उदयपुर, 16 सितंबर 2022: जहां एक तरफ जल संसाधन विभाग लगातार उदयसागर के पानी को शहर में पिलाने की मांग कर रहा है तथा हाल ही में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ( डी. एम. एफ. टी.) की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में जिला प्रशासन ने तत्काल इस योजना पर काम करने के निर्देश दिए है ,वहीं दूसरी और टॉप ट्वेंटी में चुनी गई उदयपुर स्मार्ट सिटी द्वारा एनजीटी के सख्त निर्देशों की लगातार उपेक्षा कर उसमें घुल रहे सीवेज को रोकने की जगह सौंदर्यीकरण पर 75 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
उल्लेखनीय है कि जहां प्रन्यास ने आयड़ पर 70 लाख रुपए खर्च कर 139 नाले चिन्हित किए है तथा उनमें से 81 नाले दाहिनी ओर तथा 58 बांयी ओर चिन्हित किए है वहीं निगम तथा रुडिप केवल 38 नाले ही मानता है। इस प्रकार केवल 38 नालों को ही सीवरेज सिस्टम से जोड़ा जा रहे है। 101 नालों से बहता हुआ सीवेज उदयसागर में पहुंच रहा है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने तीन वर्ष पूर्व सभी निकायों को चेतावनी देते हुए निर्देश दिए थे कि मार्च 2021 तक "यदि नदियों में मलजल को प्रवाहित करना नहीं रोका जाता है तो उसके लिए स्थानीय निकाय जिम्मेदार है तथा उसके मुखिया को प्रॉसिक्यूट किया जाएगा " । इसी आधार पर
हाल ही में कई राज्यों पर पेनाल्टी लगाई गई है। राजस्थान में भी कई नदियों को प्रदूषित करने पर पूर्व में भारी पेनल्टी लग चुकी है। पिछले वर्षों में बालोतरा,जसोल, बिठूजा,के औद्योगिक प्रदूषण द्वारा लूणी नदी को प्रदूषित करने पर 30 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है, बाड़मेर प्लांट पर इसी नदी को प्रदूषित करने पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया है। बांडी नदी को प्रदूषित करने पर 20 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। भीलवाड़ा में तो तीन माह पूर्व दो करोड़ चालीस लाख का जुर्माना कोठारी नदी में बिना उपचारित 10 एमएलडी सीवेज डालने पर लगाया गया है।
तथा कल ही उत्तर प्रदेश पर 120 करोड़ रुपए का जुर्माना सीवेज को नदी में अनुपचारित डालने पर लगाया है।
दो दिन पूर्व सीवरेज टास्क फोर्स के पूर्व सदस्य प्रो. महेश शर्मा ने स्मार्ट सिटी उपाध्यक्ष एवं कलेक्टर को पत्र लिख कर खुलासा किया कि ना सिर्फ भारी मात्रा में सीवेज बह कर आयड़ नदी के माध्यम से उदय सागर पहुंच रहा है बल्कि नदी के पेटे में बिछाई गई सीमेंट की सीवरेज लाइन जगह जगह से टूट चुकी है तथा मलजल नदी में बह रहा है।
इस खुलासे के बाद राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रभारी श्री शरद सक्सेना ने तत्काल प्रो. शर्मा से संपर्क कर नदी में घुल रहे सीवेज को चिन्हित करने में मदद को कहा, तथा उनके साथ नदी में बताए गए पांच अलग अलग स्थानों से आरपीसीबी दल ने पानी के सैंपल लिए।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल दल ने पासपोर्ट ऑफिस के पीछे , रघुकुल कांप्लेक्स, रिवर व्यू, आयड़ शमशान घाट, ढीमडी गांव के पीछे,डोरे नगर तथा नेहरू हॉस्टल के पास सतोरिया नाले से भारी मात्रा में बह कर आने वाले सीवेज के सैंपल लिए। जिनका शीघ्र विश्लेषण कर प्रदूषण की मात्रा का पता लगाया जाएगा।
श्री सक्सेना ने डोर नगर से नदी में गोवर्धनविलास, सविना, सेक्टर 11,12,13,14 तथा सेंट्रल एरिया क्षेत्र से भारी मात्रा में बह कर आने वाले मलजल को आयड़ नदी में बह रहे पानी के बराबर पाया जो भयंकर रूप से प्रदूषित है।
उल्लेखनीय है कि पूरी दुनियां में प्रदूषण को चिन्हित करने के लिए सर्व प्रथम विजुअल मेथड काम में लिया जाता है जहां देख कर ही प्रदूषण को चिन्हित किया जाता है वहां रासायनिक विश्लेषण की जरूरत ही नहीं है। फिर भी पुख्ता दावे के लिए मलजल का विश्लेषण कर घातक तत्वों का पता लगाया जाएगा।
श्री सक्सेना ने ढीमड़ी गांव में नदी किनारे खुले में शौच मुक्ति योजना के तहत बनाए गए शौचालय के पाइप को नदी में खुला छोड़ने पर आश्चर्य व्यक्त किया जब कि पास से सीवरेज लाइन गुजर रही है। उन्होंने मकान मालिक को आश्वस्त किया कि उनके शौचालय को शीघ्र चालू करवाने के लिए कार्यवाही की जाएगी।