गीतांजली हॉस्पिटल सर्व सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल है। यहाँ आने वाले रोगियों को अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा इलाज किया जाता है। अभी हाल ही में गीतांजली कैंसर सेंटर में 45 वर्षीय एसोफैगल कैंसर से ग्रसित महिला रोगी को स्वस्थ्य जीवन प्रदान किया गया। इस हाई रिस्क ऑपरेशन को कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ. अजय यादव एवं एनेस्थिस्ट डॉ . नवीन पाटीदार,मेडिकल ओंकोलोजिस्ट डॉ अंकित अग्रवाल, रेणु मिश्रा, डॉ रमेश पुरोहित तथा उनकी टीम के अथक प्रयासों से सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।
विस्तृत जानकारी
डॉ आशीष जखेटिया ने बताया कि रोगी गीतांजली हॉस्पिटल मे बहुत कमज़ोर हालत में खाने में दिक्कत होने की वजह से लाया गया । रोगी की स्तिथि को देखते हुए रोगी को एंडोस्कोपी और पेट सी.टी स्कैन कराने की सलाह दी । जांच के पश्चात् रोगी में एसोफैगल कैंसर की पुष्टि हुई। गीतांजली कैंसर सेंटर के ट्यूमर बोर्ड में डॉक्टर्स द्वारा रोगी व उसके परिवार को ऑपरेशन करवाने की सलाह दी गयी। चूँकि रोगी का वजन सिर्फ 25 किलोग्राम था इसलिये रोगी का ऑपरेशन करना एक बड़ी चुनौती थी। आहार विशेषज्ञ व फ़िज़ियोथेरेपी के माध्यम से रोगी का लगभग 3-4 सप्ताह में रोगी का वजन 30 किलोग्राम हुआ।
इसके पश्चात रोगी का कीमोथेरपी व रेडिएशन द्वारा इलाज शुरू किया गया। रोगी की हालत में सुधार देखते हुए डॉक्टर्स द्वारा ऑपरेशन करने का फैसला लिया गया। रोगी का ऑपरेशन लगभग 7 घंटे तक चला। इस तरह की सर्जरी गीतांजली कैंसर सेंटर में पिछले चार वर्षों से अनुभवी टीम द्वारा लगातार की जा रही है। इस तरह की सर्जरी को वीडियो-असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी (VATS) कहते हैं। यह सर्जरी सफल रही और अब रोगी स्वास्थ्य है, ऑपरेशन के 7 दिन के पश्चात् रोगी अब खाना खाने में समर्थ है व हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी गयी है।
डॉ. आशीष ने बताया कि इस बेल्ट में एसोफैगल कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके कई कारण हैं चूँकि ये कैंसर एग्रेसिव मेलिगनैंसी है, जिसका इलाज काफी मुश्किल होता है, इस तरह के रोगी के मल्टीडिसिप्लिनेरी टीम के साथ गहन चर्चा के बाद इस तरह के रोगी को पहले कीमोथेरपी व रेडिएशन दिया जाता है और इसके 6-8 हफ्ते बाद रोगी का ऑपरेशन किया जाता है। ओपन ऑपरेशन करने पर इस तरह के रोगियों को कई समस्याएँ आती हैं, जिसमें सबसे बड़ी समस्या जो आती आती है वह है दर्द क्यूंकि यदि रोगी की छाती को खोलकर ट्यूमर को बहार निकाला जाये तो रोगी को ऑपरेशन के उपरान्त भी छाती में काफी दर्द का सामना करना पड़ता है, इस कारण से रोगी को स्वास्थ्य लाभ भी जल्दी नही मिल पाता है। इसके लिए आजकल वेट (विडियो असिस्टेड थोरेकोस्कोपिक सर्जरी) गीतांजली कैंसर सेंटर के अनुभवी डॉक्टर्स द्वारा निरंतर की जा रही है। इसके अन्दर मात्र तीन छेद के माध्यम से भोजन नली को छाती में लाया जाता है व पेट में बड़ा चीरा ना लगाकर की होल सर्जरी की जाती है, व गले का नया एनस्टोमोसिस किया जाता है| इस तरह से ऑपरेशन करने पर रोगी को जल्दी स्वास्थ्य लाभ मिल जाता है। ऑपरेशन के अगले दिन रोगी आई.सी.यू से बाहर आ जाता है और लगभग 6-7 दिन बाद रोगी को हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी जाती है| इस तरह अत्यधिक कमज़ोर रोगियों के वेट सर्जरी(विडियो असिस्टेड थोरेकोस्कोपिक सर्जरी) एक वरदान साबित होती है। गीतांजली हॉस्पिटल में यह सर्जरी पीछले चार सालों से मुख्यमंत्री चीरंजीवी योजना में निःशुल्क की जा रही है।
गीतांजली हॉस्पिटल के सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि गीतांजली हॉस्पिटल में अनुभवी टीम,मल्टीडीसीप्लिनरी अप्प्रोच और अत्याधुनिक तकनीकों के साथ यहाँ वाले रोगियों के जटिल ऑपरेशन किये जा रहे हैं, जिससे रिस्क और भी कम हो जाता है| गीतांजली हॉस्पिटल में इस तरह के हाई-एंड ऑपरेशन स्टेट ऑफ़ आर्ट के दृष्टिकोण को दर्शाता है| इस ऑपरेशन को सफल बनाने वाली टीम को तम्बोली द्वारा बधाई दी गयी।