उदयपुर। शहर के भुवाणा स्थित आईटीपी भवन में श्री नारायण भक्ति पंथ मेवाड़ की ओर से श्री नारायण भक्ति पंथ प्रवर्तक सन्त लोकेशानंद महाराज के सानिध्य में
चल रहे पुरुषोत्तम मास अनुष्ठान के तीसरे और अंतिम दिन गृहस्थ जीवन मे भक्ति व ब्रह्म उत्सव पर सत्संग हुआ।
संत श्री ने सत्संग में कहा कि हास्य- विनोद में भी असत्य ना कहे, तभी गृहस्थ में भक्ति हो सकती है। दीन- दुःखी को देखकर सहायक होना यह गृहस्थ की मानवता है। सन्त श्री ने भक्तों से कहा कि सत्संग में अपने बच्चो को भी साथ रखे। जब शादी- ब्याह, मांगलिक कार्य, मुवी देखने, बर्थ डे, घर - परिवार के कार्यो में बच्चो को साथ रखते हो तो सत्संग में भी उन्हें साथ रखो। गृहस्थ की सबसे बड़ी संपत्ति अगर कुछ है तो वो संस्कारी संतान है।
सुबह भक्तों को दी मंत्र दीक्षा
पंथ के सचिव योगेश कुमावत ने बताया कि शाम को सत्संग से पूर्व सुबह आईटीपी भवन में मंत्र दीक्षा का आयोजन किया गया। संत श्री ने नारायण भक्तों को कान में गुरु गुरु फूंका साथ ही मंत्र का महत्व उसके उच्चारण ओर लाभ के बारे में भी बताया। संत श्री ने भक्तों को मंत्र दीक्षा देते हुए बताया कि मंत्र में 4 तरह की वाणी होती है। वेकरी, मध्यमा, परा और पश्यन्ति। गुरुदेव ने 4 वाणी में मंत्र के उच्चारण का तरीका भी भक्तों को समझाया। साथ ही यह भी कहा कि रोजाना 108-108 की 5 माला काम से कम मन ही मन मंत्र का जाप अवश्य करें।