उदयपुर, 22 फरवरी। सरकार की योजनाओं का यदि सफल क्रियान्वन और नियमित मॉनीटरिंग हो तो इलाका चाहे कितना भी पिछड़ा क्यों न हो, तस्वीर बदलते देर नहीं लगती। कागजों से निकलकर योजनाएं जब धरातल पर साकार होती हैं, तो आम आदमी की जिंदगी में स्वाभिमान और स्वावलम्बन के रंग खुद-ब-खुद भरते चले जाते हैं। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य की लोक कल्याणकारी सरकार के सार्थक प्रयासों का सकारात्मक असर देखना हो, तो उदयपुर जिले का कोटड़ा अपने बदलाव की कहानी खुद कहता है।
कभी था काला पानी, आज हर मोड़ पर बदलाव की कहानी
कोटड़ा कभी काला पानी के नाम से जाना जाता था, लेकिन आज राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सफल क्रियान्वयन का मॉडल बन गया है गुजरात से सटा उदयपुर जिले का यह जनजाति बाहुल्य इलाका। प्रचुर प्राकृतिक सम्पदा और जनजाति संस्कृति के अद्भुत नजारों के बीच राज्य सरकार की योजनाओं ने कोटड़ा की काया पलट दी है। कोटड़ा पंचायत समिति का स्लोगन- “मुस्कुराइए, आप कोटड़ा में हैं।” भी इसी बदलाव को रेखांकित करता है।
तीन साल में सर्वाधिक वृद्धजन पेंशन कोटड़ा में स्वीकृत
उदयपुर जिले में पिछले तीन साल में सर्वाधिक वृद्धजन पेंशन योजना का लाभ कोटड़ा को मिला है। 30 जनवरी 2019 से 19 फरवरी 2022 की अवधि में उदयपुर जिले में कुल 91 हजार 794 वृद्धजन पेंशन के लाभार्थी जुड़े है। इनमें सर्वाधिक संख्या कोटड़ा से 12 हजार 520 वृद्धजन पेंशन की हैं। उदयपुर ग्रामीण क्षेत्र में इस अवधि में कुल 84 हजार 525 वृद्धजन पेंशन स्वीकृत हुई है, जबकि उदयपुर जिला मुख्यालय सहित चारों नगरपालिकाओं में 7 हजार 269 वृद्धजन पेंशन स्वीकृत हुई है। इन सबमें कोटड़ा पहले नंबर पर है। इसके बाद मावली, गिर्वा, सलूम्बर और झल्लारा पंचायत समिति का नंबर आता है।
मावली, गिर्वा, सलूम्बर और झल्लारा टॉप फाइव में
30 जनवरी 2019 से 19 फरवरी 2022 तक मावली में 7 हजार 885, गिर्वा में 5 हजार 315, सलूम्बर में 5 हजार 303, झल्लारा में 4 हजार 719 वृद्धजन पेंशन शुरू हुई है। बड़गांव में 4 हजार 289, भींडर में 4 हजार 708, गोगून्दा में 2 हजार 774, जयसमंद में 2 हजार 963, झाड़ोल में 3 हजार 634, खैरवाड़ा में 2 हजार 724, कुराबड़ में 3 हजार 307, लसाडि़या में 2 हजार 851, नयागांव में 2 हजार 216, फलासिया में 3 हजार 829, ऋषभदेव में 3 हजार 24, सराड़ा में 2 हजार 191, सायरा में 4 हजार 49, सेमारी में 2 हजार 119, वल्लभनगर में 4 हजार 105 वृद्धजन पेंशन स्वीकृत हुई है।
राज्य सरकार बनी बुढ़ापे की लाठी
वृद्धजन पेंशन योजना के तहत राजस्थान के 55 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिलाएं और 58 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुषों (75 साल से कम के पुरुष और महिलाओं) को राज्य सरकार द्वारा प्रतिमाह 750 रूपये की पेंशन मिल रही है। 75 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष और महिलाओं को राज्य सरकार की ओर से प्रतिमाह 1 हजार रूपये की पेंशन राशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जा रही है।
एकल नारी को संबल दिलाने में भी कोटड़ा आगे
एकल नारी पेंशन योजना के माध्यम से उदयपुर जिले में विगत तीन वर्षों में कुल 12 हजार 188 तलाक़शुदा, विधवा, परित्यक्ता महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। इस योजना के क्रियान्वयन में भी कोटड़ा जिले में दूसरे नंबर पर है। 30 जनवरी 2019 से 19 फरवरी 2022 की अवधि में कोटड़ा पंचायत समिति में 1 हजार 46 तलाक़शुदा, विधवा या परित्यक्ता महिलाओं की पेंशन स्वीकृत की गई है, जबकि इसी अवधि में मावली पंचायत समिति में 1 हजार 95 एकल नारी पेंशन चालू हुई है। इस योजना में भी कोटड़ा ने जिले में दूसरी सभी पंचायत समितियों से बेहतर प्रदर्शन किया है। मावली पंचायत समिति ही कोटड़ा से मामूली अंतर से आगे हैं। अन्य पंचायत समितियों की बात करें, तो बड़गांव में 766, भीण्डर में 496, गिर्वा में 976, गोगून्दा में 357, जयसमंद में 349, झाड़ोल में 406, झल्लारा में 299, खैरवाड़ा में 273, कुराबड़ में 447, लसाडि़या में 387, नयागांव में 212, फलासिया में 405, ऋषभदेव में 364, सलूम्बर में 484, सराड़ा में 276, सायरा में 423, सेमारी में 217 और वल्लभनगर में 449 एकलनारी पेंशन शुरू हुई है।
कृषक वृद्धजन पेंशन योजना में कोटड़ा ने मारा शतक, बाकी दहाई में सिमटे
राज्य सरकार की कृषक वृद्धजन पेंशन योजना के तहत पिछले तीन वर्ष में उदयपुर ग्रामीण क्षेत्र में कुल 435 किसानों को जोड़ा गया है, इनमें कोटड़ा के 102 कृषक हैं। बाकी पंचायत समितियों में बड़गांव से 17, भीण्डर से 20, गिर्वा से 14, गोगून्दा से 8, जयसमंद से 9, झाड़ोल से 12, झल्लारा से 169, खैरवाड़ा से 4, कुराबड़ से 20, लसाडि़या से 33, मावली से 14, नयागांव से 2, फलासिया से 4, ऋषभदेव से 5, सलूम्बर से 51, सराड़ा से 7 और सेमारी से 33 किसानों को इस योजना से जोड़ा गया। सायरा में तो खाता भी नहीं खुल पाया।
राज्य-केन्द्र दोनों की योजनाओं में सबसे आगे कोटड़ा
उदयपुर जिले में राज्य-केन्द्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के क्रियान्वयन में कोटड़ा अव्वल है। बुजुर्गों, एकलनारी और किसानों के लिए चलाई जा रही राज्य और केन्द्र सरकार दोनों की योजनाओं के तहत सबसे ज्यादा लाभार्थी कोटड़ा पंचायत समिति से जोड़े गए हैं। राज्य सरकार की वृद्धजन पेंशन, एकलनारी पेंशन, विशेष योग्यजन पेंशन, कृषक वृद्धजन पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत 30 जनवरी 2019 से 19 फरवरी 2022 की अवधि में उदयपुर जिले में 1 लाख 10 हजार 51 लोगों को जोड़ा गया है। इनमें सर्वाधिक 14 हजार 57 लाभार्थी कोटड़ा पंचायत समिति से हैं। वहीं, इसी अवधि में केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ 1 लाख 41 हजार 220 लोगों को मिला। इनमें भी सर्वाधिक 20 हजार 49 लाभार्थी कोटड़ा के हैं।
संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट-कलक्टर ताराचंद मीणा का “मिशन कोटड़ा”
संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट और कलक्टर ताराचंद मीणा भी कोटड़ा में राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। कलक्टर ताराचंद मीणा के नेतृत्व में मिशन कोटड़ा शुरू किया गया है। इसके तहत संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट और कलक्टर ताराचंद मीणा खुद व्यक्तिगत रूप से कोटड़ा में राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। कलक्टर के नियमित दौरों का असर भी कोटड़ा की प्रशासनिक व्यवस्था में साफ देखा जा सकता है। हाल ही संभाग के समस्त जिलों के कलक्टर्स ने अपने-अपने जिले में नवाचारों के रूप में क्रियान्वित किए जाने वाले कार्यक्रमों व अभियानों के बारे में पावर प्वाईंट प्रजेन्टेशन दिया। इस दौरान उदयपुर कलक्टर ताराचंद मीणा ने ‘मिशन कोटड़ा’ के तहत पालनहार योजना के क्रियान्वयन पर प्रेजेंटेशन दिया। कोटड़ा दौरे के दौरान कलक्टर ताराचंद मीणा ने अनाथ बच्चों को पालनहार योजना से जोड़ने के लिए पालनहार सम्बलीकरण अभियान शुरू किया। संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट के साथ जिला कलक्टर ताराचंद मीणा सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारी कोटड़ा दौरे पर रहे। आयुक्त राजेंद्र भट्ट ने विभागीय गतिविधियों और सरकारी योजनाओं की समीक्षा करते हुए जनजाति अंचल कोटड़ा के समेकित विकास पर जोर दिया। इसी क्रम में हाल ही उदयपुर से कोटड़ा के लिए दो नई रोडवेज बसें शुरू की गई है।
कलेक्टर ताराचंद मीणा ने सभी विभागों के अधिकारियों को कोटड़ा क्षेत्र से जुड़े किसी भी विभाग के प्रकरण को हल करने और समस्याओं के निराकरण के विषय में कोटड़ा को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। कोटड़ा क्षेत्र के निवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए अब हर माह कोटड़ा मुख्यालय पर जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी।
तीन साल में ऐसे बदले कोटड़ा के हालात
कोटड़ा विकास अधिकारी धनपत सिंह राव ने बताया कि तीन वर्ष तक प्रति पंचायत 10-10 शिविर आयोजित किए गए। इन शिविरों के माध्यम से बेसहारा, दिव्यांग, विधवा, एकलनारी और पेंशनर का सर्वे किया गया। सर्वे के आधार पर लोगों के दस्तावेज में जो कमी थी, उस कमी को पूरा करने के लिए अलग से शिविर आयोजित किए गए। जिन लोगों के आधार कार्ड नहीं थे, उनके लिए विशेष शिविर लगाकर पूरे जिले की आधार मशीनें कोटड़ा में लगवाई गई। जनआधार शिविर आयोजित कर नए जनआधार कार्ड बनवाए और पुराने कार्ड अपडेट किए गए। बैंक खाते खोलने, और मृत्यु प्रमाण पत्र, दिव्यांग एवं सिलिकोसिस प्रमाण पत्र, ब्लॉक लेवल पर बैंकर्स कमेटी को बुलाकर स्टोप पेंशन और रिटर्न पेंशन के प्रकरण सुलझाए गए। बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट के माध्यम से प्रति सप्ताह दो शिविर आयोजित कर लाभार्थियों के घर-घर जाकर पेंशन पहुंचाई। इस प्रकार तीन साल में 20 हजार 133 नए पेंशनर जोड़कर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंचाया और डोर-स्टेप डिलीवरी के लिए बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट के जरिए घर-घर जाकर भुगतान सुनिश्चित करवाया गया। ग्रास रूट की मशीनरी को तैयार किया गया और जो लोग बीमारी या अन्य किसी कारण से पेंशन लेने नहीं जा सकते थे, उनके घर-घर जाकर भुगतान करवाया गया।
तीन साल की अन्य उपलब्धियां-
मनरेगा योजना के तहत 3 साल तक 40 से अधिक शिविर लगाकर 50 हजार मजदूरों के 9 साल से अटके 6 करोड़ रूपये का भुगतान करवाया।
विकास कार्यों के लिए कोटड़ा पंचायत समिति को मिला आईएसओ प्रमाण पत्र।