बिना किसी आपत्ति के उदयपुर पुलिस ने रोक दी गवरी
उदयपुर के आयड़ क्षेत्र में गुरुवार को पुलिस ने अचानक वहां गवरी को रोक दिया। इससे गवरी करने वालों सहित क्षेत्रवासियों में भी अचरज के साथ रोष बढ़ गया। मामला बढ़ता उससे पहले ही क्षेत्र के मुस्लिम समाज के प्रबुद्धजन भी आगे आए और पुलिस-प्रशासन को परम्परा की जानकारी दी और गवरी की परम्परा में बाधा नहीं डालने की बात कही। इसके बाद गवरी शुरू हुई।
दरअसल, आयड़ क्षेत्र में रहने वाला प्रजापत परिवार गवरी की गड़ावण वळावण (विसर्जन) प्रक्रिया के लिए गजराज (मिट्टी के हाथी) का निर्माण करते हैं। विभिन्न गांवों में गवरी का संकल्प लेने वाले दल यहां से गजराज लेकर जाते हैं। जब भी वे गजराज लेने आते हैं तो उनके यहां गवरी भी करते हैं। यह परम्परा बरसों से चली आ रही है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को बात उस समय अटकी जब अचानक पुलिस वहां पहुंची और भूपालपुरा थानाधिकारी मुकेश सोनी ने कानून-व्यवस्था के मद्देनजर गवरी करने से मना कर दिया। इस पर सभी हैरान हुए और यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर यहां परम्परागत रूप से होती आई गवरी पर आपत्ति किसने दर्ज कराई। इस बीच यह बात भी सामने आई कि पास ही मस्जिद होने के कारण पुलिस ने यह कदम उठाया। इस दौरान वहां विभिन्न संगठनों के लोग पहुंचना शुरू हो गए। सूचना पर डिप्टी छगन पुरोहित भी वहां पहुंचे।
इसकी जानकारी क्षेत्र में निवासरत मुस्लिम समाज के लोगों को हुई तो समाज के प्रबुद्धजन भी वहां पहुंचे। उन्होंने भी वहां मौजूद लोगों और पुलिस-प्रशासन से कहा कि गवरी पर उनकी तरफ से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। उन्होंने भी पुलिस को बताया कि यहां बरसों से गवरी होती आई है।
उन्होंने यह भी कहा कि गवरी करने वाले दोपहर में नमाज की अजान के दौरान कुछ देर के लिए स्वतः ही रुक जाते हैं, इस बात का बरसों से चलन है। इस सारी जद्दोजहद के बाद गवरी हो सकी। लोगों ने कहा कि परम्पराओं को जाने बिना और समाजों के प्रबुद्धजनों से चर्चा के बिना पुलिस-प्रशासन के ऐसे निर्णय परेशानी का सबब बन जाते हैं।
सोर्स: पंजाब केसरी उदयपुर