बांधों से पानी लाने पर उदयपुर की झीलें भरी,लेकिन पक्षियों के घोसलें और अंडे हुए नष्ट,क्या पक्षियों के प्रजनन काल को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए ?
राजस्थान का उदयपुर शहर अपनी झीलों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। यहां की सबसे खूबसूरत पिछोला झील है, जो शहर के करीब डेढ़ लाख लोगों की प्यास बुझती है। लोगों को गर्मी में पानी की समस्या से ना जूझना पड़े, इसके लिए झील को ऊपरी इलाको के बांधो से पानी लाकर भरा जाता है। आकोदड़ा बांध और अलसीगढ़ बांध से पानी यहाँ की झीलों में लाया जाता है।
लेकिन अब इन बांधो से उदयपुर की पेयजल झीलों के भरने के टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि मार्च महीने में होटल वालों की ज़िद के कारण पानी छोड़ा जाता है, जबकि इसके लिए यह उपयुक्त समय नहीं है। इस समय कई पक्षी झीलों के किनारे अपने घोसलें बनाकर प्रजनन कर रहे हैं। झीलों में एकाएक पानी बढ़ने से उनके घोसले नष्ट हो जाते हैं और अंडे खराब हो जाते हैं।
फतहसागर और पिछोला झीलों में पानी छोड़ने से ब्लैक विंग स्टिल्ट पक्षी (Black Winged Stilt)और रेड वॉटलेड लैपकिंग (Red Wattled lapwing) पक्षियों के घोंसले नष्ट हो गए और उनके अंडे पानी में बह गए।
वर्तमान समय में सिर्फ एक ही पहलू को ध्यान में रखा जाता है, कि झीलों को लबालब रखे ताकि पर्यटक आकर्षित हो सके। साथ ही साथ झीलों की सफाई भी इसी समय पर की जा रही है,जिससे बहुत सारे पानी के किनारों पर बने पक्षियों के घोंसले भी नष्ट हो रहे है।
क्या इन पक्षियों के प्रजनन काल को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए ?