मैं आभारी हूँ उदयपुर शहर की सड़कों का-आम नागरिक
मैं उदयपुर का एक आम नागरिक हूँ, जिसका दिनभर का सफर दुपहिया पर ही गुजरता है। एक मध्यम वर्गीय का दुपहिया वाहन बड़ा महत्वपूर्ण साथी है। कई लोग इसे परिवार का हिस्सा भी मानते है।
वैसे तो मेरा शहर झीलों की नगरी के साथ ही स्मार्ट सिटी कहलाने की और बढ़ रहा है। लेकिन स्मार्ट बनाने के लिये शहर में जो निर्माण कार्य जैसे सड़कें, भूमिगत नालियां, विद्युत लाइन, जल प्रवाह लाइन , सीवरेज, स्ट्रीट लाइट, शहर की सिटी वाल के बाहर स्मार्ट बस स्टॉप करवाये जा रहे है। इनकी गुणवत्ता किसी से छिपी हुई नही है।
खैर मुख्य बात यह है कि शहर की शहर कोट के अंदर जो CC सड़के बनाई गई है, वो इतनी फिसलन भरी है कि थोडी सी मिट्टी या पानी गिरा होने पर कोई भी वाहन धारी फिसल कर चोटिल हो सकता है। ये सड़कें डामर सड़को से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इनकी सतह इतनी कठोर होती है कि गिरने पर वाहन चालकों को डामर रोड से ज्यादा चोट लग सकती है। इसके बाद शहर कोट के बाहर वाली सड़के जिन पर होने वाली पार्किंग,ठेले वालो, सब्जी वालो और अन्य आवारा पशुओं के कारण सड़के आधे से ज्यादा खाली नजर नहीं आती। शहर के सभी चौराहों पर इतना जाम लगता है कि कोई पैदल भी अपने कदमों से आगे निकल जाता है। प्रतापनगर , ठोकर चोराहे और सेवाश्रम पर खड़े ट्रैफिक सिपाहियों और कॉलेज रोड के खड्डों से बचकर निकलने के बाद सूरजपोल चौराहे का चक्रव्यूह आ जाता है। उसके आगे शक्तिनगर कार्नर से देहलीगेट तक लगने वाले ट्रैफिक जाम से निपटना पड़ता है। फिर देहलीगेट चोराहे से अश्विनी बाजार होकर हाथीपोल तक सड़के कम अतिक्रमण ज्यादा नजर आता है। शहर के अंदर की गलियों में दुकानों और घरों के चबूतरों ने सड़के सकड़ी कर दी है।
परिणाम में चाहकर भी 20 की गति से ज्यादा तेज वाहन नही चला सकता। इसके लिये मैं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट , नगर निगम और अतिक्रमियों का आभारी हूँ। मैं शहर का एक आम नागरिक हूँ।
अरे हाँ ! अभी पुलिस प्रशासन का धन्यवाद तो भूल ही गया। जिन्होंने सड़क सुरक्षा अभियान चला रखा है, उन्हें सभी की जान की चिंता है। इसके लिये वे भारी जुर्माना भी ले रहे है। मुझे भी कभी कभी लगता है कि शराब , बीड़ी, तम्बाकू से किसी की जान को नुकसान नहीं लेकिन बिना हैलमेट के तो जान को खतरा है और जो बिना हैलमेट वाहन चलाता है लगता है आत्महत्या करने निकला हो।
तम्बाकू, सिगरेट व शराब के लिए वैधानिक चेतावनी लिखी जाती हैं और सब कुछ बिकता हैं।
वैसे ही वैधानिक चेतावनी जारी करनी चाहिए-
हेलमेट नही पहनना ,सीट बेल्ट नहीं लगाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
अंत मे निवेदन है प्रशासन से
अधिकारियों को एक महीना सरकारी AC गाड़ी का त्याग कर , स्वयं का दुपहिया वाहन लेकर पुरे शहर की सड़कों , गलियों में भ्रमण करना चाहिए।उसके बाद सभी तथ्यों के आधार पर उन समस्याओं को समझ कर दूर करने के प्रयास भी करना चाहिए।