वन विभाग को नही है उदयपुर शहर के ऑक्सीजन पॉकेट की चिंता , RTI में चौकाने वाले जवाब
जब भी वन विभाग का नाम सुनते में आता है तो हरे भरे पेड़ो से युक्त जंगल की छवि मस्तिष्क पटल पर उभर आती है। पेड़ो से भरे पर्यावरण के कारण ही ऑक्सीजन है और जनजीवन है।
वैसे तो वन विभाग का जमीनी क्षेत्र बहुत बड़ा है, जो अधिकारियों की अनदेखी के कारण भूमाफियाओ की गिरफ्त में आ रहा है।
लेकिन जो क्षेत्र वन विभाग के अधीन है, उनमें वृक्ष लगाने और उन्हें सरंक्षित करने की जिम्मेदारी है। लेकिन हर साल आकड़ो में तो वृक्ष नजर आते है लेकिन मौके पर उतने दिखाई नही देते।
इस बावत RTI एक्टिविस्ट जयवंत भेरविया द्वारा वन विभाग से RTI के जरिये निम्न सूचना माँगी गई
(1) वन विभाग द्वारा जारी उन वृक्षों की सत्यापित सूची प्रदान की जाए जो सरंक्षित श्रेणी में आते है।
(2) वन विभाग द्वारा जारी उन वृक्षों की सत्यापित सूची प्रदान की जाए जो सरंक्षित श्रेणी में आते है और जिन्हें काटने से पूर्व वन विभाग की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
(3) वन विभाग द्वारा वृक्ष काटने हेतु दी जाने वाली स्वीकृति की सम्पूर्ण प्रक्रिया की सूचना प्रदान की जाए।
(4) वन विभाग द्वारा उदयपुर नगर निगम , UDA, AVVNL को वृक्ष काटने हेतु जारी की गई समस्त स्वीकृतियों की सत्यापित सूचना प्रदान की जाए।
तो वन विभाग द्वारा चारो बिंदुओं की सूचना शून्य बताई गई ,जिसका अभिप्राय है कि पेड़ो को काटने के लिये वन विभाग की स्वीकृति की जरूरत नहीं है और इच्छा अनुसार कोई भी पेड़ काट सकता है, वन विभाग को कोई लेना देना नही।
नगर निगम में प्रचलित मॉडल भवन विनियम 2020 में पर्यावरण हेतु वृक्षारोपण प्रावधान :- 90 वर्गमीटर भूखण्ड क्षेत्रफल तक 2 वृक्ष और इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंडों पर प्रति 80 वर्गमीटर क्षेत्रफल हेतु न्यूनतम 2 वृक्ष लगाना अनिवार्य होगा, इस प्रावधान की पालना नही होने पर 1000 रुपये प्रति वृक्ष स्थानीय निकाय नगर निगम में जमा कराना होगा जिसका उपयोग वृक्ष लगाने में किया जाएगा।
जाहिर सी बात है कि जिस तेजी से वृक्ष लगाए जाने चाहिए,उस तेजी से लगने की जगह काटे जा रहे है जिसके कारण होने ऑक्सीजन पॉकेट घट रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है।