उदयपुर के सहवृत पार्षद रविन्द्र पाल सिंह कप्पू ने नेता ,अधिकारी और भू - माफियाओं को अवैध कब्जे करवाने के सनसनी खेज आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली है।
पोस्ट में सहवृत पार्षद रविन्द्र पाल सिंह कप्पू ने कहा -" क्या हो गया है उदयपुर शहर को, अच्छे खासे शहर को यहां के नेता व अधिकारी भू - माफियाओं को अवैध कब्जे करवाने में लगे हुए है। नगर निगम को देखो तो 239 बिला नाम प्लोटों को अपने चहेते नेताओं को व उनकी पाटीँ के नेताओं को खैरात में बांट दिये। खुद व अधिकारियों ने मिल कर पैसा खा कर उनके नाम जमीने करवा दी। इन अवैध जमीनों पर बडे़ बडे मकान होटल आदि बन गये है। कोई बोलने वाला नहीं है। वहीं UIT भी इस काम में पीछे नहीं है। उदयपुर के आस - पास की कितनी ही पहाडियों को काट - काट कर अवैध कालोनिया ,कालेज व होटल बनवाने में पुरा सहयोग कर रहे है। इनमें कुछ तो नेता व सबसे बडे़ UIT व नगर निगम के अधिकारी जो बडी़ बडी़ रकमें खा कर सारा रास्ता यहीं बताते है। क्योंकि आज तक इन अधिकारियों पर कोई कार्यवाही हुई नहीं किसी को नौकरी से बरखास्त नहीं किया गया है। इसलिए वो सरेआम जेबें भर कर लोगों को अवैध कब्जे करने के तरीके बताते हैं।"
"जब तक इन अधिकारियों व भूमि के दलालों पर लगाम नहीं लगाया जायेगा। तब तक पुरा उदयपुर बर्बाद होता रहेगा। इसके अलावा विकास के नाम पर करोड़ों क्या अरबों रुपये इस सिटी में लग चुका है, वह पैसा कहां गया ? किन अधिकारीयों के जेब में गया ? किसी को कुछ नहीं पता , उसके अनुरूप विकास तो कही भी नजर नही आता, आता है तो सिर्फ चारों ओर ट्रैफिक जाम, उससे होने वाला प्रदूषण, लोगो की परेशानी,चारों तरफ गड्ढे, टूटी फूटी सड़के, जिन झीलों को देखने पर्यटक उदयपुर आते है वो सारी गन्दगी से भरी पडी़ है। झीलों के किनारे काई व घास फैली हुई है। भष्टाचार पुरे चरम सीमा पर है। उदयपुर में बिना लेन - देन के कोई काम नहीं हो रहे है। स्मार्ट सिटी के नाम पर पिछले दो सालों से पुरा उदयपुर खुदा हुआ है। टेन्डर खत्म करने की एक सीमा होती है। लेकिन इनको पता नहीं कितने सालों का ठेका दे रखा है। दिखाने और सिखाने के नाम पर हमारे पास सिर्फ यही परिभाषा है। पुरे उदयपुर के सभी नागरिकों को जागना पडेगा। कुछ लोगों के जागने से कुछ नहीं होगा। पकड़ में आते हैं छोटे अधिकारी- निगम का JEN शिवम भट्ट जिसने पट्टे बांटने के ऐवज में 2000/- रुपये की रिश्वत लेते हुए पकडा गया और जो बडे़ बडे़ पदों पर बैठ कर लाखों करोड़ों रुपए खा रहे है। उनको पकडऩे वाला कोई नहीं है , क्योंकि पैसा ऊपर तक पहुंचता है। आज तक का सबसे वेस्ट बोर्ड नगर निगम का आया है। आम आदमियों के कोई काम नहीं हो रहे हैं। नरक निगम के पास गली मोहल्लों में लगाने वाली रोड़ लाईट ही नहीं है। खराब पडीं लाईटे ठीक करने के पार्ट्स ही नहीं है। रोड बनाने के लिए गीट्टी डामर नहीं है। नालियां ढक्कने के लिए ढक्कन नहीं है। तो क्या है नरक निगम के पास बस खुद की कमाई। "
"जो नेता व अधिकारी गलत काम करें तो उनको रोकें व टोकें। तभी उदयपुर तरक्की करेगा व भारत में नम्बर वन होगा। अगर मेरी यह बातें सही लगी हो तो लाईक करना व अपने सभी ग्रुपों में जरूर डालना। कुछ गलत लिख दिया हो तो माफी चाहता हूं। "