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Udaipur / उदयपुर की झीलों में नाव संचालन को लेकर हाई कोर्ट में पेश किए जवाबों में किया खेल प्रशासन ने,जानिए पूरी कहानी

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दिनेश भट्ट October 12, 2022 11:18 AM IST

उदयपुर,12 अक्टूबर 2022 :उदयपुर में झीलों में जलीय जीवों पर संकट कम करने और प्रदूषण को रोकने के लिए झील प्रेमियों ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर हाई कोर्ट ने  संज्ञान लेते हुए मार्च महीने में आदेश दिया था कि उदयपुर की झीलों में 6 माह के अंदर सभी नावे बैट्री और सोलर से संचालित की जाए। मियाद बीतने तक स्थानीय प्रशासन सोता रहा और झीलों में अब तक बैटरी/सोलर नावें किसी भी पार्टी ने संचालित नहीं की। आपको बताते चले कि उदयपुर की पीछोला और फतहसागर झील का पानी शहरवासियों के पीने के काम आता है,वहीं झील प्रेमी सहित स्थानीय नागरिक झीलों को प्रदूषण मुक्त करना चाहते है, जिससे जलीय जीवों की मौत ना हो और पीने के पानी की गुणवत्ता बनी रहे।

कोर्ट के आदेशानुसार UIT ने समय पर कार्यवाही करते हुए आदेश जारी कर कहा कि दिनांक 1अक्टूबर 2022 से फतहसागर झील में माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेशों के अनुपालना में सिर्फ बैटरी सोलर आधारित इंजन से नौका संचालन करने के आदेश दिए गए है। अन्य जीवाश्म ईंधन से नौका संचालन करते हो पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। UIT ने आदेशों के पालन हेतु अपना एक गार्ड भी मौके पर लगा दिया और फतहसागर पर नाव संचालन पर रोक लगा दी ।

उधर नगर निगम के स्वामित्व वाली पीछोला झील में होटलों और अन्य VIP की अनुमानित 60 नावों के साथ सरकारी ठेकेदार की लगभग 16 नावों के संचालन को रोकने हेतु कोई आदेश आज तक जारी नहीं किये गए। इस पर एक बड़ा वर्ग ये कह रहा है कि प्रशासन होटल लॉबी के दवाब में है।

क्या कहा उदयपुर नगर निगम ने अपने शपथ पत्र में हाई कोर्ट को

निगम ने कोर्ट में अपने जवाब में कहा कि उसने अदालत के आदेश की अनुपालना में उदयपुर नगर निगम बोर्ड की मीटिंग में रेसोल्यूशन पास कर निर्णय लिया कि सड़क पहुँच मार्ग वाली होटलों के नावों को झील में परिवहन की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसके अनुपालन के लिए राज्य स्तरीय लेक डेवलोपमेन्ट ऑथोरिटी को पत्र भेजा जाएगा।

साथ ही निगम ने कहा कि जिला स्तरीय लेक प्रोटेक्शन एंड डेवलपमेंट ऑथोरिटी ने 25 अप्रैल की बैठक में उपरोक्त आर्डर पर चर्चा कर राज्य स्तरीय लेक ऑथोरिटी को इस बारे में सूचित करने की बात कही गयी।

इसके बाद जाने किस दवाब में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण ने सड़क पहुँच वाली होटलों की नाव संख्या कम करने के फैसले को स्थगित कर दिया। जबकि फैसला चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बोर्ड ने लिया था।

25 जुलाई को राजस्थान झील विकास प्राधिकरण ने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जिसे एक महीने के भीतर प्राधिकरण को झीलों में नाव संचालन के लिए नीति निर्धारण के लिए सुझावों को देना था। इस बावत देरी करते हुए स्थानीय प्रशासन ने 17 अगस्त को मीटिंग कर निर्णय लिया कि उक्त मामलें में सम्बंधित विभागों के साथ चर्चा कर अन्य राज्यों की पॉलिसी और निर्देशो का अध्ययन कर नाव संचालन का नीति निर्धारित किया जाएगा।

इसके साथ ही माननीय हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति ने 23 सितंबर 2022 की मीटिंग में बातचीत में तय किया गया कि एक तकनीकी टीम का गठन कर बैटरी/सोलर नावों का अध्ययन करने के लिए अन्य राज्यों में भेजा जाएगा।

इसके साथ ही नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (RTO) के निर्देशन में चार सदस्यीय अधिकारियों की समिति 13 जनवरी 2022 को गठित की गई और इस समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा है कि बैटरी/सोलर नावें इसकी बनावट और बैटरी के वजन के कारण झीलों में चलने के लिए फिट नहीं है और पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है।

जबकि देश के कई राज्यों में सोलर/बैटरी चलित नावें पहले से ही चल रही है। यहाँ तक कि उदयपुर के पड़ोसी जिले डूंगरपुर की गैप सागर झील में सोलर/बैटरी नाव का संचालन पहले से हो रहा है। कुछ अधिकारी तर्क दे रहे कि छोटी नावें ही बैटरी/सोलर के लिए मुफीद है लेकिन दक्षिण के केरल में कई सोलर नावें एक साथ एक बार में 100 यात्रियों का परिवहन कर रही है। ऐसे में कोर्ट को सोलर/बैटरी नावों को असुरक्षित बताना हास्यास्पद लगता है।

साथ ही जिला स्तरीय झील विकास समिति ने RTO , राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल को झील में नाव संचालन से होने वाले आयल लीकेज के बारे में जानकारी लेने के लिए रिपोर्ट बनाने के लिए अधिकृत किया। इस समिति ने 8 सितंबर 2022 को रिपोर्ट पेश कर कहा कि झीलों में उपरोक्त नावों से झीलों में कोई ऑयल लीकेज नहीं पाया गया। साथ ही पानी मे ऑयल और ग्रीस की मात्रा 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है।

एक तरफ तो कह रहे कि पानी में नाव संचालन से कोई ऑइल लीकेज नहीं पाया गया उधर कह रहे कि पानी मे 10 मिलीग्राम प्रतिलीटर से कम ऑइल/ग्रीस की मात्रा है। ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि कौनसा तथ्य सही है? लीकेज नहीं है तो पानी में ग्रीस/ऑइल कहाँ से आ रहा है। 

इसी बीच राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से झील प्रेमी ज्ञान प्रकाश सोनी द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त की गई RTI में उदयपुर की झीलों को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की जुलाई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार जल गुणवत्ता जाँच रिपोर्ट के आधार पर पीछोला झील का पानी पीने के लायक नहीं है अलबत्ता नहाने लायक़ भी नहीं है क्योंकि पीछोला के पानी में बायोकेमीकल ऑक्सीजन डिमांड 3 से अधिक है। अमूमन पीने के पानी के लिए बायोकेमीकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 2 या इससे नीचे होना चाहिए और नहाने के लिए 3 या इससे नीचे। वही रिपोर्ट के अनुसार फतहसागर का पानी नहाने के लिए उपयुक्त है लेकिन पीने के लिए अनुपयुक्त बताया गया है। 

दिलचस्प और हास्यास्पद बात ये है कि नगर निगम द्वारा हाई कोर्ट को दिए गए शपथ पत्र की बिंदु संख्या 09 में नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (RTO) के निर्देशन में चार सदस्यीय अधिकारियों की समिति 13 जनवरी 2022 को गठित की गई और इस समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा है कि बैटरी/सोलर नावें इसकी बनावट और बैटरी के वजन के कारण झीलों में चलने के लिए फिट नहीं है और पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहीं बिंदु संख्या 10 में कहा कि माननीय हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति ने 23 सितंबर 2022 की मीटिंग में बातचीत में तय किया गया कि एक तकनीकी टीम का गठन कर बैटरी/सोलर नावों का अध्ययन करने के लिए अन्य राज्यों में भेजा जाएगा।

यहाँ ये बात समझ से परे है कि एक ही शपथ पत्र में नगर निगम कह रहा कि बैटरी/सोलर नावें सुरक्षित नहीं होती है। दूसरे बिंदु में कह रहे कि सोलर/बैटरी की नावों के अध्ययन के लिए एक टीम बना कर अन्य राज्यों में भेजा जाएगा। इसका सीधा अर्थ ये निकलता है कि क्या अन्य राज्यों में चल रही बैटरी/सोलर नावें  असुरक्षित है?यदि असुरक्षित है तो उनके अध्ययन के लिए टीम भेजने का क्या औचित्य है?

 

कमोबेश नगर निगम उदयपुर जैसा ही जवाब UIT उदयपुर ने हाई कोर्ट में दिया है।

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