उदयपुर, 14 नवम्बर 2022 :उदयपुर में G20 शेरपा बैठक को लेकर स्थानीय प्रशासन उदयपुर शहर को दुल्हन की तरह सजाने के खोखले दावे करता नजर आ रहा है। दुख की बात ये है कि स्थानीय प्रशासन के बड़े अफसर भी कामों की क्वालिटी देखने के लिए फील्ड में नहीं गए है , जिससे उन्हें हकीकत पता पड़ सके।आनन-फानन में बिना टेंडर के जिस तरीके से ठेकेदारों को काम दिया गया है, उसका परिणाम यह है कि न केवल उदयपुर शहर चमकाने के तथाकथित खोखले दावों के कामों में क्वालिटी के साथ समझौता किया जा रहा है, वही ये काम मानकों पर भी खरा नहीं उतर पा रहें है। उदयपुर के अफसरों को यह समझना चाहिए यह कोई मामूली बैठक नहीं है अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली ऐसी बैठक है जिसमें न केवल देश के बल्कि विदेशों से आए राजनयिकों के साथ विदेशी पत्रकार भी इस बैठक को कवर करेंगे। जिस तरीके से जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई के पैसे पर शहर को चमकाने के घटिया काम किए जा रहे हैं, उसे देख ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन के अफसर या तो G20 बैठक की महत्ता को समझते नहीं है अथवा इन अफसरों ने कभी बड़े शहरों में जाकर अनुभव ही नहीं लिया है। अधिकतर कामों में ऐसा लग रहा है कि पूरे कुँए में भांग मिली हुई है । बैठक के लिए होने वाले शहर को दुल्हन की तरह चमकाने में ऐसा लग रहा है की दुल्हन को सजाया तो जा रहा है लेकिन चेचक के दाग छोड़ दिए जा रहे हैं।
क्या और कहां-कहां पर हैं घटिया कामों की बानगी
ऊँची नीची है डगरिया, जरा धीरे चलो जी
सबसे पहले सड़कों पर जिस तरीके से गड्ढे भरे जा रहे हैं और उन पर डामर का पेच लगाया जा रहा है,उसकी क्वालिटी ही घटिया है। जब आप वहां से गुजरते हैं तो आपको महसूस हो जाता है कि काम संतोषप्रद नहीं है। वहीं दूसरी ओर जिन इलाकों में नई सड़कें बनाई जा रही है, वे सड़कें क्वालिटी और मानकों की ना होकर मर्जी आए जैसे बना दी गई हैं। इसके साथ ही पुरानी सड़कों पर जिन पर पहले से ही कई छोटे-छोटे गड्ढे में मौजूद हैं, ना तो उन्हें भरा गया है और सड़कों पर लगने वाली सफेद रिफ्लेक्टर पट्टियां इतनी घटिया क्वालिटी की बनाई गई हैं कि रात को चमकने की बजाय दिन में ही चमक नहीं दिखा पा रही। कई जगह ऐसा लग रहा है कि इन पट्टियों पर मानो मामूली सफ़ेद कलर ही पोत दिया जा रहा हो। न तो इनकी मोटाई मानकों पर है और न ही इनमें कोई चमक है। एक बार एक बार रात को वाहनों की हेड लाइट की रोशनी में घूम करके देख लीजिए, सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी।
डिवाइडर पर किया है घटिया कलर का काम,जालियों पर कहीं हरा-पीला तो कहीं हरा काला
दूसरी ओर शहर के डिवाइडर पर जो रंग रोगन किया गया है वह भी मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है। डिवाइडर पर पुराने कलर की पपड़ियां तक छोड़ दी गयी है। कहीं-कहीं पर डिवाइडर के ईंटे नई नहीं लगवाकर पुराने पर सीमेंट पोता जा रहा है। दिन में चमकने की बात तो छोड़िए,यह डिवाइडर रात को भी वाहनों की लाइट की रोशनी में नहीं चमकते नजर आते हैं। उदयपुर के अफसरों को समझना चाहिए कि जी-20 शेरपा बैठक में अंतरराष्ट्रीय स्तर के राजनयिक आ रहे है, कोई अफ्रीका के मसाई मारा के आदिवासी नहीं जो क्वालिटी की पहचान नहीं कर पाए।
सरकारी दीवारों पर बनाये भित्तिचित्रों में मेवाड़ी चित्रकला ही नहीं
इसके साथ ही शहर के सड़कों के किनारे सरकारी दीवारों पर जिस तरीके से पेंटिंग्स बनाई जा रही हैं,उसको देख कर भी कोई अच्छा अनुभव होता नजर नहीं आता। पेंटिंग्स में जिस तरीके से स्लोगन लिखे गए हैं, ये स्लोगन ज्यादातर हिंदी में है और आने वाले अतिथि हिंदी को समझने में दिक्कत का अनुभव कर सकते हैं। कम से कम 10 पेंटिंग्स में 1 में तो इंग्लिश स्लोगन लिखने ही चाहिए थे। इसके साथ ही स्टेशन के बाहर या गुलाब बाग की दीवारों के बाहर जिस तरीके से पहले मेवाड़ी और राजस्थानी स्टाइल में पेंटिंग की गई थी, वह बड़ी मनमोहक लगती थी। लेकिन आज जो पेंटिंग की जा रही है,उनका मेवाड़ की संस्कृति से कोई लेना-देना नजर नहीं आता है। मांडणे जैसी पेंटिंग कलाकृतियां अगर की जाती ,तो ज्यादा मनमोहक लगती।
सड़कों पर रोड लाइटों की रोशनी ही पर्याप्त नहीं
ऐसा नहीं है कि जी-20 शिखर बैठक को लेकर स्थानीय प्रशासन ने शहर की पोल लाइटों को सुधारने की व्यवस्था नहीं की हो। कमोबेश कई इलाकों में पोल लाइट चालू की गई है। लेकिन लाइट जलने पर भी सड़क पर रोशनी ही नजर नहीं आती है क्योंकि LED लाइट्स कम वॉट की है। ये केवल शो पीस की तरह है , रोशनी के लिए नहीं।
शहर में है जगह-जगह लगें अवैध बैनर और विज्ञापन
पूरे उदयपुर शहर में जगह-जगह अवैध बैनर और विज्ञापन नजर आते हैं। इसके साथ ही दुकानों के बाहर रखे सामान और दुकानों के बोर्ड जगह -जगह सड़कों पर दिखाई देते हैं जो कि शहर की सुंदरता पर धब्बा नजर आते हैं। स्थानीय प्रशासन उनको हटाने के लिए कोई कार्यवाही करता दिखाई नहीं दे रहा है।
मुख्य सड़कों पर दुकानों के बाहर है अतिक्रमण
उदयपुर प्रशासन शहर के अतिक्रमण हटाने के लिए शुरू से ही पंगु दिखाई दिया है, लेकिन इस बार जी-20 की शेरपा बैठक में स्थानीय प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि कम से कम उन मार्गो से दुकानों के बाहर रखें सामानों और वाहनों को हटाकर सड़कों को चौड़ी दिखाने के प्रयास प्रशासन करेगा। लेकिन फिलहाल इस मामले में प्रशासन की कोई पहल नजर नहीं आ रही है। स्थानीय नागरिकों के साथ आने वाले विदेशी डेलिगेट्स और पत्रकारों को चौड़ी सड़कों की बजाय उदयपुर की संकड़ी सड़कों का अनुभव करना पड़ेगा।