जयपुर, 1 फरवरी। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आर्द्रभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति वैश्विक जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि 2 फरवरी 1971 को ईरान के शहर रामसर में आर्द्रभूमि पर कन्वेंशन को अपनाया गया था। 2024 की थीम “वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग“ है।
राजस्थान में 2.25 हेक्टेयर से बड़े क्षेत्र के 12625 वेटलैंड्स स्थित है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा 75 आर्द्रभूमियों को आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन अधिनियम 2017 के तहत अधिसूचित किया जा चुका है। राज्य में दो रामसर स्थल सांभर झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी विहार विश्व पटल पर अंकित है। इसी के साथ राजस्थान राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों की संख्या बढ़ाने हेतु मेनार तालाब उदयपुर, चांदलाई जयपुर, खींचन (जोधपुर) कानवास पक्षी विहार (कोटा), लूणकरणसर (बीकानेर) के प्रस्ताव तैयार कर वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से रामसर सचिवालय में भेजने की अनुशंसा की है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा झीलों की नगरी, उदयपुर शहर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रामसर वेटलैंड सिटी के रूप में नामित करने के लिए तैयार कर रामसर सचिवालय को भेजा जा चुका है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद उदयपुर वेटलैंड सिटी के रूप में एक नयी पहचान के साथ पर्यटन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर पायेगा।
चूंकि आर्द्रभूमि अत्यंत महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र हैं जो जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन, मीठे पानी की उपलब्धता, विश्व अर्थव्यवस्थाओं में योगदान करते हैं। ऐसे में पर्यटन के साथ वन्य जीव संरक्षण एवं संवर्धन व राज्य की अर्थव्यवस्था में भी आर्द्रभूमि का महत्वपूर्ण योगदान है।