उदयपुर,22 अक्टूबर 2023: राजस्थान भाजपा की पहली सूची में बगावत के सुर धीरे धीरे ठंडे पड़ते दिखाई दे रहे वहीं भाजपा की दूसरी सूची आते ही चित्तौड़, अलवर सहित उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में विरोध के सुर उठ रहे है। उदयपुर विधानसभा से भाजपा ने ताराचंद जैन को प्रत्याशी घोषित कर सबकों चोंका दिया है। इससे पहले शहर भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली और उपमहापौर पारस सिंघवी के नाम सुर्खियों में चल रहे थे। जैसे ही भाजपा ने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की,वैसे ही कुछ ही घंटों में उदयपुर के उपमहापौर पारस सिंघवी ने जोर-शोर से बगावत का बिगुल बजा दिया । उन्होंने अपने समर्थकों के साथ शनिवार शाम को मीरा सामुदायिक भवन में बैठक में यह भी कह डाला कि उदयपुर के पूर्व विधायक और वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया असम में बैठकर उदयपुर की राजनीति को दूषित कर रहे हैं। देर शाम मीरा बाई सामुदायिक भवन में समर्थकों की भीड़ में सिंघवी ने कहा कि पार्टी ने संवैधानिक पद दिया है, फिर भी असम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया उदयपुर की गली-मोहल्लों में घूम रहे हैं। उनके लिए 80 की उम्र में ये अच्छी बात नहीं है। संगठन ने बहुत अच्छे पद पर बैठाया है, वहां अच्छी हवा खानी चाहिए।
इसके आगे सिंघवी बोले कि पिछले चुनाव में ताराचंद जैन ने खिलाफत की थी, अब उन्हें टिकट दिया है। इसके बाद सिंघवी ने अगले ही पल संभलते हुए कहा कि ये बैठक विरोध की नहीं, पार्टी के फैसले से दुखी कार्यकताओं की है। बड़े नेताओं से अपेक्षा करता हूं कि वे उदयपुर की जनता से जुड़ी भावना का सम्मान करें। राजस्थान के अंदर भाजपा के गलत निर्णय के कारण ही नेता सड़कों पर उत्तर रहे हैं। इस बारे में शीर्ष नेतृत्व को चिंतन करना चाहिए। रविवार शाम तक पार्टी कोई ठोस निर्णय नहीं करती है तो उन्हें मजबूर होकर कुछ नया सोचना पड़ेगा।
उन्होने कहा है कि संवैधानिक पद पर रहते कटारिया उदयपुर की राजनीति को दूषित कर रहे हैं। कटारिया का भाग्य प्रबल रहा, कम उम्र में विधायक बन गए थे, कटारिया ने किरण माहेश्वरी, रणधीर सिंह भिंडर, धर्म नारायण जोशी, भवानी जोशी, मांगीलाल जोशी के साथ छलावा किया। अपने सम्बोधन के दौरान पारस सिंघवी के आंसू छलके गए।
मीडिया को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा कि लगातार पार्टी में सक्रिय और शहर की समस्याओं के लिए जूझने वाले कार्यकर्ता को दरकिनार कर दिए जाने से आम कार्यकर्ता भी आहत है। सिंघवी ने कहा कि वह संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों से आग्रह करते हैं कि उदयपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी के चयन पर पुनर्विचार करें और आम कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करें। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लेकिन उनके सुर बगावत की ओर ही इशारा कर रहे हैं। अब देखना यह है कि पारस सिंघवी ताल ठोक कर खड़े रहते हैं अथवा समझाइश के बाद मान जाते हैं। यदि वे ताल ठोक कर खड़े रहते हैं तो तय है कि भाजपा को उदयपुर में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता हैं।
इसके आगे सिंघवी बोले कि उन्होंने खूब राजनीति कर ली। संगठन का खूब काम भी कर लिया। अब आर-पार की करेंगे। मैंने पार्टी के चक्कर में ही लोगों को व्यक्तिगत दुश्मन बना ली है। साथ ही मौजूद लोगों बैठक में सिंघवी ने कहा कि पिछली बार जब कटारिया चुनाव लड़े थे,तब ताराचंद जैन ने पांच-पांच बार बैठकें कर विरोध किया था। इन सबके बावजूद अगर पार्टी ताराचंद को ऐसा पारितोषिक देती है तो अच्छी बात नहीं है। मैंने अभी पार्टी नहीं छोड़ी है। पार्टी का ही सिपाही हूं।
इसके आगे सिंघवी बोले कि 45 साल से अधिक समय से पार्टी को समय दे रहा हूँ। बड़ी सादड़ी से चुनाव लड़ने के दौरान एक मात्र सिंघवी ही कटारिया के साथ खड़े थे। लेकिन, कटारिया ने उनके साथ अच्छा नहीं किया। भाईसाहब आपको इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। मेरी रंगों में भाजपा का खून है। आप मेरी नसों को काटने की कोशिश नहीं करें।
तारा चन्द जैन के स्वागत में कुछ पदाधिकारी रहे नदारद
उदयपुर से भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने की घोषणा के बाद तारा चन्द जैन के स्वागत में जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, डॉ. जिनेंद्र शास्त्री, डॉ. शिल्पा पामेचा, पूर्व मेयर रजनी डांगी, पार्षद मनोहर चौधरी, भाजपा जिला महामंत्री गजपालसिंह व किरण जैन की उपस्थिति देखी गई तो वहीं वरिष्ठ नेता प्रमोद सामर, डिप्टी मेयर पारस सिंघवी, देहात जिलाध्यक्ष डॉ. चंद्रगुप्तसिंह चौहान, के के गुप्ता, महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अलका मूंदड़ा, महापौर जीएस टांक, पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट आदि नजर नहीं आये।
जाहिरा तौर पर उदयपुर शहर में भाजपा की राजनीति उफान पर है और आलाकमान फिलहाल घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए है। वहीं पल पल की गतिविधियों की सूचना संघ और कार्यकर्ता वरिष्ठों तक पहुँचा रहे है। आगे ऊंट किस करवट लेटेगा, ये समय तय करेगा।