उदयपुर ,20 अगस्त 2022 : उदयपुर की झीलों में होटल वालों की बहुसंख्य नावों के खिलाफ़ हमेशा उदयपुर के झील प्रेमी आवाज उठाते रहे है और झील प्रेमियों का मानना है कि पर्यटन के नाम पर झील के पारिस्थिकीय तंत्र के साथ खिलवाड़ न होकर झील में नावों की संख्या
कम से कम किये जाने की सख्त जरूरत है। उधर झील किनारे होटल वालों के लिए नाव संचालन की अनुमति अब टेढ़ी खीर होने जा रही है क्योंकि जनता की आवाज के साथ के सरकार द्वारा चुने गए सभी प्रतिनिधियों ने तय कर लिया है कि किसी भी हालत में झीलों को बहुसंख्य नावों का हाईवे बनने से रोका जाय। झील में नावों के संचालन के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधि जल्द ही लिखित तौर पर अपना पक्ष रखेंगे।
इसी मामले को लेकर आपको बताते चले कि सबसे पहले उदयपुर नगर निगम बोर्ड और महापौर (जनता द्वारा चुने गए) ने तय किया था कि भविष्य में नगर निगम सड़क पहुँच वाली होटल की नावों को संचालन की स्वीकृति जारी नहीं करेगा। सूत्रों के अनुसार होटल वालों की जयपुर लॉबी की मित्रता ने सरकारी मशीनरी पर ऐसा दबाव बनाया कि स्थानीय ब्यूरोक्रेसी के मुखिया को हस्तक्षेप करना पड़ा और परिणाम ये हुआ कि मार्च अंत के बाद भी सड़क पहुँच वाली होटल के नावों के संचालन की अनुमति जारी रही।
इसी क्रम में उदयपुर की झीलों में नावों के संचालन के लिए नीति निर्धारण के लिए सुझाव लेने के लिए उदयपुर नगर निगम के कमिश्नर की तरफ से एक पत्र शहर के नामचीन झील प्रेमियों को दिया गया था, इसी क्रम में आज जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में संक्षिप्त बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें अधिकारियों द्वारा मुख्य तौर पर ये कहा गया कि सदस्य अपनी राय लिखित तौर पर अपना पक्ष रखवा सकते है।
बैठक में मुख्य तौर पर हाई कोर्ट के पेट्रोल और डीजल चलित नावों के संचालन को रद्द करने के निर्णय की अनुपालना करने की बात कही गयी। इसके साथ ही सभी सदस्यों ने एक मत होकर ये कहा कि सबसे पहले तो ये उदयपुर शहर की पेयजल झीलों में इतनी बहुसंख्य नावें ही नहीं चलनी चाहिए। इससे कोई मतलब नहीं है कि वो पेट्रोलियम से चले अथवा बैटरी से। उदयपुर शहर की झीलें न केवल पेयजल की स्रोत है बल्कि पारीस्थिकी तंत्र का महत्वपूर्ण घटक है।झील में अत्यधिक नावों के संचालन न केवल प्रवासी पक्षियों को परेशानी होती है बल्कि सरोवर विज्ञान की दृष्टि से भी झील के पानी की सतह की क्वालिटी खराब होती है। साथ ही सभी सदस्यों ने एक मत होकर ये कहा है कि झील किनारे जिस होटल के पास सड़क पहुँच है , उसे किसी भी सूरत में नाव संचालन की स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही पर्यटन की दृष्टि से केवल झील के सीमित क्षेत्र में नाव संचालन किया जाना चाहिए। साथ ही केवल नगर निगम को एक ही ओपरेटर के माध्यम से नावों के संचालन की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उदयपुर की झीलों में हाई स्पीड बोट की अनुमति केवल रेस्क्यू बोट को ही देनी चाहिए।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि उदयपुर की झीलों में बहुसंख्य नावों के संचालन के पक्ष में झील किनारे होटल वालों को छोड़कर शायद ही कोई पक्ष में हो। ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से जनता के प्रतिनिधियों को सुझाव के लिए आमंत्रित भी किया गया फिर भी सूत्रों ने ये कहा है कि सभी घटकों से सुझाव लिए जाएंगे। ऐसे में आशँका है कि होटल वालों से भी राय शुमारी की गयी तो सभी को आने वाले निर्णयों के प्रति सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि होटल लॉबी के दवाब में झील का गला घोटने में लोकल बॉडी पीछे नहीं हटेगी क्योंकि दबाब जयपुर के राजनीतिक गलियारों से होता हुआ उदयपुर तक आता है।