सोशल मीडिया के विज्ञापनों में पवित्र गणगौर बोट पर लंच डिनर और मद्यपान, RTO का गणगौर नाम की किसी बोट के संचालित होने से इनकार !
उदयपुर शहर की झीलों मे वर्तमान में कई होटलों के साथ साथ स्थानीय निकायों के ठेकेदारों की बोट्स संचालित होती है। अधिकृत तौर पर उदयपुर की होटल वाले केवल यात्रियों को किनारे से होटल तक नाव में लाने के लिए अधिकृत हैं,वही स्थानीय निकायों के ठेकेदारो की नावो से झील में सैर कराई जाती है।होटल की नावों का रजिस्ट्रेशन केवल झील मार्ग से पर्यटकों को होटल लाने ले जाने के लिए है। इसके साथ ही रात्रि में नाव संचालन की विशेष अनुमति देने में आरटीओ बड़े सहद्रयी पाए गए हैं और पिछले 6 महीनों में अनगिनत कथित गैर वाजिब रात्रि नाव संचालन स्वीकृति जारी करते जा रहे है !
रियासत काल से कलात्मक शैली की जो बड़ी सी नाव पिछोला झील में संचालित की जाती है , इस नाव का उपयोग मेवाड़ के प्रसिद्ध लोक उत्सव गणगौर में होने वाली सांस्कृतिक प्रथाओं - रीति रिवाजों में किए जाने के कारण इसे गणगौर नाव / बोट ही कहा जाता है। शहर में रहने वाला शायद ही कोई निवासी ऐसा हो जो इस गणगौर बोट से अनभिज्ञ हो।
लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि उदयपुर के RTO विभाग द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार पिछोला झील में गणगौर नामक कोई बोट संचालित नही है। काफी समय से सोशल मीडिया पर एक होटल द्वारा इसे महराणा की गणगौर बोट बताकर चमकते सितारों की रोशनी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ डाइनिंग का आनंद लेने के विज्ञापन वायरल किए जा रहे ह, जिनमे बोट्स के कई फ़ोटो है। नाव में पर्यटक बिना लाइफ जैकेट खान पान का लुत्फ उठा रहे है और होटल के लोक कलाकार बिना लाइफ जैकेट संगीतमय प्रस्तुतियां दे रहे है।
इस संबंध में जब RTO उदयपुर से सूचना माँगी गई तो RTO ने अपने लिखित जवाब में गणगौर बोट के संचालित होने से ही इनकार कर दिया। अब सवाल उठते है कि जिस बोट को होटल द्वारा गणगौर बोट बताया जा रहा है वो बोट कौन सी है ? और क्या ऐसी कोई भी बोट झीलों में लंच डिनर करवाने और बिना लाइफ जैकेट पर्यटकों को घुमाने के लिये अधिकृत है ?
क्या RTO के नियम इन बोटो पर लागू नही होते ?
कुछ दिन पूर्व ही झील में ही चलने वाली एक अन्य झोपड़ी नुमा बोट के वीडियो व फ़ोटो वायरल हुई थे, जिनमें पर्यटक बिना लाइफ जैकेट खान पान का आनंद उठा रहे थे। जिसे RTO द्वारा दिए गए नोटिस के जवाब में झील में एक स्थान पर ही खड़ी होना बता कार्यवाही से बचने का प्रयास किया गया ।
सरकारी विभाग द्वारा दिये गए जवाब और उपलब्ध तथ्यों का परस्पर विरोधी होना एक गंभीर प्रकरण है, जिस पर शहर की जनता का नेतृत्व करने वाले जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है।