उदयपुर का जगदीश मंदिर जहाँ जन आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है,वहीं पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों का यहाँ नियमित आना जाना होता है। अपनी भव्यता को लेकर विश्व विख्यात जगदीश मंदिर पूरे विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। लेकिन वर्तमान में जगदीश मंदिर रख रखाव के अभाव में उपेक्षा का शिकार हो गया और मंदिर की दीवारों पर जगह जगह पेड़ उग आए ,जो मंदिर की दीवारों को क्षति पहुँचा रहे है। साथ ही मंदिर की दीवारों में दरारों के कारण जगह जगह से बारिश का पानी रिसकर मंदिर में आ रहा था।
काफी लंबी कवायद के बाद अंततः सरकार ने जगदीश मंदिर की मरम्मत के लिए 70 लाख की राशि जारी कर दी है ,जिसकी पुष्टि देवस्थान विभाग के उच्चधिकारी ओ. पी. जैन (अतिरिक्त आयुक्त) द्वारा की गई है। लेकिन फिलहाल इसके लिए कार्यकारी एजेंसी तय नहीं की गई है और इस बावत आगे प्रोसेस जारी है।
मामले पर सबसे पहले संज्ञान लेते हुए उदयपुर के पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त को पत्र लिखकर जल्द से जल्द कार्यवाही करने को कहा था जिससे मंदिर की ख्याति बनी रहे और मेवाड़ की धरोहर अक्षुण्ण बनी रहे।
इसके बाद देवस्थान विभाग ने इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ आर्ट कल्चर एंड हेरीटेज को पत्र लिखकर जगदीश मंदिर की दीवारों को जल्द ही वनस्पति मुक्त करने का आग्रह किया था। देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त ने इनटेक को लिखे पत्र में कहा कि आपको इस कार्य को 28 फरवरी 2022 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए गए थे जिसको आपके अनुरोध पर 22 अगस्त 2022 तक बढ़ा दिया गया था। पत्र में यह भी कहा गया कि इस मामले को लेकर विभिन्न संगठनों संस्थाओं की ओर से कार्यालय को ज्ञापन पत्र आदि दिए जा रहे हैं, जिससे विभाग की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। दर्शनार्थियों में असुरक्षा का भाव पनप रहा है,इसे ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से कार्य प्रारंभ किया जाए।
इंटेक के उदयपुर इकाई के अधिकारी ने सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग को पत्र लिखकर देवस्थान विभाग से जगदीश मंदिर की वनस्पति हटाने और अन्य संरक्षण कार्य करने के लिए पर्याप्त राशि की आवश्यकता बताई थी और यह भी कहा है कि आयुक्त कार्यालय को इस विषय में पहले ही अवगत भी कराया जा चुका है। इसके बाद दिल्ली से इंटेक के विशेषज्ञों का दल जगदीश मंदिर जीर्णोद्धार हेतु निरीक्षण के लिये पहुँचा। दल में धर्मेंद्र मिश्रा डायरेक्टर टेक्निकल (इंटेक),ललित कुमार (सीनियर कंसर्वेटर,इंटेक), ललित पांडेय (कन्वेनर , इंटेक) गौरव सिंघवी (को-कन्वेनर,इंटेक) शामिल थे। बाद में इंटेक संस्था ने लगभग 70 लाख रुपये का एस्टीमेट लगाया था।
अब सरकार ने राशि तो स्वीकृत कर दी लेकिन अभी कार्यकारी एजेंसी का नाम तय नहीं होने से जगदीश मंदिर की मरम्मत का काम शुरू होने में समय लग सकता है।
आपको बताते चले कि न्यूज़ एजेंसी इंडिया ने सबसे पहले न्यूज़ चलाते हुए जगदीश मंदिर की खस्ता हालत के बारे में जन चेतना अभियान चलाया था।