उदयपुर नगर निगम ने दिल्ली गेट से हटाये बरसों पुराने अतिक्रमण, सामने आए मंदिर,चौराहा हुआ चौड़ा !
नगर निगम ने मंगलवार को उदयपुर शहर को अतिक्रमण निरोधक कार्यवाही को लेकर शहर वासियों को बड़ी राहत है। शहर के सबसे व्यस्ततम और अव्यवस्थित देहली गेट चौराहे पर मार्ग से अतिक्रमण हटाया गया। निगम टीम ने दिल्लीगेट पर करीब 60 साल पुरानी छह दुकानों को ध्वस्त किया। जिसने भी इस कार्यवाही के बारे में सुना, वह स्तब्ध रह गया।
अश्विनी बाजार से कलेक्टरी मोड़ पर ढ़हाया अतिक्रमण
सबसे पहले अश्विनी बाजार से कलेक्टरी जाने वाले मोड़ पर कार्यवाही करते हुए पान की 3, जूस की 2 व अन्य 2 दुकानों को हटा दिया। कार्यवाही के दौरान निगम ने गणेशजी मंदिर के ऊपर लगे छज्जे को भी तोड़ दिया। कार्यवाही से पहले मेयर जीएस टांक और डिप्टी मेयर पारस सिंघवी मौके पहुंचे और निर्देश दिए। इसके साथ ही डिप्टी मेयर के साथ निगम की गैराज समिति के अध्यक्ष मनोहर चौधरी, देवेन्द्र साहू भी देर शाम मौके पर मौजूद रहे। नगर निगम के आयुक्त रामप्रकाश के निर्देशन में पहुंची टीम में राजस्व विभाग से नीतिश भटनागर, विजय जैन, संभागीय प्रबंधक एमआईएस भानु प्रताप आदि शामिल रहे। अतिक्रमण हटाने के बाद सड़क की चौड़ाई 8-10 फीट तक बढ़ गई है, जिससे मोड़ पर वाहनों के दबाव थोड़ा कम होने की उम्मीद है। अतिक्रमण हटाते ही अवैध कब्जों की दुकानों के पीछे दबे 200 साल पुराने मंदिर से नृसिंह भगवान का मंदिर भी सामने आ गया। इसके साथ ही मंदिर में गणेशजी के दर्शन भी अब दूर से ही होने लगे हैं। ये दोनों ही मंदिर दुकानों की चारदीवारी के पीछे छुपे हुए थे।
देर शाम कलेक्टरी से सूरजपोल जाने वाले मोड़ पर हटाया अतिक्रमण
इसके बाद निगम दस्ते ने कार्यवाही करते हुए कोर्ट चौराहा से सूरजपोल जाने वाले मार्ग पर बनी दुकानों के बाहर बने चबूतरों पर पीला पंजा चलाते हुए ध्वस्त कर दिया और देर रात वहाँ सीसी सड़क बना दी।
दिल्ली गेट चौराहे की गुमटी पर उगे पीपल को हटाया
नगर निगम के दस्ते ने मंगलवार शाम कार्यवाही करते हुए दिल्ली गेट चौराहे की गुमटी पर उगे हुए पीपल के वृक्ष को हटा दिया । लेकिन दिल्ली गेट चौराहा की इस अनूपयोगी गुमटी को नहीं हटाया। आपको बताते चले कि इस गुमटी का कोई प्रयोग नहीं हो रहा है और इस गुमटी से कोई भी यातायात कर्मी यातायात संचालित करता नजर नहीं आता है। अगर इसे हटा दिया जाया है तो चौराहे पर ज्यादा जगह मिल सकती है।
ऐसी ही स्थिति सामने की ओर, वहां से भी हटें अतिक्रमण तो मिले राहत
निगम के ही सर्वे के मुताबिक देहली गेट पर प्रतिदिन 65 हजार से ज्यादा वाहनों का आवागन रहता है। अश्विनी बाजार से कोर्ट चौराहे वाले मोड़ से अतिक्रमण हटने से काफी हद तक राहत मिलेगी। यहां भी दिनभर जाम की स्थिति लगी रहती है। जब तक इसे नहीं खोला जाता, तब तक देहली गेट को जाम की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं मिलेगी।
अतिक्रमण विरोधी समिति अध्यक्ष हुए नाखुश
इस कार्यवाही से निगम के अतिक्रमण विरोधी समिति के अध्यख नाखुश बताये जा रहे है,हालांकि कार्यवाही के बाद खुले बोटलनेक से तकरीबन 8 से 10 फीट अतिरिक्त स्थान मिलने से यहां बार-बार लगने वाले जाम से निजात मिलेगी। सूत्रों के अनुसार निगम की अतिक्रमण विरोधी समिति के छोगालाल भोई खुद इस कार्यवाही से नाखुश है। उन्होंने मेंयर जी एस टांक से मिलकर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये दुकाने करीब 60 सालों से यहा है। इनको ध्वस्त करने से पहले इनको विकल्प दिया जाना चाहिए। छोगा लाल भोई के अनुसार ये दुकानें सड़क पर लगे खंभे और कलियों से पीछे थी। बरसों से यहां लोग व्यापार कर रहे थे। निगम को इज दुकानदारों को कोई विकल्प देना चाहिए था।
निगम ने 13 जनवरी को दुकान संचालकों को दिया था नोटिस
निगम के अधिकारियों के अनुसार निगम स्तर पर इन दुकान संचालकों को 13 जनवरी को नोटिस जारी कर व्यावसायिक गतिविधियां संचालन एवं स्वामित्व संबंधी कागज पेश करने को कहा गया था।
नोटिस मिलने के बाद दुकानदारों ने अपना सामान हटाना शुरू कर दिया था। मंगलवार को निगम टीम चुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गई। टीम ने वहां पर बने टीन शेड को ध्वस्त करते हुए जो केबिन थे, उन्हें हटाना शुरू किया। शाम तक चली कार्यवाही में होटल एयर पैलेस से पहले की दुकानों को हटा दिया गया था। बता दें कि ध्वस्त की गई यह दुकानें वहां स्थित गणेश मंदिर परिसर में थी, जो बरसों से किराए पर संचालित हो रही थी। इनका किराया मंदिर ट्रस्ट को जाता था। इन दुकानों में दो पान व एक घड़ी साज की दुकान एवं सैलून संचालित थे।निगम टीम में शामिल राहुल मीणा कि ध्वस्त की गई छहों दुकाने सड़क सीमा में आ रही थी
जिससे बौराहे पर बोटलनेक की स्थिति बन जाती थू। इन दुकानों का पूर्व में भी मूल्यांकन किया गया जिसमें सामने आया कि इन दुकानों के कारण सड़क सीमा में बाधा आ रही है। यदि इन दुकानों को हटा दिया जाए तो करीब 10 फीट का अतिरिक्त स्थान मिल सकता है, जिससे चौराहे पर अतिरिक्त स्थान मिलने से सुगमता हो सकती है।
कार्यवाही से पहले कोर्ट पहुंचे व्यापारी, सुनवाई के दौरान ही निगम ने ढहा दी दुकानें, अर्जी भी खारिज
देहलीगेट पर कार्यवाही होने से पहले भनक लगते ही 4 व्यापारियों ने कोर्ट में स्टे की अर्जी लगा दी। लेकिन निगम ने पहले ही अपनी तैयारियां कर रखी थी। जैसे ही कोर्ट में मामले की सुनवाई चलना शुरू होने वाली थी, उधर निगम ने दुकानों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। सुनवाई में चारों व्यापारी दुकानों के पुख्ता दस्तावेज पेश नहीं कर पाए, इसी के चलते कोर्ट ने व्यापारियों की अर्जी खारिज कर दी। अर्जी में बताया कि देहलीगेट चौराहे पर वे लंबे समय से व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंने महंत रामदास वैष्णव व उनके चेले ओमप्रकाश वैष्णव से दुकानें किराए पर ली थी। सुंदरलाल 46 साल, राजेश 82, भंवरलाल व भोपाल सिंह 47-47 वर्ष से दुकानें किराए पर चला रहे है। उनकी दुकानें सड़क सीमा व नाली से अंदर है, उन्होंने अतिक्रमण नहीं कर रखा है।
दुकानदार बोले-रोजी रोटी खत्म कर दी निगम ने
दुकानदारों को कुछ दिन पहले ही नोटिस देकर कागज पेश करने को कहा था। समयावधि पूरी होने पर कार्यवाही करते हुए अतिक्रमण हटाए। दूसरी ओर, दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानें वर्षों से संचालित थीं। लेकिन तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए उनकी रोजी-रोटी छीन ली गई। निगम के अधिवक्ता भूपेंद्र जैन और शत्रुघ्न सिंह ने बहस के दौरान तर्क दिया कि निगम नियमानुसार अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही कर रही है। व्यापारियों ने निगम को कोई भी उचित दस्तावेज पेश नहीं किए। प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए। जज भरत पूनिया ने फैसले में लिखा कि निषेधाज्ञा दिया जाना न्यायोचित नहीं है।