उदयपुर, 06 अगस्त 2022 : उदयपुर पर्यटन के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है और लाखों लोग यहाँ घूमने और प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने आते है। कमोबेश हर पर्यटक यहाँ की पीछोला झील के पास दूध तलाई पर करनी माता रोपवे जरूर जाता है। जहाँ पर्यटकों को पीछोला झील के विहंगम नजारे के साथ उदयपुर सिटी के भी दीदार होते है और माँछला मगरा से शहर की खूबसूरती के फोटो लेकर पर्यटक आल्हादित हो जाते है। पर्यटकों के प्रमुख स्पॉट की पसंद के रूप में करणी माता रोपवे की अलग पहचान बन गयी है। लेकिन करणी माता रोपवे पर सुरक्षा और संचालन संबंधित कुछ प्रश्न ऐसे है जो आने वाले समय में मुसीबत का कारण बन सकते है। वैसे भी देश भर में रोपवे ट्रॉली के कई हादसे इस साल सामने आए है, जिनमें कई लोगों की जान तक चली गयी है। इन हादसों में उत्तराखंड के सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे पर झारखंड के देवघर जैसे हादसे में बीजेपी विधायक समेत करीब 60 लोग हवा में लटके रहे। इससे पहले गत अप्रैल में झारखंड के देवघर जिले के त्रिकूट पहाड़ियों पर रोपवे की केबिल कार के हवा में फंसने पर भारतीय वायु सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और स्थानीय प्रशासन द्वारा 40 घंटे का लंबा बचाव अभियान चलाया गया, लेकिन तीन लोगों की मौत हो गई। हालांकि 12 लोगों को बचाया भी गया। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के परवानू टिम्बर ट्रेल में गत जून में एक केबल कार में 11 लोग घंटों तक फंसे रहे और एनडीआरएफ तथा अन्य एजेंसियों ने छह घंटे के लंबे अभियान के बाद उन्हें बचाया। इसी तरह मई में मध्य प्रदेश में सतना जिले के मैहर में पहाड़ी की चोटी पर स्थित देवी ‘शारदा’ के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों के केबल कार में फंसने के लगभग एक घंटे बाद बचाया गया। देवघर रोपवे दुर्घटना के तुरंत बाद, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर प्रत्येक यात्री रोपवे परियोजना का सुरक्षा ऑडिट करने और दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लागू करने के लिए कहा था।
लेकिन उदयपुर अब तक सौभाग्यशाली रहा है कि यहाँ अब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है। इसका मतलब ये नहीं कि यहाँ सब कुछ चाक चौबंद है। करणी माता रोपवे पर जो सबसे बड़ी खामी नजर आई वो ये कि रोपवे का अँधेरा होने के बावजूद ट्रॉली संचालन का किया जाना है। यदि ऐसे समय कोई तकनीकी खामी आ जाती है तो निःसंदेह आपाधापी पैदा हो सकती है और रेस्क्यू के काम में भी बाधा आ सकती है।
अग्निशमन के लिए प्रावधान- राजस्थान रोपवे अधिनियम 2000 के तहत रोपवे प्रबंधन को आग लगने से सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय करने आवश्यक है और और रोपवे प्रतिष्ठान और उसकी सभी प्रणालियों में आवश्यक अग्नि शमन उपकरण स्थापित करने होते है।इसके साथ ही ट्रॉली के अंदर, ड्राप एंड पिक स्टेशन पर अग्निशामक यंत्रो का होना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन उदयपुर के करणी माता रोपवे पर अग्निशमन के उचित उपकरणों का अभाव देखा जा रहा है और दुर्घटना की स्थिति में हालात विकट होने की पूरी संभावना है।
आरोप-सुरक्षा मानक के अनुसार नहीं हो रहा संचालन
रोप वे के संचालक की ओर से रोप वे संचालन के दौरान सुरक्षा मानकों के नियमों की पालना में कोताही की जा रही है। करणी माता रोप वे खोलने की अनुमति जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति ली थी। उस दौरान संचालन को लेकर राजस्थान रज्जुमार्ग अधिनियम 2000 के शर्तों के तहत जो शर्त रखी थी उनकी पालना तक नहीं की जा रही। सूत्रों के अनुसार निजी कंपनी की ओर से संचालित रोप वे पर न तो यात्रियों की सुरक्षा को लेकर नियमों की पालना की जा रही हैं ना ही नियमानुसार यात्री सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है।
प्रवेश तथा निकास वाले स्थान पर सुलभ सुविधाएं भी नहीं होने से खासकर महिला यात्रियों को काफी असुविधा होती हैं। इतना ही नहीं यात्रियों के लिए पीने के पानी तक की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। नियमानुसार रोप वे संचालक को किसी दुर्घटना के दौरान दुर्घटना के शिकार यात्रियों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाने के साथ कंपनी की ओर से फर्स्ट एड किट और एंबुलेंस सुविधा भी होनी चाहिए मगर ऐसा नहीं हैं। रोपवे प्रबंधन को आपात स्थिति के दौरान उपयोग किए जाने के लिए रोपवे सिस्टम के सुविधाजनक स्थान पर सामान्य अप्रतिबंधित दवाओं सहित प्राथमिक चिकित्सा सामग्री का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखना होता है।इसके साथ ही प्रमोटर को अपने कुछ कर्मचारियों को प्राथमिक उपचार की आवश्यकता वाले मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करवाना जरूरी होता है और स्थिति की आवश्यकता होने पर तत्काल राहत के लिए निकटतम अस्पताल, औषधालय और चिकित्सा व्यवसायी के संपर्क में रहना जरूरी होता है।
खुले केबिन से बिगड़ रहा पर्यावरण : माछला मगरा की पहाडिय़ा रिजर्व फॉरेस्ट कंजर्वेशन घोषित हैं,यहां पर्यावरण को लेकर विशेष ध्यान रखना होता हैं। मगर रोप में लगे कैबिन खुले होने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। रोप वे से जाने वाले यात्री पोलीथिन बैग अन्य खाद्य वस्तुएं लेकर रोप वे से सफर करते हैं। जिससे कई बार यात्रियों की ओर से पोलीथिन अथवा बची खाद्य सामग्री पहाडिय़ों में फेंक दी जाती हैं। जिससे क्षेत्र में विचरण करने वाले वन्यजीव खाने के साथ बीमार हो जाते हैं।
तकनीकी स्टाफ नहीं होने के है आरोप : रोपवे पर प्रशिक्षित योग्य इंजीनियर, फोरमैन, फीटर तथा इलेक्ट्रिशियन होने चाहिए। रोप वे में मौजूदा कर्मचारी की शैक्षणिक योग्यता की जांच होनी चाहिए जिससे यहां तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति हो सके।
ठेका देने वाला निकाय और जिला कलेक्टर के पास विधिक अधिकार है कि किसी भी ऐसे रोपवे के सुरक्षा संबधी तथ्यों की जांच अपने स्तर पर माकूल निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि रोप वे में एक साथ कई यात्री सफर करते है।
राजस्थान रोप वे अधिनियम 2000 के तहत प्रत्येक प्रवर्तक या उसका रोपवे प्रबंधक प्रत्येक रोपवे प्रणाली के लिए नियमित रूप से निरीक्षणों का रजिस्टर बनाए रखेगा और दिन-प्रतिदिन के सभी आवश्यक विवरण और आवधिक निरीक्षणों को इन नियमों के साथ संलग्न प्रपत्र 'सी' में रखा जाएगा और लाइसेंसिंग प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा या जिला निरीक्षक या मुख्य निरीक्षक या रोपवे जब भी रोपवे प्रणाली का निरीक्षण करने आते हैं।
जिला निरीक्षक को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी भी रोपवे का किसी भी समय निरीक्षण करने की शक्ति होती है और प्रत्येक रोपवे का तिमाही में कम से कम एक बार निरीक्षण करना आवश्यक होता है। लेकिन जिला निरीक्षक द्वारा कितनी बार निरीक्षण किया गया है,ये जांच का विषय है ।
एक बार अनुमति देने के बाद सरकारी अमला कुम्भकर्णी नींद सो जाता है। कोई जिम्मेदार अधिकारी दो -तीन महीने में भी रोपवे स्पॉट पर जाकर ये इंस्पेक्शन करने की जहमत नहीं उठाता कि ट्रालियों का संचालन ठीक से हो रहा है या नहीं। या तय वक़्त पर पर्याप्त सर्विसिंग न होने से कोई तकनीकी ख़राबी का ख़तरा पैदा हो सकता है, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है।
उदयपुर UIT जवाब देने में कर रही आना कानी
फिलहाल उदयपुर का UIT, जिसने करणी माता रोपवे का टेंडर निजी पार्टी को दिया है , वो रोपवे के संबंध में प्रश्नों के उत्तर देने से कन्नी काटते नजर आ रही और RTI के माध्यम से सूचना देने में कोताही बरत रही है। यहाँ तक कि करणी माता रोपवे पर लोअर और अपर स्टेशन पर स्थित रेस्टोरेंट की स्वीकृति और व्यावसायिक उपयोग के लिए अधिकृत भूमि सम्बन्धी की जानकारी तक देने में UIT को पसीना आ रहा है।
इसके साथ ही UIT उदयपुर ने दूध तलाई क्षेत्र स्थित करणी माता रोप वे संचालक को रोप वे संचालित करने हेतु दी गई समस्त स्वीकृति पत्रों की सूचना प्रदान देने में भी आनाकानी की है।साथ ही दूध तलाई क्षेत्र स्थित करणी माता रोप वे संचालक को रोप वे संचालित करने हेतु दी गई लोअर स्टेशन व अपर स्टेशन बनाने हेतु कितनी भूमि आवंटित की गई है , इसे बताने में भी कंजूसी की है। इसके साथ ही दोनो रेस्टोरेंट के क्षेत्रफल की सूचना मय नक्शो और दस्तावेजों भी RTI के मार्फ़त शेयर नहीं किये गए है।
साथ ही दूध तलाई क्षेत्र स्थित करणी माता रोप वे संचालक को रोप वे संचालित करने के साथ अन्य किन किन व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करने की स्वीकृति दी गई है,इसके लिए भी UIT ने कोई जवाब नहीं दिया है। दूध तलाई क्षेत्र स्थित करणी माता रोप वे संचालक को रोप वे संचालित करने के लिये किये गए अनुबंध पत्र की सूचना देने में भी कोताही बरती गई है।
आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में दूध तलाई क्षेत्र स्थित करणी माता रोप वे संचालक को रोप वे संचालित करने के दौरान रोपवे में बैठने वाले टिकट धारियों की सुरक्षा हेतु किये गए प्रबंधों व आकस्मिक हादसों के समय रेस्क्यू कार्य करने हेतु किये गए प्रबंधों की सूचना देने में भी कोताही बरती गई है।
इस तरह कई अन्य प्रश्नो के उत्तर देने में भी UIT उदयपुर ने गोलमाल करते हुए गुमराह करने की कोशिश की है,जिसे अगली खबर में प्रकाशित किया जाएगा।
नियमानुसार क्या क्या सुविधाएं होनी चाहिए रोपवे पर -
(1) सार्वजनिक रोपवे का प्रमोटर रोप वे सिस्टम का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के सुरक्षित, सुविधाजनक और आरामदायक रहने के लिए प्रवेश और निकास बिंदुओं पर आवश्यक व्यवस्था करेगा।
(2) शुद्ध पेयजल की सुविधा प्रवेश या विद्यमान बिंदुओं के साथ-साथ विभिन्न उप-प्रणालियों या जंक्शनों पर भी उपलब्ध कराई जा सकती है। गर्मियों के दौरान, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उपलब्ध कराया गया पानी ठंडा हो।
(3) प्रवर्तक द्वारा सभी प्रवेश, निकास और प्रतीक्षा स्थानों पर शौचालयों और मूत्रालयों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
(4) जहां कोई स्टॉल या ईटिंग जॉंट या काउंटर या कोल्ड ड्रिंक या गर्म पेय के स्टॉल या तो प्रमोटर द्वारा या उसके द्वारा लाइसेंस के तहत उसके नियंत्रण या कब्जे वाले परिसर में उपलब्ध कराए जाते हैं, यह सुनिश्चित करेगा कि इन सभी चीजों की उचित दरों से शुल्क लिया जाता है व्यक्तियों और प्रत्येक काउंटर या स्टाल को स्पष्ट रूप से दर चार्ट प्रदर्शित करना होगा।
(5) यदि क्षेत्र/नगर/शहर में आपूर्ति की गई चीजों की उस श्रेणी की तुलना में दरें अधिक पाई जाती हैं, तो लाइसेंसिंग प्राधिकरण दरों को विनियमित कर सकता है और प्रमोटर को विक्रेताओं से उचित अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दे सकता है।
(6) जहां इस नियम के तहत निर्दिष्ट नागरिक सुविधाओं, सुविधाओं की कमी या अपर्याप्तता पाई जाती है, लाइसेंसिंग प्राधिकरण प्रमोटर को रोपवे का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता कर सकता है।
(7) लाइसेंसिंग प्राधिकारी के निर्देशों का पालन न करना लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन माना जा सकता है।