उदयपुर की पीछोला, फतहसागर और बड़ी झील में मछली पालन और पकड़ने (मत्स्याखेट) पर रोक, स्पीड बोट संचालन रहेगा जारी
उदयपुर की झीलों के पानी के संरक्षण और मछलियों के जीवन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को रोकने के लिए प्रशासन ने कदम उठाया है। स्थानीय प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए पीछोला, फतहसागर और बड़ी झील में पिछले 15 सालों से चल रहे मछली पालन और पकड़ने (मत्स्याखेट) पर रोक लगा दी है। जिला झील संरक्षण एवं विकास समिति उदयपुर के अध्यक्ष व कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने मंगलवार को इसके आदेश जारी किए। आदेश में कहा गया है कि आगामी समय में भी इन तीनों झीलों में मत्स्याखेट (फिशिंग) के टेंडर जारी नहीं किए जाएंगे।उदयपुर की पिछोला, फतहसागर और बड़ी झील में झील संरक्षण एवं विकास समिति की रिपोर्ट के आधार पर इन झीलों में दिए ठेके को जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल ने निरस्त कर दिया है। उप वन संरक्षक (उत्तर) उदयपुर ने समिति को पत्र के माध्यम से बताया कि पिछोला, फतहसागर, बड़ी झीलों में फीशिंग होने से पानी की शुद्धता में गिरावट हो रही है। इन झीलों को जीवंत बनाए रखने को लेकर फीशिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। पत्र के आधार पर संबंधित ठेकेदारों को जिला झील संरक्षण एवं विकास समिति के समक्ष व्यक्तिशः उपस्थित होने के निर्देश दिए गए।इस पर मत्स्य ठेकेदार लक्ष्मीलाल ने समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा। इसके बाद 15 मार्च को समिति की बैठक हुई। इसमें की चर्चा में सामने आया कि पिछोला, फतहसागर बड़ी झीलों में दिए मत्स्याखेट ठेके व से पर्यावरण संरक्षण, पक्षियों व जलीय जीवों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उच्च न्यायालय की ओर से दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए ये ठेके निरस्त कर दिए जाय।
आदेश की कॉपी जयपुर में मत्स्य विभाग के निदेशक को भी भेजी गई है। दूसरी ओर, पिछोला और फतेहसागर झील में फिलहाल स्पीड बोट चलती रहेंगी। समिति ने पर्यटन की दृष्टि से स्पीड बोट का संचालन जरूरी माना है। विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर झीलों पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे के निर्णय लेकर समाधान किए जाएंगे।