विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा गुरुवार को एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉक्टर एकता हुसैन ने स्वागत उद्बोधन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की । मुख्य वक्ता प्रोफेसर जीएस कुम्भावत ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस यू एन ओ द्वारा 1994 में सर्वप्रथम मनाया गया। सरकार द्वारा आदिवासियों को समय-समय पर कई योजनाएं लागू कर प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही बताया कि सरकार ने आदिवासियों के लिए विशेष रूप से संवैधानिक अधिकारों को लेकर अपनी विरासत बढ़ाने का कार्य किया राजस्थान में सरकार द्वारा जनजाति क्षैत्रीय विकास विभाग की स्थापना भी की जो संवैधानिक मूल्य के आधार पर कार्य कर रहा है ।
जनजाति उप योजना क्षेत्र ,टी एस पी ,टाडा और माडा जैसी योजनाओं से जनजातियों को लाभान्वित कर रहे हैं। प्रोफेसर कुंपावत ने संविधान की अनुच्छेद और अनुसूचियां को बताते हुए पांचवी अनुसूची में दिए गए संवैधानिक अधिकारों के बारे में भी चर्चा की। सरकार द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति ,उप योजना जनजाति कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, अस्पृश्यता निवारण कानून, नागरिक अधिकार कानून, अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के बारे में विशेष चर्चा कर व्याख्यान में उपस्थित गणमान्यों को लाभान्वित किया ।इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रोफेसर मलय पानेरी ने उनकी संस्कृति के बारे में बताया कि हमको जनजातीय आदिवासियों से सीखना चाहिए कि किस तरीके से एकजूट होकर रहा जाता है क्योंकि आदिवासी सिर्फ परिवार के बारे में ही नहीं सोचते बल्कि संपूर्ण समुदाय के हितों की भी रक्षा करते हैं और उनके हित भी सोचते हैं । एकेडमिक निदेशक डॉक्टर हेमेंद्र चौधरी ने बताया कि जनजातियों की परिभाषा को ऐतिहासिक परिपेक्ष के अनुसार अपने विचार व्यक्त किया ।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सी एल भगोरा ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर पंकज रावल , डॉक्टर युवराज सिंह राठौड़, शोधार्थी विकास मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त किया कार्यक्रम में प्रोफेसर शारदा भट्ट डॉ रानी प्रभा डॉ कुसुम डॉक्टर ममता पानेरी डॉ ममता पुरबिया डॉक्टर शाहिद हुसैन डॉक्टर अमोस डॉ चित्रा डॉ आरती डॉ लवली डॉ नारायण डॉक्टर मोनिका आदि उपस्थित थे