उदयपुर शहर के हिरणमगरी स्थित सेटेलाइट गवर्मेंट हॉस्पिटल में पूर्व मंत्री एवं गिर्वा पंचायत समिति प्रधान सज्जन कटारा के पति स्व. खेमराज कटारा की मूर्ति लगाने को लेकर भाजपा ने विरोध कर मोर्चा प्रदर्शन की कार्यवाही को अंजाम दिया लेकिन विरोध में बमुश्किल 150 के आसपास कार्यकर्ता आये और अंदर खाने उदयपुर भाजपा अलग अलग धड़ों में बंटी हुई नजर आयी ।
हालांकि अस्पताल के बाहर प्रदर्शन में कुछ नेताओं ने स्थिति संभालते हुए पहले नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया और बाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने गुस्सा जाहिर करते हुए पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़कर हॉस्पिटल में जाने का प्रयास भी किया। वहीं उदयपुर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेडिंग से पीछे करने का प्रयास किया। इस माहौल में पुलिस व कार्यकर्ता उलझते हुए नजर आए।
मूर्ति का अनावरण आज सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों होना है। भाजपा के प्रदर्शन से पुलिस-प्रशासन के लिए सरदर्द साबित हो गई। उदयपुर ग्रामीण से कांग्रेस पार्टी नेता एवम पूर्व विधायक स्वर्गीय श्री खेमराज कटारा की मूर्ति, सैटेलाइट हिरण मगरी में लगाए जाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा के आमने- सामने होने से बचने होने की तैयारी को भांपते हुए पुलिस प्रशासन ने हिरण मगरी थाने के चौराहे से सैटेलाइट हॉस्पिटल जाने वाले रास्ते को ब्लॉक कर दिया।
भाजपा जिलाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली व ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदर्शन के लिए तैयारियां की लेकिन बमुश्किल 150 लोग ही प्रदर्शन में नजर आए और उसमें भी कोढ़ में खाज ये रहा कि कार्यकर्ता और नेता अलग-अलग धड़ों में खड़े नजर आए।
प्रदर्शन की जानकारी को लेकर अस्पताल के बाहर पुलिस ने पूरा जाब्ता लगाया और बाहर बेरिकेट्स लगा दिए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने बेरिकेट्स के पास आकर नारेबाजी करते हुए कुछ ने बेरिकेट्स हटाने की कोशिशें की और पुलिस से उलझ गए। इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व पुलिस अधिकारियों ने मोर्चा संभाला।
प्रदर्शन में पहुँचे लगभग 150 कार्यकर्ता और अंदरखाने उभरे विरोध के स्वर
कुछ भाजपा कार्यकर्ता ने कम भीड़ को लेकर अपने नेताओं को पीठ पीछे ताने मारने में भी कसर नहीं छोड़ी और कहाँ कि उदयपुर भाजपा ज़िला अध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली ने प्रदर्शन की सूचना सिर्फ़ वाट्सअप से माध्यम से दी जबकि संगठन में हैं 3-3 महामंत्री थे और भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी इन के कंधों पर थी। वहीं ये भी सुना गया कि प्रदर्शन को लेकर विधिवत रूप से कार्यकर्ताओं को सूचना नहीं दी गई और उदयपुर ज़िले में 12 मंडल सक्रिय होने पर भी मंडल अध्यक्ष अकेले -अकेले ही आ गए। हलकों में कार्यकर्ता ये भी कहते नजर आए कि जो अपने आप को भारी नेता मानते हैं ,उनमेंसे ज्यादातर नदारद थें ,तो भला प्रदर्शन सफल कैसे होता?