उदयपुर 9 जनवरी 2022 : उदयपुर के फतहसागर झील में बीते दिन दोपहर बाद एक नाव पलट गयी । हालाँकि बोट खाली थी और कोई उसमे सवार नहीं था ,इसलिए गनीमत रही की कोई जनहानि नहीं हुई।
उल्लेखनीय है की हाल ही में मुम्बईया बाजार के सामने जोधपुर की नई फर्म को ठेका दिया गया। कई वर्षों से यह ठेका उदयपुर की एम एम ट्रेवल्स एजेंसी के पास था, इस बार यह ठेका जोधपुर की रामदेव कंपनी को दिया गया है,जो सीएनजी बोट से फतहसागर में नाव संचालन का दावा कर रही है।
वहीं हलकों में बोट की टेस्टिंग की खबरें भी फैलाई जा रही है जबकि इस नाव के व्यवस्थित संचालन के फ़ोटो सोशल मीडिया पर पहले से ही वायरल है, जो ये प्रश्न पैदा करते है कि क्या टेस्टिंग के लिए पर्यटकों की जान सांसत में तो नहीं डाली जा रही थी।
प्रकरण पर DTO डॉ कल्पना का कहना है कि नए ठेकेदार द्वारा नाव की टेस्टिंग की जा रही थी और संचालक ने फिटनेस निरस्त करने की सूचना सुबह ही दे दी थी।इसके बाद बोट का ट्रायल किया जा रहा था। लीकेज CNG की टँकी के टकराने की वजह से हुआ है। जबकि दस्तावेज ये बता रहें है कि नाव को फिटनेस 04 जनवरी 2022 को ही मिल गयी थी औऱ उसके बाद नाव संचालन किया जा रहा था। अगर टेस्टिंग की बातें सही है तो निश्चित तौर पर पर्यटकों की जान दाव पर लगा कर नाव संचालन की टेस्टिंग की गई है।
दूसरी और नाव संचालक का अलग तर्क है। उसके अनुसार बोट में लीकेज हो रहा था और मरम्मत के लिए रानी रोड की साइड टापू पर पत्थर से टकराने की वजह से बोट पलट गई।
ऐसे में प्रश्न ये है कि क्या फतहसागर में पत्थर है जिससे टकराकर नाव छतिग्रस्त हो जाये ? दूसरा ये कि टापू पर नाव कैसे पहुँच गयी थी पत्थर से टकराने के लिए?
वही जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है कि फतहसागर में इतनी बड़ी चट्टान है ही नहीं जिससे टकराकर कोई नाव पलट जाय। साथ ही बोट ओपरेटर ने पत्थर से टकराकर नाव पलट जाने की बात करके सेल्फ गोल कर दिया है। यदि इनकी बात मान भी ली जाय तो ये सामने आ जाएगा कि नाव ओपरेटर के पास अनुभव की कमी थी जिससे नाव पत्थर से टकरा गयी। अगर आप खाली नाव को नहीं बचा पाए तो भरी नाव का तो भगवान ही मालिक है। शुक्र है कि नाव में सवारियां नहीं थी।
वहीं नाव की फिटनेस को लेकर भी अनियमितता सामने आयी है जिसमें नाव संख्या RJ27 MB 0389 के सम्बंध में फार्म संख्या 4 में नाव की साइज का स्पेसिफिकेशन अलग है और फार्म सँख्या 2 में अलग। यहाँ तक कि RTO द्वारा जारी फार्म सँख्या 2 में तो नाव की चौड़ाई का उल्लेख तक नहीं किया गया है।
दूसरी बात ये कि नाव की फ़िटनेस में YAMAHA CNG इंजिन का उल्लेख है जो कि भ्रामक है क्योंकि सूत्र बता रहे कि नाव बनाने वाली कंपनी पेट्रोल इंजिन ही नाव के साथ सप्लाई करती है तो रजिस्ट्रेशन भी पेट्रोल इंजन का ही होना चाहिए।
दूसरी बात ये है कि अगर पेट्रोल इंजिन को मॉडिफाइड कर अगर CNG बनाया गया है तो इसके सुरक्षा मानक और नाव के अंदर टैंक की फीटिंग की जाँच करने के लिए कौन से विभाग के अधिकारी अधिकृत थे और अधिकारी ने इनको फिटनेस CNG के आधार पर कैसे दे दिया गया।
प्रश्न ये भी है कि क्या फिटनेस लेते वक्त RTO और नेवल अफसर को नई नाव के बिल (इनवॉइस) दी गयी अथवा नहीं। जैसे आप अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन लेते वक्त बिल की कॉपी परिवहन विभाग को देते है। क्या उदयपुर की झीलों में जुगाड़ से बनायी गयी नावों का संचालन तो नहीं हो रहा। आपको बताते चले कि कंपनी की मानक नाव की कीमत लाखों में होती है जिससे नाव संचालक इसे खरीदने की बजाय लोकल मार्केट से पुरानी नाव की बॉडी खरीद लाते है और फिर इंजिन और सीट्स मनमर्जी की लगाकर RTO से फिटनेस और लाइसेंस ले लिया जाता है। ये तो ऐसा ही हुआ जैसे कोई कबाड़ी से किसी कार का अलग चैसिस ले,दूसरी का इंजन ले और तीसरी की सीट्स लेकर पहुँच जाए परिवहन विभाग के पास रजिस्ट्रेशन के लिए।
फतहसागर में टेंडर संचालन की शर्त संख्या 33 के अनुसार दुर्घटना होने की स्थिति में नाव संचालन ठेका निरस्त कर देने के प्रावधान की पालना करवाने में UIT कितना कामयाब होता है,इसे आने वाला समय बताएगा।
गौरतलब है कि चार साल पहले 29 मई को फतहसागर में स्पीड बोट ने आरटीडीसी के ठेकेदार की मोटर बोट को पीछे से टक्कर मार दी थी। इस घटना में उदयपुर घूमने आए जयपुर के एक परिवार की चार साल की बच्ची चहक सहित चार लोग उछल कर पानी में गिर गए थे। तीन लोगाें को तो बचा लिया गया लेकिन चहक को बचाया नहीं जा सका।
महक सैनी अपने परिवार के साथ जयपुर से उदयपुर भ्रमण पर आई थी और शाम के वक्त फतहसागर झील में स्पीडबोट से झील का लुत्फ उठाते समय इस हादसे का शिकार हो गई थी। पुलिस ने स्पीडबोट चालक को घटना के बाद हिरासत में ले लिया था।
इससे पहले फतहसागर में 21 अगस्त 2010 को नाव पलटने से एक सैलानी की मौत हो गई थी, जिसने मरने से पहले परिवार के कुछ लोगों की जान बचाई थी। इस हादसे में वे लोग बच गए थे, जिन्होंने लाइफ जैकेट पहन रखे थे। 13 मई 1979 में नाव पलटने की तीन जनों की मौत हो गई थी।
इन नियमों की पालना जरूरी
- नाव पर संचालक का नाम व लाइसेंस नंबर अंकित हों।
- सैलानियों को नाव में बैठाने से पूर्व नाम, पता, उम्र का रिकार्ड रखा जाए।
- नाव में क्षमता से अधिक सवारियों को न बैठाया जाए।
- तेज हवाओं के दौरान बोट का संचालन न किया जाए।
ऐसे होता है नावों का फिटनेस
- परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत नेवल अधिकारी से नाव चेक करवाना। (नाव की बॉडी, मोटर, इंजन की रिपोर्ट व चालक का लाइसेंस)
- नाव संचालक जिस तालाब, नदी, झील में संचालन करेगा उसके पास सिंचाई विभाग की अनुमति हो।
- बोट रेगुलेशन एक्ट के तहत अनिवार्य इस कानून के तहत बोट में यात्रियों को लाइफ जैकेट पहनना जरूरी है।
- नावों में सीटों के अनुपात में लाइफ जैकेट रखना अनिवार्य है।