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Udaipur / राजस्थान की रुपीना अरोड़ा: दो पहियों पर सवार एक अदम्य सफर

clean-udaipur राजस्थान की रुपीना अरोड़ा: दो पहियों पर सवार एक अदम्य सफर
दिनेश भट्ट (Twitter: @erdineshbhatt) March 13, 2025 08:35 AM IST

राजस्थान की रुपीना अरोड़ा: दो पहियों पर सवार एक अदम्य सफर

उदयपुर, राजस्थान। उदयपुर की झीलों के शहर से निकलकर, रुपीना अरोड़ा ने साबित किया है कि जुनून और जज़्बा हो तो इंसान दुनिया की किसी भी चुनौती को अपने दो पहियों से पार कर सकता है। बाइकिंग को जीवन का "थेरेपी" मानने वाली रुपीना ने अपने लॉर्ड एवेंजर बाइक पर 70,000 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करके न सिर्फ़ राजस्थान बल्कि पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल कायम की है।  

 

बाइकिंग: एक जुनून, एक थेरेपी 

रुपीना के लिए बाइकिंग सिर्फ़ यात्रा का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा को आज़ादी देने का ज़रिया है। वह कहती हैं, *"मैं बाइक इसलिए नहीं चलाती कि ज़िंदगी के दिन बढ़ जाएं, बल्कि इसलिए कि हर दिन में ज़िंदगी भर जाए।"* उनके लिए, बाइक की रफ़्तार, इंजन की धड़कन, और चेहरे पर लगती हवा का झोंका ही वह मंत्र है जो तनाव को दूर करता है और मन को शांति देता है।  

वूमेंस डे इंटरनेशनल राइड : मध्य प्रदेश टूरिज्म द्वारा आयोजित 

महिला दिवस पर हुई वूमेंस डे इंटरनेशनल राइड जो कि मध्य प्रदेश टूरिज्म द्वारा आयोजित की गई थी और राइट क्वीन ऑफ़ व्हील्स- 2 अभियान का हिस्सा थी। राइड के दौरान चंदेरी ,ओरछा ,ग्वालियर, भोपाल, सागर ,बेतवा और मुरैना होते हुए 1100 किलोमीटर क्षेत्र में हेरिटेज पॉइंट्स को कवर किया गया।

हिमालय से लद्दाख तक: असंभव को संभव किया

रुपीना की यात्राओं में नेपाल के रमणीक पर्वत, हिमाचल और उत्तराखंड के ऊंचे रास्ते, जोधपुर के रेतीले इलाके, चंडीगढ़ की सड़कें, और विंटर स्पीति की बर्फीली चुनौतियां शामिल हैं। लेकिन उनकी सबसे यादगार उपलब्धि रही **लद्दाख में भारतीय सेना के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023** का जश्न मनाना। यह घटना न सिर्फ़ उनके साहस को दर्शाती है, बल्कि सेना जैसे संस्थान में महिलाओं की भूमिका को भी रेखांकित करती है।  

"यह सिर्फ़ शुरुआत है"

रुपीना का मानना है कि यह सफर अभी बस शुरुआत है। वह कहती हैं, "सड़कें मुझे बुलाती हैं, और मैं हर बुलावे का जवाब देने को तैयार हूं।" उनकी नज़र अब और दूर के सफर पर है, जहां वह नए लोगों को प्रेरित करना चाहती हैं कि लैंगिक बंधनों को तोड़कर अपने सपनों को पंख दें।  

 

समाज के लिए संदेश

रुपीना की कहानी सिर्फ़ एक बाइकर की नहीं, बल्कि हर उस महिला की है जो समाज की सीमाओं को लांघकर अपनी पहचान बनाना चाहती है। उदयपुर से लेकर लद्दाख तक का उनका सफर यही सिखाता है कि "जहां चाह, वहां राह"– बस हौसला बुलंद होना चाहिए।  

आगे का सफर

रुपीना अरोड़ा अब अपनी अगली मंजिल की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि वह देश के युवाओं, खासकर लड़कियों को यह संदेश देना चाहती हैं कि "जिंदगी की सबसे बड़ी रेस खुद से होती है। और इसमें जीतने के लिए बस अपने पैशन पर भरोसा रखो।"  

 

रिपोर्ट: स्थानीय संवाददाता

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