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Udaipur / मांझी मंदिर प्रवेश शुल्क मामलें पर आज आ सकता है न्यायिक आदेश !

arth-skin-and-fitness मांझी मंदिर प्रवेश शुल्क मामलें पर आज आ सकता है न्यायिक आदेश !
दिनेश भट्ट (Twitter: @erdineshbhatt) April 27, 2023 11:14 AM IST

उदयपुर, 26 अप्रैल 2023 :सिविल न्यायाधीश (क.ख) शहर दक्षिण उदयपुर न्यायालय में एडवोकेट भारत कुमावत, निर्मल चौबीसा, जय सोनी व रोहित चौबीसा द्वारा मांजी मंदिर प्रवेश शुल्क, प्री-वेडिंग शुल्क व अन्य अनियमितताओं को लेकर पेश दावे में पेशी दिनांक 26-4-23 को थी। विपक्षी पक्षकार देवस्थान आयुक्त, जिला कलेक्टर, नगर विकास प्रन्यास, नगर निगम उदयपुर, पुलिस अधीक्षक, उदयपुर की तामिल होने के बाद देवस्थान आयुक्त, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक की ओर से अधिवक्ता अनुराग शर्मा, नगर निगम उदयपुर की ओर से राजेंद्र सिंह राठौड़,महेंद्र औझा, नगर विकास न्यास की ओर से पैनल अधिवक्ता पूनम सिंह ने अपनी उपस्थिति दी। देवस्थान आयुक्त जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक की ओर से अधिवक्ता राजकीय अधिवक्ता अनुराग शर्मा द्वारा धारा 10 सीपीसी का प्रार्थना पत्र पेश कर बहस में बताया कि प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत वाद पत्र एवं अस्थाई निषेधाज्ञा में मांगा गया।

अनुतोष पूर्व में प्रस्तुत वाद पत्र नरेंद्र सिंह राजावत, माझी मंदिर पुजारी द्वारा पर प्रस्तुत वाद पत्र का अनुतोष एक ही होने के कारण उक्त प्रकरण चलने योग्य नहीं है। जिस पर वादीगण की ओर से अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने जबाब में बताया की वादी के प्रार्थना पत्र एवं पूर्व में प्रस्तुत वाद पत्र का अनुतोष अलग-अलग है एवं पूर्व के बाद पत्रों में नगर निगम उदयपुर, नगर विकास प्रन्यास उदयपुर को पक्षकार नहीं बनाया गया। जबकि वादी के वाद पत्र में इन्हें पक्षकार बनाया है, वादी का अनुतोष अलग अलग होने के कारण वादी का दावा न्यायालय में सुनने योग्य है ।

अस्थाई निषेधाज्ञा पर बहस के दौरान राजकीय अधिवक्ता अनुराग द्वारा मंदिर की टेंडर की शर्तों का उल्लेख करते अस्थाई निषेधाज्ञा नहीं देने की बात कही।  अस्थाई निषेधाज्ञा पर  वादीगण की ओर से अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने बहस में बताया कि  मंदिर, घाट का निर्माण उदयपुर के राजाओं द्वारा सार्वजनिक उपयोग के लिए बनाया गया है । देवस्थान विभाग जन भावना के विपरीत मंदिर प्रवेश पर शुल्क, प्रि-वेडिंग शुल्क ले रहा है, देवस्थान विभाग टेंडर की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 में पिछोला झील को नगर निगम उदयपुर को स्वामित्व हस्तांतरित कर दिया। तबारियो का उपयोग उपभोग प्री वेडिंग शूटिंग के लिए किया जा रहा है, जबकि उक्त तवारियो में कर्मकांड के लिए बनाई गई, तबारियो में कर्मकांड करने वालों को रोका जा रहा है। घाट व आसपास की संपत्ति आराजी नम्बर 361 रकबा 22.200 है. भूमि है, जिसका राजस्व रिकार्ड में आबादी भूमि होकर नगर विकास प्रन्यास के नाम पर दर्ज है।  अधिवक्ता धर्मनारायण जोशी द्वारा हनुमान मंदिर पर ताला लगा रहने, मंदिर परिसर की गरिमा, पवित्रता को आघात पहुंचाने वाली पाश्चात्य संस्कृति वाली प्रीवेडिंग सभ्यता को देवस्थान विभाग मान्यता दे रहा है। हिंदुओं की जन भावना  को ध्यान में न रखकर मंदिर प्रवेश पर लगाया गया, उक्त शुल्क औरंगजेब के समय लिया जाने वाले जजिया कर के समान है। हिंदुओं से मंदिर प्रवेश के लिए लिए जाने वाला शुल्क कर एवं टैक्स है ।

अधिवक्ता भारत कुमावत द्वारा बहस में कहा कि अन्य आत्मनिर्भर श्रेणी मंदिरों के समान ही माँजी मंदिर, हनुमान मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुला रहे । नगर निगम उदयपुर की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र सिंह राठौड व महेंद्र औझा ने पिछोला एवं पिछोला झील पर निर्मित घाटो का स्वामित्व निगम का होना बताया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल, धर्मनारायण जोशी, पुष्पेंद्र पालीवाल,  महेंद्र मेनारिया, नरेंद्र आमेटा,भूपेंद्र कुमावत, जितेंद्र रावत, हितेश वैष्णव, संजय कुमावत, अमित पालीवाल की ओर से पैरवी की । आदेश के लिए आगामी पेशी 27-4-2023 दी गई।

 

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