कहीं नजर नहीं आने वाले राजस्थान झील विकास प्राधिकरण की कुम्भकर्णी नींद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से फतहसागर झील पर वेटलैंड की पाबंदियां लागू किए जाने के आदेश के बाद खुलती दिखाई दे रही है। इसी बीच सख्ती दिखाते हुए प्राधिकरण ने झीलों की सुरक्षा और नावों की संख्या कम करने के लिए पूर्व में तैयार की गई तत्कालीन कलेक्टर ताराचंद मीणा की कमेटी की रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए लौटा दिया है
राजस्थान झील विकास प्राधिकरण ने अब एक महीने के भीतर नाव संचालन नीति में संशोधित ड्राफ्ट प्रस्तुत पेश करने को कहा है, ताकि नावों की संख्या और कम की जा सके।
वहीं राजस्थान झील विकास प्राधिकरण ने झीलों में प्रदूषण रोकने और सीएनजी, सोलर ऊर्जा व बैटरी संचालित नावों को प्रोत्साहन देने के निर्देश भी दिए हैं। आदेश स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट शासन सचिव और राजस्थान झील विकास प्राधिकरण के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी हृदयेश शर्मा ने उदयपुर कलेक्टर अरविंद पोसवाल को दिए हैं।
वहीं उदयपुर कलेक्टर ने कहा कि वे मीणा के नेतृत्व में तैयार की गई रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद नगर निगम, यूआईटी और झील विशेषज्ञों से चर्चा होगी और संशोधित रिपोर्ट भिजवाएंगे।
इससे पहले पूर्व कलेक्टर तारा चंद मीणा के नेतृत्व वाली कमेटी की ओर से 11 फरवरी 2023 को सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछोला झील में नावों की अधिकतम संख्या 81 और फतहसागर में 29 तक करने का सुझाव झील की वहन क्षमता के आधार पर साल 2009 में किया गया था। यानी दोनों झीलों में 110 नावों का संचालन हो सकता है। हालांकि अभी दोनों झीलों में 90 नावों का ही संचालन हो रहा है।
कमेटी ने सुझाव दिया था कि नावों की संख्या वास्तविक आवश्यकता, यात्री क्षमता और पर्यावरण संरक्षण जैसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तय की जाए। लेकिन ये नहीं बताया कि संख्या कैसे कम की जा सकती है? ऐसे में प्राधिकरण ने अब नावों की संख्या कम करने के लिए हर होटल की नावों और यूआईटी-नगर निगम से अनुबंधित ठेकेदारों की नावों की संख्या मय कारणों के मांगी है।
Source and Credits: bhasker.com