उदयपुर, 2 अक्टुबर 2022 : नागरिकों के जीवन व झील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा बोट आधारित निजी व्यवसाय से ज्यादा महत्वपूर्ण है।यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद मे रखे गए।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि मोटर बोटस से पक्षियों का, जलीय जीवों का जीवन और पूरा झील पर्यावरण तंत्र संकट मे पड़ रहा है। यह पीने के पानी की झील है। हमारे लिए पानी का कलश है।घर केपीने के पानी के मटके (कलश) मे कागज की नाव भी नही चलाते। लेकिन कुछ लोगों के लिए पर्यटक और उनसे कमाई महत्वपूर्ण है और वे झील को यातायात का साधन बनाने पर तुलें हैं।
आश्चर्य है कि झीलों व नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करने वाले , स्पीड बोट, मोटर बोट व नाव यातायात बढ़ाने वाले तर्क प्रस्तुत किये जा रहे है।
तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि जीवनदायिनी झीलों की सुरक्षा के साथ समझौता नही किया जा सकता। झीलें स्वच्छ, सुरक्षित रहेगी तभी पर्यटन व्यवसाय भी बचेगा। झीलों के लिए चप्पू वाली नावें सर्वाधिक उपयुक्त है। ये रोजगार के अवसर भी बढायेगी।
नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि पेयजल की झीलों में डीजल पेट्रोल संचालित नावों व स्पीडबोट का संचालन मानव स्वास्थ्य व प्रवासी पक्षियों, जलचरों के लिए घातक हैं। प्रवासी पक्षी प्राकृतिक पर्यटक व मेहमान हैं। इनके आवासों को बचाना ही होगा।
कुशल रावल ने कहा कि मुंबईया मार्केट की ग्राहकी का बोटिंग से कुछ भी लेना देना नहीं है। बोटिंग से ही उदयपुर का पर्यटन है,यह कहना उदयपुर की विरासत, पहाड़, पेड़, पानी, इतिहास, संस्कृति का अपमान है।
द्रुपद सिंह ने कहा कि साफ पानी, स्वच्छ झीलों से ही पर्यटन व्यवसाय बना रह सकता है।
संवाद से पूर्व झील स्वच्छता श्रमदान किया गया।श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, तेज शंकर पालीवाल, द्रुपदसिंह, सुमित विजय, कुशल रावल, राम पुजारी नन्द किशोर शर्मा इत्यादि ने भाग लिया।