फतहसागर में बिना अधिकृत फिटनेस सर्टिफिकेट चल रही मेवाड़ बोटिंग की 4 नावें, दुर्घटना में कौन होगा जिम्मेदार और कौन देगा मुआवजा ?
उदयपुर, 23 सितंबर 2022 :उदयपुर की फतहसागर झील न केवल उदयपुर वासियों के खुशियों का सागर बल्कि यहाँ आने वाले पर्यटक भी इसकी खूबसूरती के मुरीद हो जाते है। यहाँ आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग UIT द्वारा अधिकृत ठेकेदार के मार्फत तीन अलग अलग पॉइंट्स पर नाव में फतहसागर की राइड को एन्जॉय भी किया करते है।
लेकिन उदयपुर में इन झीलों में खासकर फतहसागर में एक नाव ठेकेदार जो कि मोती मगरी गेट के सामने मेवाड़ बोटिंग के नाम से फतहसागर में नाव संचालन कर रहे है,इनके द्वारा बिना अधिकृत फिटनेस सर्टिफिकेट चार नावों का संचालन किया जा रहा है,जिसमें दो मोटर बोट और 2 स्पीड बोट शामिल है। इसका सीधा मतलब ये भी हो सकता है कि उक्त नावों के इन्शुरेंस (बीमा) भी एक्सपायर हो गए हो। कुल मिलाकर फतहसागर में नाव में बैठने वाले पर्यटकों की नाव का बिना फिटनेस सर्टिफिकेट संचालन हो रहा है और अगर ऐसी हालात में यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो किसकी जिम्मेदारी होगी? फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना क्या बीमा कंपनियां दुर्घटना का क्लेम पीड़ितों को देंगी ? कुल मिलाकर सरकारी विभागों की लापरवाही के कारण फतहसागर में नाव संचालन में वैधानिक नियमों के पालन की अनुपालना में शिथिलता बरती जा रही है ।
आपको बताते चले कि उदयपुर की झील फतहसागर का मालिकाना हक UIT के पास है तो वही पिछोला का मालिक नगर निगम है। दोनों विभागो से कही न कही कुछ लापरवाही या अनदेखी जरूर हो रही है ।
क्या कहा उदयपुर के परिवहन विभाग ने
RTO के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी पी एल बामनिया का कहना है कि फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना चल रही नावों पर DTO द्वारा कार्यवाही की जाना अनुसंशित है। वहीं DTO कल्पना शर्मा ने कहा कि वर्तमान में नाव संचालक द्वारा बोटिंग को लेकर न्यायालय में वाद दायर किया गया है और माननीय न्यायालय ने मामले पर प्रार्थी को स्टे दे रखा है। हालांकि फिटनेस सर्टिफिकेट एक्सपायर होने के बाद संचालन में रोक को लेकर वे बयान देने से बचती नजर आई है। मामले को लेकर उन्होंने कहा कि UIT यदि निर्धारित फॉरमेट में फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए धारा 3 के तहत NOC देती है तो नियमों के आधार पर वे फिटनेस जारी कर सकती है। फिलहाल चार नावों का फिटनेस एक्सपायर हो गया है।
क्या कहता है बोटिंग एक्ट 1956
आपको बताते चले कि न्यायालय के स्टे में कहीं पर भी ये ज़िक्र नहीं है कि वादी को कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना होगा । कुल मिलाकर लापरवाही या संबंधों की बानगी में फतहसागर में नाव संचालन को लेकर पर्यटकों की जान से खेला जा रहा है।