उदयपुर, 15 जनवरी, पिछोला झील को सीवरेज मुक्त करने के लिए बिछाई सीवरेज लाइनो से ही प्रतिदिन लाखो लीटर सीवर मल मूत्र झील मे समा रहा है। झील प्रेमियों ने इसके लिए दोषी लोगों के आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।
झील प्रेमियों ने रविवार को पुराने नाव घाट , लाल घाट से लेकर जाट वाड़ी तक की सीवरेज लाइनो का निरीक्षण किया। सीवरेज लिफ्टिंग पंप के नही चलने तथा लाइनो के मरम्मत व संधारण के अभाव मे सीवर झील मे समा रहा है। पुराने नाव घाट तथा लाल घाट पर झील मे निरंतर सीवर प्रवाह हो रहा है।
निरीक्षण मे सम्मिलित झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने इसे आपराधिक लापरवाही बताया है। मेहता ने कहा कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 262 के तहत यह दंडनीय है। निगम आयुक्त को तुरंत इस धारा के तहत दोषियों को दंड देना चाहिए। वंही जलदाय विभाग को आई पी सी की धारा 277 के तहत पुलिस मे मुकदमा दर्ज करना चाहिए। मेहता ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल जल प्रदूषण निवारण अधिनियम की धारा 33 के तहत न्यायालय मे वाद प्रस्तुत कर सकता है। निगम, जलदाय विभाग व प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कठोर कार्यवाही से ही ऐसे आपराधिक कृत्य रूक पाएंगे।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि क्षेत्र की समस्त होटलों व घरों का दूषित पानी झील मे जा रहा है। पर्यटक सीजन के कारण सभी होटल, गेस्ट हाउस पूरी तरह भरे हैं। ऐसे मे भारी मात्रा मे दूषित जल उत्पादित हो रहा है। यह झील मे जाकर झील को प्रदूषित कर रहा है।
पर्यावरणविद नंद किशोर शर्मा ने कहा कि होटलों, गेस्ट हाउस मे सौंदर्य प्रसाधनो सहित साबुन, शैम्पू, फ्लोर क्लीनर्स व अनेक प्रकार के अन्य रसायनो का बेतहाशा इस्तेमाल होता है। यह सब रसायन झील मे समा रहे है व पेयजल को जहरीला कर रहे हैं।
झील प्रेमी कुशल रावल तथा द्रुपद सिंह ने कहा कि नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ यह खिलवाड असहनीय है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी कहा जाने वाला उदयपुर झीलों मे मल मूत्र पूरी तरह नही रोक पा रहा है। यह संपूर्ण व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह है।