उदयपुर शहर में खटारा स्कूटरों से हो रही गैस सिलेंडर की सप्लाई, लेकिन RTO के पास इसकी कोई जानकारी नहीं !
प्रत्येक घर की रसोई में बिना गैस के चूल्हा जलना संभव नही होता और इसके लिये सभी परिवार किसी ने किसी गैस एजेंसी के उपभोक्ता होते है। गैस बुकिंग की प्रक्रिया पहले की तुलना में अब आसान हो चुकी है जो कोई भी अपने मोबाईल से भी कर सकता है। बुकिंग के दूसरे ही दिन गैस हॉकर गैस की टंकी लेकर आ जाता है।
अधिकांश हॉकर जिन दुपहिया वाहनों पर गैस सिलेंडर लेकर आते है वे बजाज के 15 वर्षों से अधिक पुराने स्कूटर है। यहाँ तक कि बजाज कंपनी ने भी अब स्कूटर बनाना बंद कर दिया है, स्वाभाविक है कि 15 वर्ष पुराने इन स्कूटरो की रजिस्ट्रेशन शायद ही नवीनीकृत किया गया होगा और इन वाहनों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की उम्मीद करना तो बेकार ही है।
घर घर गैस सप्लाई करने वाले गैस हॉकर स्कूटरो पर 3- 3 सिलेंडर लादकर उपभोक्ताओं तक पहुँचाते है।
अक्सर सवाल उठते ही कि क्या गैस सप्लाई करने का ये तरीका सही और सुरक्षित है ?
क्या उदयपुर RTO को इसकी कोई जानकारी है ?
इस संबंध में RTO में RTI के जरिये निम्न सूचना मांगी गई
(1) जिला प्रशासन उदयपुर द्वारा रजिस्टर्ड उन दुपहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर की सत्यापित सूचना प्रदान की जाए जिनका उपयोग डोर टू डोर गैस सिलेंडर परिवहन में किया जाता है सम्पूर्ण सत्यापित सूचना प्रदान की जाए
(2) जिला प्रशासन उदयपुर द्वारा शहर की गैस एजेंसियों / गैस हॉकरों को दुपहिया वाहनों से डोर टू डोर गैस सिलेंडर परिवहन हेतु दी गई स्वीकृति की सम्पूर्ण सत्यापित सूचना प्रदान की जाए
(3) जिला प्रशासन उदयपुर द्वारा निर्धारित दुपहिया वाहनों की भार वहन क्षमता / मानकों की सत्यापित सूचना प्रदान की जाए
(4) शहर की गैस एजेंसियां द्वारा डोर टू डोर गैस सिलेंडर वितरण हेतु उपयोग में लिये जा रहे वाहनों की सत्यापित सूचना प्रदान की जाय जो उदयपुर जिला प्रशासन द्वारा रजिस्टर्ड / स्वीकृत है।
RTO ने दिया जवाब
बिंदु संख्या1,2,4 की सूचना संधारित नही की जाती है। एवं बिंदु संख्या 2 के अंतर्गत RTO ने शहर में दुपहिया वाहन के जरिये डोर टू डोर गैस सप्लाई की कोई स्वीकृति नही दी है।
बिंदु संख्या 3 म बताया कि प्रत्येक कार्यालय में प्रत्येक वाहन की भार वहन की क्षमता अलग अलग निर्धारित होती है।
RTO द्वारा घुमाफिरा कर दी गई सूचना के बावजूद यह स्पस्ट हो रहा है कि दुपहिया वाहनों के जरिए घर घर गैस वितरण की कोई स्वीकृति विभाग द्वारा नही दी गई है। साथ ही RTO के पास घर घर गेस सिलेंडर वितरण के कोई मानक भी उपलब्ध नही है
शहर में यदि दुपहिया के जरिये गैस सप्लाई के दौरान कोई हादसा हॉकर, राहगीर या गैस उपभोक्ता के साथ होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?, गैस ऐजेंसी ?, हॉकर ? या फिर RTO ?
शायद ही इस मुश्किल प्रश्न का जवाब गैस एजेंसी, हॉकर और RTO दे पाए लेकिन इंसान की जान माल की कीमत इतनी सस्ती भी नही जो खटारा दुपहिया के कारण खतरे में डाल दी जाए।