उदयपुर स्मार्ट सिटी- कहीं नासूर न बन जाए यह दर्द !
खाना खाते समय अचानक से निवाले में कंकर आ जाता है, ठीक वैसा ही अहसास इन दिनों उदयपुर शहर के लोगों को लगातार हो रहा है। यह अहसास उन्हें स्मार्ट सिटी की सड़कें दे रही हैं। ये निवाले में कंकर सड़कों पर हो रहे गड्ढे तो हैं ही, इससे भी ज्यादा एक ऐसी तकनीकी खामी भी है जिसके लिए यह चिंता बन पड़ी है कि वह समस्या नासूर न बन जाए।
हम यहां बात कर रहे हैं उदयपुर के अतिव्यस्त रहने वाले मार्ग की जहां सड़क के बीचोंबीच एक ऐसी खामी छोड़ दी गई है जो कभी भी किसी के लिए खतरा साबित हो सकती है। यह खतरा सड़क के बीचों बीच सड़क के लेवल से ऊपर आ रही पेयजल पाइप लाइन की चाबी से है जो सड़क से करीब 2 इंच से अधिक बाहर निकली हुई है। ऐसा नहीं है कि इससे बचाव के लिए स्मार्ट सिटी के तकनीकी अधिकारियों ने कोई प्रयास नहीं किया, इस चाबी पर पाइप लगाकर चारों ओर सीमेंटीकरण कर छोटी सी गुमटी बना दी गई जिससे कोई वाहन सीधे इस चाबी पर चढ़कर दुर्घटनाग्रस्त न हो जाए, लेकिन यह जुगाड़ ज्यादा दिन नहीं चला। इस अतिव्यस्त मार्ग पर आते-जाते वाहनों का दबाव जुगाड़ नहीं झेल पाया और अब फिर से यह चाबी सड़क के बीचोंबीच एक मोटी कील की तरह हादसे को न्यौता देती नजर आ रही है।
ठीक ऐसी ही चाबी उदयपुर के श्रीनाथजी मंदिर मार्ग पर भी सड़क के बीचोंबीच है। इस पर भी ऐसा ही जुगाड़ किया गया है। इस पर भी पाइप गाड़कर चारों ओर सीमेंटीकरण कर गुमटी बना दी गई, फिलहाल यहां वाहनों का दबाव ज्यादा नहीं होने से यह चाबी कील की तरह सड़क पर उभरी हुई नहीं है। लेकिन, घंटाघर मार्ग का हाल देखते हुए यह जुगाड़ भी कितने दिन चलेगा, कहा नहीं जा सकता।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि जब उन्होंने स्मार्ट सिटी के तकनीकी कार्मिकों से इसकी चर्चा की तब यह बताया गया कि यहां पर चाबी की ऊंचाई के बराबर सड़क पर बैरियर बना दिया जाएगा। बैरियर बनाने से चाबी का सड़क से बाहर निकला होना अलग से नजर नहीं आएगा और इससे किसी को स्मार्ट सड़क त्रुटिपूर्ण भी नहीं लगेगी। लेकिन, इसमें भी एक पेंच यह फंसा है कि जहां यह चाबियां हैं वहां चैम्बर के ढक्कन हैं, लिहाजा यदि इस पर बैरियर बनाया जाएगा तो चैम्बर के ढक्कन खोलने में परेशानी आ सकती है।
भगवान न करे सड़क के बीचोंबीच की यह ‘मोटी कील’ अंधेरे में किसी को हादसे का शिकार बना दे। लोग यह कहने लगे हैं कि हादसे रोकने के लिए शहर में हेलमेट अनिवार्य किया जा रहा है, लेकिन जो तकनीकी खामी हादसे को सामने से न्यौता देती नजर आ रही है, उसके समाधान का क्या? यहां से रोजाना गुजरने वालों को तो इस समस्या का पता है और वे इससे बचकर चल रहे हैं, लेकिन दूरदराज से कोई वाहन चालक इधर आए तो वह इस सड़क पर उभरी ‘मोटी कील’ को देखकर अचानक हड़बड़ा सा जाता है, इससे उसके असंतुलित होकर गिरने की आशंका रहती है।
इस समस्या के बारे में स्मार्ट सिटी के तकनीकी कार्मिकों को पूरी जानकारी है, लेकिन शायद स्थायी समाधान को लेकर संशय बना हुआ है, क्योंकि इस स्थिति को आठ माह से अधिक हो गए हैं। लोगों का कहना है कि पेयजल आपूर्ति के लिए वॉल्व भी जरूरी है, ऐसे में इस समस्या का समाधान होगा, या यह समस्या नासूर बनकर स्थायी परेशानी बन जाएगी, कहा नहीं जा सकता।