उदयपुर, 06 नवंबर 2022 : उदयपुर की पेयजल झीलों में प्रदूषण कोई नई बात नहीं है। इसको लेकर जहाँ यहाँ के झील प्रेमी लगातार इसके लिए आवाज उठा रहे है ,वहीं यहाँ के अधिकारी बिना विवेक के उल जुलूल अनुमति दिए जा रहे है। ऐसा ही एक मामला लगभग आधे उदयपुर को पानी पिलाने वाली पेयजल झील जयसमंद को लेकर आया है।
क्या है मामला
दरअसल जिला परिवहन अधिकारी और बोटिंग अनुज्ञप्ति अधिकारी ने 24 नवम्बर 2021 को जयसमंद सहित उदयसागर, पीछोला,फतहसागर आदि झीलों में उदयपुर जिला कलेक्टर की 22 नवम्बर 2021 की मीटिंग में लिए निर्णयों की अनुपालना में समस्त नावों में 6 महीने के भीतर यूरो 6 इंजन लगाने के आदेश दिए थे। निर्णय की समयबद्ध पालना नहीं करने पर बोटिंग लाइसेंस सहित नाव की फिटनेस निरस्त करने की चेतावनी भी दी गयी थी।
इसके बावजूद जिला परिवहन अधिकारी ने 22 जुलाई 2022 को रसूखदारों की नावों को डीज़ल इंजिन वाली नाव चलाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ लाइसेंस जारी कर दिए। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जिला कलेक्टर के आदेशों को उदयपुर का परिवहन विभाग जानबूझ कर दरकिनार कर रहा है या रसूखदारों का प्रेशर और गुलाबी कागज की मित्रता के आगे जनता के स्वास्थ्य को खिलवाड़ पर रख कर जयसमंद की झील में डीजल इंजन नावों के संचालन की अनुमति दी जा रही है ?
सूत्र बता रहे कि कुछ नाव संचालकों ने अपने नाव के इंजन पेट्रोल पर परिवर्तित कर दिए है लेकिन इनकी संख्या नगण्य ही है। लेकिन रसूखदारों की नावें आज भी डीजल इंजन से चल रही है और इन्हें बदस्तूर अनुमति भी दी जा रही है।
इससे पहले उदयपुर शहर की पेयजल झीलों यथा पिछोला और फतहसागर झील में तो पेट्रोल-डीजल नावों को हटाकर सोलर/बैटरी चलित नावें चलवाने के सम्बन्ध में हाइकोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को एडवाइजरी तक जारी की है और दूसरी तरफ उदयपुर का परिवहन विभाग जयसमंद की पेयजल झील में डीजल चलित नावों को बेखटके अनुमति दिए जा रहा है और जिला कलेक्टर के आदेशों की अनदेखी तक करने से परहेज नहीं कर रहा है।
वही दूसरी और नाव संचालकों के तर्क है कि फिलहाल भारत में नावों के यूरो 6 इंजिन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में वे कैसे आदेशों की अनुपालना कर सकते है? लेकिन डीजल इंजन को हटाकर क्या पेट्रोल इंजन नहीं लगाए जा सकते जो अपेक्षाकृत कम प्रदूषण करते है । आपको बताते चले कि केरल सहित वाराणसी,राजस्थान के डूंगरपुर, उदयपुर के पीछोला में सोलर/बैटरी चलित नावें सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। ऐसे में क्या कारण है कि उदयपुर को पीने का पानी सप्लाई करने वाली पेयजल झील जयसमन्द में डीजल इंजन नावों को संचालित करने की नई अनुमतियां परिवहन विभाग जारी कर रहा है?
कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि झीलों औऱ स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ जलीय जीवों के प्रति स्थानीय प्रशासन का रवैया लापरवाही की पराकाष्ठा पार कर चुका है। पूरे कुँए में भांग मिलाकर जनता के स्वास्थ्य को दरकिनार कर स्थानीय प्रशासन रसूखदारों की मित्रता के आगे नतमस्तक दिखाई दे रहा है।