उदयपुर, 08 नवम्बर 2022: उदयपुर में सरकारी वाहनों के द्वारा सड़कों पर लापरवाही कर दुर्घटना कारित करने के केस आम होते जा रहे है। वही आम जनता सरकारी वाहनों से हिट एंड रन का शिकार होती जा रही है। लेकिन उदयपुर पुलिस की कार्यकुशलता की बानगी देखिये कि 8 दिन से ज्यादा होने पर भी पुलिस न तो दुर्घटना कारित करने वाले वाहन को पकड़ पाती है और न ही ड्राइवर को। इस पर नीम चढ़ी बात और ये सूत्र बताते है कि दुर्घटना कारित करने वाले वाहन का फिटनेस तक नहीं है और वाहन चलाने वाला नशे में था।
कुछ ऐसा ही वाक्या 30 अक्टूबर 2022 की शाम उदयपुर के अम्बामाता थाना क्षेत्र के रानी रोड़ पर रविवार को हुआ, जिसमें रोंग साइड में तेज गति से आ रही जिप्सी ने बाइक सवार युवकों को चपेट में ले लिया। टक्कर के बाद घायलों को अस्पताल पहुँचाने की बजाय टक्कर मारने वाली सरकारी गाड़ी मारुति जिप्सी (RJ14 UA 3012) वन विभाग के किसी बड़े अधिकारी की बताई जा रही है।
घटनास्थल पर भीड़ इकट्ठा होते देख जिप्सी ड्राइवर घायलों को अस्पताल ले जाने के बजाय भाग गया। मौके पर उपस्थित राहगीरों और परिचितों की मदद से घायल अर्पित और मोनिल को अस्पताल पहुँचाया गया।अत्यधिक गंभीर चोट लगने पर अर्पित सिंह को अहमदाबाद ले जाना पड़ा ,जहाँ उसका आपरेशन किया गया।
यहाँ ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि सरकारी गाड़ी के नंबर पता होने के बाद भी 8 दिनों तक उदयपुर पुलिस गाड़ी और चालक को डिटेन नहीं कर पाई है।उच्चाधिकारियों से बात करने पर बताया गया कि मामले की जांच जारी है और घायल अर्पित के बयानों के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। लेकिन एक अन्य घायल साथी मोनिल का मेडिकल भी हुआ और क्या उसके बयान के आधार पर कार्यवाही नहीं की जा सकती ?
साथ ही दुर्घटनाकारित करने वाले वाहन की फ़ोटो और नंबर कई मीडिया में शेयर किए गए थे। अमूमन सामान्य मामलों में पुलिस दुर्घटना कारित करने वाले वाहन को तुरंत थाने ले आती है लेकिन इस सरकारी वाहन के इस मामले में 8 दिन तक वाहन जब्त नहीं किया जाना और ड्राइवर को गिरफ्तार नहीं करना अम्बामाता पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न पैदा करता है।
ऐसे में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि सरकारी वाहन को यदि नशे में संचालित किया जाएगा तो आम जनता की जान की सुरक्षा कौन करेगा? उस पर पुलिस विभाग की लेट लतीफी कोढ़ में खाज का काम कर रही है।