ऐप्प के माध्यम में लगभग 75 % समस्याओं का ही निदान किया गया। इसके साथ ही समस्याओं का निदान कई बार समयबद्ध न होकर देरी से हो रहा है। साथ ही उदयपुर नगर निगम ने अपनी इस मोबाइल एप्प का प्रचार-प्रसार भी नहीं किया । उदयपुर की जनता की शिकायतों का निवारण समयबद्ध तरीके से नहीं हुआ और उदयपुर को कम अंक हासिल हुए।
- SBM वेबसाइट पोर्टल पर जो शहर उच्च कुशलता से डेटा अपलोड कर रहे है , उन शहरों की रैंकिंग टॉप नंबर पर आ रही है। ऐसे में एक संभावित कारण हो सकता है कि SBM पोर्टल पर डेटा अपडेट करने में उदयपुर पिछड़ रहा हो।
- सिटीजन वॉइस कैटेगिरी ही रैंकिंग का आधार तय करती है। इस केटेगरी में उदयपुर को इस साल 2250 में केवल 1497 अंक हासिल किए है।
- ODF और GFC सर्टिफिकेशन में उदयपुर को 1250 में से केवल 600 अंक ही मिले है। इसका मतलब 'गार्बेज फ्री सिटी' कैटेगिरी और 'ओपन डेफक्शन फ्री' सर्टिफिकेट कैटेगरी में नंबर आधे से भी कम मिले है। कचरा पात्र हटाने के बावजूद इसके नंबर आधे ही मिल रहे है और जनता को भी भुगतना पड़ रहा है।