उदयपुर, 16 जनवरी, पर्यावरण प्रेमियों ने पर्यटन मंत्री से आग्रह किया है कि वे राज्य के जलाशयों व चंबल नदी मे क्रूज चलाने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें।
रविवार को आयोजित संवाद मे झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जो भी झीलें पेयजल का स्रोत हैं, जँहा देशी विदेशी प्रवासी पक्षी आते हैं, वंहा क्रूज पेयजल की गुणवत्ता तथा इको सिस्टम को गंभीर नुकसान पंहुचायेगा। अत: ऐसे स्रोतों मे क्रूज की अनुमति नही दी जाए। मेहता ने कहा कि चंबल नदी मे भी जिस बिन्दू से पेयजल आपूर्ति के लिए नदी का पानी खिंचा जाता है, उससे न्यूनतम पांच किलोमीटर दूरी तक के नदी मार्ग मे क्रूज संचालित नही होना चाहिए।
झील विकास व सुरक्षा सोसायटी के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पेयजल स्रोतों मे न्यायालय मे विशाल क्रूज का संचालन नही हो, इस पर न्यायालय में वाद विचाराधीन है। ऐसे मे पर्यटन मंत्री का सार्वजनिक वक्तव्य अपेक्षित नही था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पर्यटन विकास के नाम पर हम अपने झीलों, तालाबों, नदियों, पहाड़ों को नुकसान पंहुचा रहे हैं।
गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि क्रूज के नाम पर होटल व्यवसाइयों को झीलों तालाबों मे तैरती होटलों को बनाने का फायदा देने की कोशिशें हो रही है। ऐसी प्रदूषणकारी गतिविधियां झील स्वास्थ्य व मानव स्वास्थ्य को संकट मे डालेगी। राज्य की पर्यटन नीति को इको टूरिज्म केंद्रित करना होगा।
पर्यावरणविद पल्लब दत्ता ने कहा कि उदयपुर सहित पूरे राज्य मे पेट्रोल डीजल चालित नावें बंद होनी चाहिए।
पिछोला, फतेह सागर जैसी पेयजल की झीलों मे स्पीड बोट की अनुमति भी नही होनी चाहिये।