उदयपुर,18 जनवरी 2022 : विश्व प्रसिद्ध उदयपुर जो अब स्मार्ट सिटी बनने की और बढ़ रहा है, यहाँ रहना अब गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के लिये मुश्किल बनता जा रहा है। उदयपुर में वैसे भी भूखण्ड / मकान या फ्लैट लेना एक सपने के समान होता है । पूरे जीवन भर की कमाई भी लग जाये तो सपना पूरा होना मुश्किल ही होता है । मकान व दुकान का किराया भी कम नही है शहर में । एक आम आदमी की आय का आधा हिस्सा खर्च हो जाता है इसे भरने मे। एक जंग सी लड़नी पड़ती है जीवन को जीने के लिये।
एक आम आदमी को खुद का मकान बनाने की अनुमति प्राप्त करने के लिये कई तरह के शुल्कों का भुगतान करना पड़ता है। कई तरह के नए शुल्क भी विगत वर्षों मे लागू किये गए हैं ,जिसकी वजह से भवन अनुमति प्राप्त करने की लागत बेतहाशा बढ़ चुकी है। भूखण्ड क्षेत्रफल अनुसार न्यूनतम शुल्क 10 हजार से लेकर लाखो रुपये तक पहुँच चुका है।
आवेदक को भवन अनुमति के लिये जो शुक्ल तकलीफ देय लगते है उनमें प्रमुख है :-
(1) नगरीय विकास शुल्क
(2) वर्षा जल संग्रहण शुल्क
(3) वृक्षारोपण शुल्क
(4) फायर सेस
(5) पार्किंग शुल्क
(6) BSUDP शेल्टर फण्ड
(7) श्रम विभाग का शुल्क
इसके अलावा अब शहरवासियों से कचरा संग्रहण शुल्क भी लिया जाना प्रारंभ किया जा रहा है जिसकी वजह से छोटे दुकानदार बुरी तरह प्रभावित हो रहे है।
कोरोना के कारण हुई आर्थिक मंदी से पीड़ित आम जनता को लगता है कि अब शहर में सांस लेने का शुल्क न शुरू कर दिया जाए।