उदयपुर, 7 अगस्त 2022: टाइगर हिल से सज्जनगढ़ इको सेंसिटिव क्षेत्र व झीलों पर संचालित हेलिकोप्टर यातायात व्यवसाय को नागरिक उड्डयन निदेशालय, भारत सरकार की किसी प्रकार की अनुमति नही है। इसके बावजूद जिला प्रशासन, वन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है।यह चिंता रविवार को आयोजित पर्यावरण संवाद मे व्यक्त की गई।
संवाद मे झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जागरूक पर्यावरण प्रेमियों की आर टी आई के जवाब में डाइरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डी जी सी ए) ने स्पष्ट किया है कि उदयपुर में टाइगर हिल से उड़ाए जा रहे हेलिकॉप्टर को व्यावसायिक यातायात का एयर ऑपरेटर परमिट नही दिया गया है तथा हेलीपेड, उड़ान मार्ग आदि की कोई जानकारी डी जी सी ए के पास नहीं है। मेहता ने कहा कि यह यह सुप्रीम कोर्ट के सज्जनगढ़ पर लागू निर्देशों का तो उल्लंघन है ही, व्यावसायिक हवाई यातायात के नियमों का खुले आम उल्लंघन भी है।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार हेलिकॉप्टर उड़ान सूर्योदय और सूर्यास्त के बीस मिनट पहले और बाद अनुमत नहीं होता, तथापि हेलिकॉप्टर देर शाम उड़ाया जाता है। बारिश और घने बादल के कारण कम विजिबिलिटी की स्थिति मे दुर्घटना होने की पूरी संभावना है। पालीवाल ने कहा कि झील प्राधिकरण ने झीलों के प्रोटेक्टेड क्षेत्रों पर उडान की अनुमति नहीं दी है फिर भी हेलिकॉप्टर झीलों पर उड़ता रहता है।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि हेलिकॉप्टर सेवा के विज्ञापन मे ही सज्जनगढ़ पर उड़ान दर्शाई हुई है। जबकि सज्जनगढ़ एक सुरक्षित अभयारण्य है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन है। हेलिकॉप्टर बहुत कम ऊँचाई पर उडाया जा रहा है। ध्वनि, वायु प्रदूषण और कम्पन से जीव जंतु तथा इंसान का जीवन खतरे मे पड़ रहा है।
मोहन सिंह चौहान व द्रुपद सिंह ने कहा कि हेलिकॉप्टर के शोर से पीड़ित पक्षियों का क्रंदन असहनीय होता है।