राजस्थान के उदयपुर में घंटाघर के पास बदनोर हवेली के चमत्कारिक मंशापूर्ण हनुमान का मंदिर अपने आप में खूबसूरत इतिहास समेटे भक्तों की मंशाओं को 300 से ज्यादा वर्षों से पूरा करता आ रहा है। कई भक्तो की ऐसी ऐसी कहानियाँ है, जहाँ श्रद्धा सब प्रश्नो पर भारी पड़ती नज़र आती है ।
किसी को निराश नहीं करने वाले मंशापूर्ण हनुमान तांन्त्रिक विधि से एक जती (तांत्रिक ) द्वारा चबूतरे पर 300 से ज्यादा वर्ष पूर्व स्थापित किये गए थे, जहा आज एक भव्य मंदिर है ।तान्त्रिक विधि से स्थापित दुनिया के पहले मंशापूर्ण हनुमान जी मंदिर के निर्माण की कहानी भी कम रोचक नहीं है ।
राजस्थान की वीरो की धरती मेवाड़ में महाराणा के अधीन कई जागीरदार छोटे छोटे सूबो पर मेवाड़ रियाया के तले राज करते थे और उन सभी ठिकानेदारों/जागीरदारो की हवेलिया उदयपुर शहर में भी हुआ करती थी । वही महलो से महज 1 किमी दूर थोड़ा नीचे ढ़लान में बदनोर की हवेली में बदनोर के ठिकानेदार अपनी खूबसूरत (साथ ही तंत्र मंत्र की जानकर ) पत्नी के साथ रहा करते थे और बदनोर हवेली से चंद कदमो दूर झाड़ियों के पास एक पागल सा जती (जो दरअसल एक बड़ा तांत्रिक था )टूटे झोपड़े के पास पड़ा रहा करता था और खूबसूरत और बेहद समझदार बदनोर की रानी के प्रति मन ही मन आसक्त था ।
एक दिन बदनोर की रानी की दासी जब रानी के सर में डालने के लिए तेल खरीद कर लौट रही थी तभी जती लौटती हुई दासी को बुला कर नज़र भर कर तेल देख उसे अभिमंत्रित कर देता है । जिसका पता रानी को तेल देखकर ही लग जाता है और रानी तेल लेने और जती वाले किस्से को सुनकर दासी को तेल को हवेली के प्रांगण के पास पड़ी शिला पर डालने को कहती है और दासी ऐसा ही करती है । उसी दिन मध्य रात को वही भारी शिला उड़कर जती की झोपडी के पास आकर गिरती है और आवाज़ सुनकर जती को ऐसा लगता है मानो रानी आ गयी हो क्योंकि उसे लगा कि उसके द्वारा अभिमंत्रित तेल ने अपना काम दिखा कर चमत्कार कर दिया है ।
अगले दिन बदनोर राव साहब मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा से शिकायत कर देते है और महाराणा के कहने पर जती बदनोर राव साहब से माफ़ी मांग लेता है । चूँकि शिला का तांत्रिक निदान होना अब भी बाकी था, तो जती उस शिला को तांत्रिक विधि से बदनोर हवेली के पास हनुमान जी के रूप में स्थापित कर के मेवाड़ से रवाना हो जाता है ।
उसी दिन के बाद से आये दिन चमत्कार दिखाने वाले ये मंशापूर्ण हनुमान भक्तों की अनगिनत इच्छाओ और मंशाओं को पूरा कर चुके है। भक्तों की बेइन्तहा भीड़ से गिरे रहने वाले मंशापूर्ण हनुमान जहा इच्छा पूरी करते है । वही पूरी होने के बाद कही गयी बात (मन्नत) को पूरा नहीं करने पर सपनों में आकर बुला लेते है । दूर विदेशो में रहने वाले भक्तो ने अपने संस्मरणों में बताया कि कैसे मंशापूर्ण हनुमान ने कार्यसिद्धि होने के बाद नहीं आने पर सपनो में आकर बुला लिया । सपनो में आकर कभी भक्तो से लड्डू तो कभी पान की मांग करने वाले मंशापूर्ण बड़े बूढ़ो के बीच ही नहीं बल्कि युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैँ और इसी कारण सुबह शाम यहाँ भीड़ भी आम रहती है ।
एक और चमत्कारिक बात ये है कि भगवान मंशापूर्ण हनुमान की शिला की आकृति में बदलाव होता रहता और यही नहीं मूर्ति के मुँह की दिशा भी भक्तों को बदलती महसूस होती है।
मंदिर के वर्तमान पुजारी पवन भी इस बात की तस्दीक़ करते हुए बताते है कि बरसो से एक ही मात्रा और साइज में मंशापूर्ण हनुमान जी की श्रृंगार रूपी आंगी का सामान लाया जा रहा है पर कभी उतना ही सामान कम पड जाता है तो कभी ज्यादा । पवन जी यहाँ तक बताने से गुरेज़ नहीं करते कि भगवान मंशापूर्ण हनुमान की प्रतिमा सुबह सुबह बच्चों सी दिखती है ,तो दिन में क्रोधित बालक सी लगती है । वही शाम को उनकी मूरत सौम्य अहसास लिए होती है, तो रात होते होते प्रतिमा प्रौढ़ (बूढ़े) इंसान जैसी मूरत लगती है।
कई लोगो को चमत्कार दिखाने वाले मंशापूर्ण हनुमान जी का अन्नकूट उत्सव भी धूम धाम से मनाया जाता है जिसमे 1500 किलो से ज्यादा की सैकड़ों मिठाईया बनाकर चढ़ायी जाती है जिसे बाद में भक्तो में वितरित भी कर दिया जाता है । अगर आपको भी कोई इच्छा मंशापूर्ण हनुमान से मांगनी है तो आप घर बैठे उनसे मांग सकते है और पूरी होने पर मंदिर दर्शन हेतु झीलों की नगरी उदयपुर आ सकते है ।
मंशापूर्ण हनुमान मंदिर विद्या निकेतन स्कूल और घण्टाघर के नजदीक है।