उदयपुर :कोडियात नदी में है अतिक्रमण: प्रदूषण,वाहन आवाजाही से नदी का पारिस्थितिकी तंत्र व नागरिक स्वास्थ्य खतरे में
उदयपुर, 12 मई : उदयपुर की झीलों में पानी लाने वाली कोडीयात नदी अतिक्रमण , प्रदूषण व अत्याचार से पीड़ित है। नदी को नहर बना दिया गया है तथा नदी पेटे में सड़क, रास्ते बना दिए गए है। जबकि इसी नदी में देवास टनल से स्वच्छ जल डाला जाता है जो झीलों में पंहुचता है।
नदी में गंदगी विसर्जन की सूचना पर रविवार को कोडियात अमरजोक नदी पंहुचे झील प्रेमियों ने देखा कि नदी के जल फैलाव क्षेत्र ( फ्लड प्लेन) में जगह जगह व्यावसायिक निर्माण है। नदी में ही उनके प्रवेश द्वार बने हुए है। नदी पेटे में रास्ते है। सड़क बना दी गई है। कचरा व गंदगी का विसर्जन है।नदी पेटे का पार्किंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
नदी अवलोकन पश्चात हुए संवाद मे झील प्रेमियों ने नदी की दुर्दशा को नदी पर्यावरण व पारिस्थितिकी तंत्र तथा नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए घातक बताया। नदी पेटे, नदी तंत्र की तो हत्या हो ही रही है, पर्यटकों द्वारा इस्तेमाल प्लास्टिक, पॉलिथिन,कॉस्मेटिक केमिकल , वाहन टायरों के पॉलीमर कणों, होटलों के दूषित जल इत्यादि से नदी में प्रवाहित पेयजल जहरीला बनेगा जो अनेकों महामारियों को जन्म देगा।
झील प्रेमियों ने राज्य सरकार व जिला कलेक्टर से आग्रह किया कि वे इसे आपदा कारक स्थिति मानते हुए तुरंत एक्शन लें। नदी की मूल सीमा व इसके फ्लड प्लेन का मौके पर सीमांकन करवाए तथा उनमें हुए निर्माणों को हटवाएं।
संवाद में डा अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, कुशल रावल, पल्लब दत्ता, इस्माइल अली इत्यादि उपस्थित थे।