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Udaipur / उदयपुर में अर्थ डायग्नोस्टिक सेंटर की रिपोर्ट से हो जाता अनर्थ,प्रसूता के परिजनों ने लगाए सोनोग्राफी की भ्रामक और गलत रिपोर्ट देने का आरोप

clean-udaipur उदयपुर में अर्थ डायग्नोस्टिक सेंटर की रिपोर्ट से हो जाता अनर्थ,प्रसूता के परिजनों ने लगाए सोनोग्राफी की भ्रामक और गलत रिपोर्ट देने का आरोप
newsagencyindia.com January 08, 2022 10:27 AM IST

उदयपुर 8 जनवरी 2022 : उदयपुर में मेडिकल जाँच करने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर की लापरवाही से मासूम की जान पर बन आयी। दरअसल उदयपुर के पहाड़ा की रहने वाली गर्भवती मीनाक्षी खटीक ने डॉक्टर की सलाह पर दिसंबर 2021 के महीने में अर्थ डायगनोस्टिक सेंटर पर सोनोग्राफी करवाने पहुँची।लेकिन जब उसकी जाँच रिपोर्ट आयी तो उसके पैरों से जमीन खिसक गयी क्योंकि रिपोर्ट में होने वाले बच्चे का वजन बहुत कम बताया गया था। इस रिपोर्ट को लेकर जब मीनाक्षी उदयपुर के सरकारी पन्नाधाय अस्पताल की यूनिट हेड डॉ संगीता सेन को दिखाया तो रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर ने इन्हें अबॉर्शन करवाने को कह दिया। पीड़िता ने गर्भ के 9 महीने के दौरान 12 दिसम्बर को अर्थ डायग्नोस्टिक सेंटर पर जाकर सोनोग्राफी जाँच करवाई थी और रिपोर्ट में गर्भ में बच्चें का वजन 500 प्लस-माइंस 123 ग्राम बताया गया था।

सोनोग्राफी रिपोर्ट को जब राजकीय पन्नाधाय चिकित्सालय की यूनिट हेड डॉ संगीता सेन को बताया गया तो रिपोर्ट के आधार पर डॉ संगीता ने कहा कि गर्भ में शिशु का पूर्ण विकास नहीं हुआ है और वजन काफी कम है। ऐसे में गर्भपात करवाना ही बेहतर ऑप्शन होगा। ये जानकर मीनाक्षी और उसके परिवार के लोगों के होश उड़ गए। परिवार की खुशियां एक दम गम में तब्दील होती नजर आने लगीं।

 परिवार के लोगों ने ऐसी हालात में सेकंड ओपिनियन लेने के लिए मीनाक्षी को शहर के एक निजी हॉस्पिटल लेकर गए और वहाँ 27 दिंसम्बर 2021 को मीनाक्षी ने पुर्णतया स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया और महत्वपूर्ण बात ये रही कि जन्म के समय नवजात बच्ची का वजन 2.7 किलो था।

वहीं मामले पर डायग्नोस्टिक सेंटर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सोनोग्राफी रिपोर्ट में कोई गलती नहीं हुई है, बल्कि रिपोर्ट तैयार करते समय टाइपिंग एरर होने से गर्भस्थ शिशु का वजन गलत अंकित हो गया था। पीड़िता की मां की शिकायत पर हाथीपोल थाना पुलिस में मामला पहुँच गया है और पुलिस मामले की जांच में जुट गयी है।

इस तरह की मेडिकल जांच करने के अपने प्रोटोकॉल होते है और गलती की उम्मीद ना के बराबर होती ही। अर्थ डायग्नोस्टिक सेंटर की इस गलती से एक अजन्मे बच्चें की जान पर बन आयी और परिवार की खुशियों पर कुठाराघात हो गया। ऐसे में यदि परिजन मरीज को अन्यत्र अस्पताल में नहीं दिखाते तो बच्ची की जान खतरे में पड़ सकती थी।

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