उदयपुर, 31 जनवरी। जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के राज्य सरकार की मंशाओं को पूरा करने की दृष्टि से अवकाश के दिन भी दूरस्थ जनजाति अंचल कोटड़ा का दौरा करने वाले जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने रविवार दोपहर में ही अधिकारियों को निर्देश दिए और रात में ही जरूरतमंद 44 अनाथ बच्चों तक राशन सामग्री पहुंचाई गई। यह राशन सामग्री कलक्टर मीणा ने खुद के खर्चे से उपलब्ध कराई जिसे तहसीलदार और विकास अधिकारी की टीम ने बच्चों के पालनहार परिवारों को पहुंचाया। कलक्टर ने दिन में जनसंवाद के दौरान विकास अधिकारी को 44 बच्चों तक राशन सामग्री पहुंचाने के निर्देश दिए थे और रात को 9 बजे विकास अधिकारी को फोन करके राशन सामग्री पहुंचाने के बारे में जानकारी ली तो विकास अधिकारी ने सुबह तक सामग्री पहुंचाने की बात कही। कलक्टर ने इस पर नाराजगी जताई और तत्काल प्रभाव से सामग्री पहुंचाने को कहा। निर्देशों की पालना में रात को 9 बजे बाद ब्लॉक स्तर का प्रशासनिक अमला सक्रिय हुआ और देर रात्रि तक 13 परिवारों में पल रहे चिह्नित 44 अनाथ बच्चों तक राशन सामग्री पहुंचाई गई। इस राशन सामग्री में 50 किलो गेहूं, तेल और मसाले आदि सम्मिलित थे।
आज फिर करेंगे कोटड़ा-देवला का दौरा
रविवार को कोटड़ा दौरे के बाद प्राप्त समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रभावी प्रयास करने की दृष्टि से जिला कलक्टर ताराचंद मीणा मंगलवार को पुनः कोटड़ा क्षेत्र का दौरा करेंगे। विकास अधिकारी धनपत सिंह ने बताया कि कलक्टर मीणा 11 बजे देवला के गोगरुद पंचायत भवन में तथा 2 बजे कोटड़ा पंचायत समिति सभागार में संबंधित ग्राम पंचायतों के कार्मिकों और विभागीय अधिकारियों की बैठक लेंगे। इस बैठक से ही अनाथ बच्चों के चिन्हीकरण अभियान का शुभारंभ किया जाएगा। इस दौरान एनजीओ प्रतिनिधियों, बाल कल्याण समिति पदाधिकारियों, जिला रसद अधिकारी, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल अधिकारिता, डीओआईटी की उपनिदेशक आदि उपस्थित रहेंगे।
प्रशासन बनेगा अनाथों का पालनहार:
जिला प्रशासन अब जिले के जनजाति क्षेत्रों में अनाथ बच्चों के जीवन को संवारने, बाल श्रम से विमुक्त करने, सरकारी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ दिलाने, उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने व रोजगार का प्रशिक्षण देकर पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए एक्शन प्लान का निर्माण करेगा और इसे विभिन्न विभागों, भामाशाहों और गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से क्रियान्वित करेगा। इस संबंध में सोमवार को ही जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने एक विशेष बैठक ली और संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को इस कार्ययोजना को तैयार करने के संबंध विविध बिंदुओं को बताया और इसके क्रियान्वयन के लिए महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए।
ट्रेकिंग करके दिलाएंगे लाभ:
कलक्टर मीणा ने बताया कि क्षेत्र के अनाथ बच्चों को लाभ दिलाने के लिए सबसे पहले उनके चिह्नीकरण करने की जरूरत है। इसके लिए अभियान रूप में कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर के कार्मिकों के माध्यम से चिह्नीकरण का कार्य मंगलवार से प्रारंभ किया जाएगा। ऐसे जरूरतमंद बच्चों के चिन्हीकरण के बाद उनकी जरूरतों की जानकारी लेकर विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा। इसके साथ ही हर बच्चे की ट्रेनिंग की जाएगी ताकि उसको समय पर पर्याप्त भोजन मिले, उसका शोषण या उत्पीड़न न हो, वह बाल मजदूरी की ओर न जावें, वह किसी रोग से ग्रसित न हो, उसके शरीर का संतुलित विकास हो, वह शिक्षा से लगातार जुड़ा रहे, ड्रॉप आउट न हो, वह शैक्षिक पैरामीटर पर ठीक हो। ट्रेकिंग के दौरान उसको विभिन्न बाल संरक्षण संस्थाओं को गोद दिया जा सकेगा अथवा विभिन्न भामाशाहों अथवा पालनहारों के माध्यम से उसका भविष्य निर्माण किया जाएगा। सभी बच्चों को पालनहार योजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए उन्हें आंगनवाड़ी अथवा स्कूल भेजकर पंजीकृत कराया जाएगा। इसके साथ ही उसके पालनहार के खाते में पालनहार राशि उपलब्ध कराने के लिए पंजीयन कराया जाएगा और उसके बाद भी सरकार की योजना का लाभ नियमित मिल रहा है या नहीं इसकी ट्रेकिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही बच्चे की भावी शिक्षा, रोजगार प्रशिक्षण और रोजगार दिलाने के लिए कोचिंग एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने और यहां तक कि रोजगार मेले तक आयोजन की व्यवस्था के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। कलक्टर ने बताया कि सरकार की योजना का लाभ प्राप्त होने तक उन बच्चों के नियमित भोजन के लिए भामाशाहों और एनजीओ के सहयोग से सुपोषण आहार राशन किट की व्यवस्था की जाएगी।