उदयपुर, 9 दिसंबर, समस्त झीलें, तालाब वेटलैंड ही है। वेटलैंडस को बचाने के लिए जन जन को जुटना होगा। वेटलैंड के महत्व व उपयोगिता पर व्यापक जन जागृति की जरूरत है।
यह विचार बुधवार को "वेडनस्डे फॉर वॉटर" श्रृंखला के तहत आयोजित वेटलैंडस वेबिनार के द्वितीय भाग मे रखे गए । मुख्य वक्ता वेटलैंडस इंटरनेशनल साउथ एशिया के निदेशक डॉ रितेश कुमार व विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य, झील संरक्षण समिति के विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता थे।
आयोजन एनवायर मेंटल डीजाईन कंसल्टेंट अहमदाबाद,टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस, हैदराबाद,टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज नई दिल्ली , फ्लेक्सजेन बंगलुरू एवं डब्लू सी सी आई - वॉटर रीसॉर्स कौंसिल के तत्वावधान मे हुआ।
संयोजक डॉ मानसी बाल भार्गव ने बताया कि वेटलैंड श्रृंखला वेटलैंडस एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर के पहले भाग मे पद्मश्री बालचंद्र दत्तात्रेय मोन्धे का उद्बोधन हुआ।
श्रृंखला के दूसरे भाग मे बुधवार को बोलते हुए डॉ रितेश ने वेटलैंड परिभाषा से लेकर वेटलैंडस के प्रबंधन पर विस्तार से विचार रखे। रितेश पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के भी सलाहकार है। रितेश ने कहा कि वेटलैंडस पारिस्थितिकी पर आसान भाषा मे शिक्षण जरूरी है एवं समाज को वेटलैंड प्रबंधन मे जोड़ना होगा।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स सहित देश की कई महत्वपूर्ण वेटलैंडस को वेटलैंड नोटिफिकेशन के तहत सम्मिलित करना जरूरी है। मेहता ने कहा कि उदयपुर वेटलैंडस रामसर वेटलैंड घोषित होनी चाहिए। लेकिन, वेटलैंडस गाइडलाइंस की गलत व्याख्या कर उदयपुर को इससे वंचित किया जा रहा है। मेहता ने आशंका जताई कि पूरे देश मे भी इसी तरह कई वेटलैंडस नोटिफाई होने से वंचित कर दी गई हो।
कार्यक्रम मे सीएसइ नई दिल्ली के निदेशक डॉ सुरेश रोहिला, आई आई टी दिल्ली के डॉ एस एस रावत, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस, हैदराबाद के डॉ विभू नायक , एम डी आई गुड़गांव के विशाल नारायण सहित देश विदेश के विशेषज्ञों ने विचार रखे।
संचालन सेप्ट विश्वविद्यालय अहमदाबाद की वैष्णवी अकिला ने किया। धन्यवाद टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज नई दिल्ली की डॉ फाजिया तरन्नुम ने दिया।
वर्ल्ड वेटलैंड दिवस पर हमने झील मदार, बड़ी से लेकर उदयसागर तक के झील तंत्र को रामसर वेटलैंड घोषित करने की मांग दोहराई थी। राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह इस पर प्रस्ताव केंद्र को भेजे।
केंद्र सरकार देश की अधिकतम वेटलैंड को रामसर वेटलैंड के रूप मे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलवाने की प्रक्रिया मे है। इसके लिए प्रस्ताव मांगे गए ,लेकिन दुर्भाग्यवश राजस्थान से कोई प्रस्ताव नही गया है।
भूमाफियों के दबाव मे यह नही हो पा रहा है ।
उदयपुर से राज्य सरकार को भेजे प्रस्तावों मे उदयपुर की झीलों को केवल पेयजल स्रोत के रूप मे निर्मित होना बताया गया, जिससे वे महत्व की वेटलैंड के रूप मे मान्यता प्राप्त नही कर पा रही है।
वेटलैंड गाइडलाइन के अनुसार वे वेटलैंड जो केवल पेयजल स्रोत के रूप मे डिजाइन व निर्मित हुई है उन्हे वेटलैंड के रूप मे नोटिफाई नही किया जा सकता। अफसरों ने उदयपुर की झीलों को इस श्रेणी मे डाल दिया। जबकि, उदयपुर की झीलों का निर्माण पेयजल स्रोत के रूप मे नही हुआ था। साठ के दशक से ही इनका उपयोग पेयजल स्रोत के रूप मे होने लगा है। ये केवल पेयजल के टैंक नही वरन समग्र पर्यावरण तंत्र है।