उदयपुर नगर निगम द्वारा अतिक्रमण निरोधक अभियान के चर्चे आम है। जहाँ भी कार्यवाही होती है ,लोग रुक कर देखते है,वीडियो बनाते है और व्हाट्सएप की दुनिया में अपना अंश दान के रूप में पोस्ट कर आल्हादित हो रहे है। जहाँ एक ओर आम नागरिक इस अभियान की पुरजोर तारीफ कर रहा है तो वहीं हर बात पर खफा रहने वाले कह रहे कि प्रशासन की आँख देर से खुली है। बरहाल देर आयद दुरुस्त आयद।।
सड़कें सजी रहती थी दुकानों के बाहर सामानों/होर्डिंग/बोर्ड से,हज़ारों की संख्या में है ठेले
उदयपुर की सड़कों पर दुकानों के बाहर रखे जाने वाले सामान और बोर्ड जहाँ सड़क का बड़ा हिस्सा अतिक्रमित करते हुए लील जाते है , तो वहीं सड़क पर बेतहाशा संख्या में बढ़ते हुए ठेले और केबिन है। पिछले 1 साल में गहलोत सरकार द्वारा सरस बूथ भी सैकड़ों की संख्या में आवंटित किए गए और वे भी सड़क किनारे व्यवसाय का हिस्सा बन सडकों के फुटपाथ के रास्तों को अतिक्रमित करते दिखाई देते है। इसके साथ ही खाने पीने के सामान जैसे चाय, समोसा, ऑमलेट,पराठा, पानी पूरी, डोसा ,चाइनीज,सब्जी,फल आदि से जुड़े ठेलों की बाढ़ सी आ गई। शहर में कई ठेला माफिया भी पनप गए और 300 रुपये से लेकर 1000 ₹ प्रतिदिन तक ठेला मय जगह दिए जाने की खबरें भी आम है। कई जगह तो निगम द्वारा दिये केबिन के बाहर भी खुद केबिन वालों ने ठेले लगा दिये और किस्सा 7-8 सालों से लगातार चलता रहा लेकिन इस बार नगर निगम उदयपुर ने प्रभावी कार्यवाही की है,ऐसा देखा जा रहा है।
ठेले व्यापारी कर रहे है विरोध
उदयपुर में ठेला व्यवसाय से जुड़े लोग कार्यवाही को तकनीकी तौर पर गलत बताने की बात को हवा दे रहे और कह रहे है कि उनके पास निगम द्वारा कुछ ऐसे दस्तावेज है जिसके आधार पर निगम के द्वारा उनके ठेलों को हटाना गलत है।
क्या-क्या दस्तावेज पेश कर रहे है ठेला व्यवसायी ?
पथ विक्रय के लिए प्रोविजनल विक्रय प्रमाण पत्र
नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते की कार्यवाही के दौरान जो व्यवसायी अधिकृत तौर पर नगर निगम द्वारा स्वीकृत पथ विक्रय के लिए प्रोविजनल विक्रय प्रमाण पत्र दिखा रहे है,उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। ऐसे प्रोविजनल (अस्थायी) लाइसेंस धारकों की संख्या 1187 के आसपास बताई जाती है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी पथ विक्रेता सर्वे की रसीद
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत उदयपुर नगर निगम ने थर्ड पार्टी के माध्यम से शहरी पथ विक्रेता सर्वे करवाए थे, जिसमें विभिन्न व्यवसाय करने वाले लोगों को चिन्हित किया गया था और सर्वे की रसीद दी गई थी। सर्वे की रसीद पर स्पष्ट तौर पर अंकित किया गया कि रसीद केवल सर्वे का प्रमाण है और यह किसी प्रकार के लाभ और दावे की गारंटी नहीं देता है। अब सड़क पर व्यवसाय करने वाले इस रसीद को दिखाकर भी अपनी वैधानिकता का दावा करने में जुट गए है,जिसका तकनीकी आधार कमजोर है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी पथ विक्रेता सर्वे का स्ट्रीट वेंडर रजिस्ट्रेशन कार्ड
कई जगह सड़क पर काम/व्यवसाय करने वाले दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी पथ विक्रेता सर्वे का स्ट्रीट वेंडर पहचान कार्ड दिखा कर अपने व्यवसाय को वैधानिक तौर पर सही बताने की बात कह रहे है,लेकिन ये कार्ड केवल एक योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर की पहचान के लिए दिए गए प्रतीत होते है और पहचान पत्र पर कहीं भी जगह अलॉटमेंट की बात नहीं की गई है।
सड़कों पर स्थायी/अस्थायी पार्किंग और खड़े/पार्क किये वाहनों को लेकर कोई कार्यवाही अब तक नहीं
जहां एक और नगर निगम दुकानों के बाहर स्थाई अतिक्रमण और सड़कों को अतिक्रमित करने वाले ठेले/खोमचों/केबिनों को हटा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां पर सड़कों पर वाहन खड़े किए जाते हैं, जिससे सड़क बाधित हो जाती है। शहर के कई बाजार ऐसे हैं ,जहां पर स्थाई तौर पर पार्किंग की जा रही है और सड़क ही गायब है। ऐसे सड़क पर खड़े वाहनों पर अब तक स्थानीय पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिला परिवहन अधिकारी के साथ स्थानीय थाने की पुलिस सड़कों पर अवैध तौर पर खड़े रहने/पार्क होने वाले वाहनों के खिलाफ कानूनी तौर पर कार्यवाही करने के लिए अधिकृत है। नगर निगम सड़क पर खड़े/पार्क होने वाहनों को के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तकनीकी तौर पर अधिकृत नहीं है।
बिना पार्किंग वाले व्यावसायिक काम्प्लेक्स पर कार्यवाही से परहेज उठा रहा नियत पर सवाल
चाहे एक और सड़कों पर अवैध तौर पर स्थाई और अस्थाई व्यवसाय करने वाले ठेले/ केबिनो/खोमचों को नगर निगम द्वारा हटाया जा रहा है। व्यावसायिक परिसर के बाहर सड़क पर आने वाले चबूतरो और प्लेटफार्म एक्सटेंशन को हटाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर के कई बड़े व्यावसायिक परिसर,मॉल और भवन ऐसे हैं ,जहां पर भूमिगत पार्किंग की बजाय पार्किंग का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे इन्हीं परिसरों के बाहर सैकड़ो की संख्या में दो पहिया वाहन और कारे सड़कों पर खड़ी रहती हैं । सड़के बाधित रहती हैं लेकिन नगर निगम अभी तक ऐसे बड़े व्यावसायिक परिसर के खिलाफ कार्यवाही से परहेज करता दिखाई दे रहा और मेहरबानी क्यों बरती जा रही है,इसको लेकर प्रश्न है।