उदयपुर सौर वेधशाला के तत्वावधान में तीन दिवसीय सौर भौतिकी कार्यशाला "बहु-स्तरीय सौर परिघटनाएँ: वर्तमान क्षमताएं एवं भावी चुनौतियाँ [यूएसपीडब्ल्यू -2023]" का प्रथम दिवस, उद्घाटन समारोह, शोध व्याख्यानों एवं पैनल परिचर्चा के साथ सम्पन्न हुआ।
कार्यशाला का उद्घाटन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष तथा सदस्य, प्रधान मंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद, भारत सरकार के अध्यक्ष पद्मश्री ए एस किरण कुमार ने किया ।
किरण कुमार ने कहा कि अभिभाषण वैज्ञानिक प्रेक्षणों – सूचनाओं के साथ नवीन तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), मशीन लर्निंग के द्वारा शोध के नये आयाम स्थापित कर नये परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं । इसके लिए देश में सक्षम वातावरण निर्मित हो रहा है ।
उन्होंने वैज्ञानिकों को आगामी सौर मिशन की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रेरित किया
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के निदेशक, प्रोफेसर अनिल भारद्वाज न स्वागत उद्बोधन मे उदयपुर सौर वेधशाला में स्थापित उन्नत तकनीक युक्त सौर दूरबीनों (जैसे – MAST (मास्ट), GONG (गोंग), सौर रेडियो दूरबीन E- Callisto (ई-कैलिस्टो) के बारे मे बताया ।
उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा निर्मित चंद्रयान – 2 के साथ भेजें गए XSM (एक्सएसएम) पेलोड जो कि सूक्ष्म सौर प्रज्वाल के अध्ययन में उपयोगी भूमिका निभा रहा हैं, पर चर्चा की।
कार्यशाला संयोजक डॉ भुवन जोशी व डॉ रमित भट्टाचार्य ने तीन दिनों के सत्रों की रूप रेखा रखी ।
चंद्र विजेता मानव किस दिन सूर्य विजेता बनेगा?
वर्ष 1970 मे विद्या भवन के सभागार के द्वार पर उकेरी इन पंक्तियों को देख सार्थक करने की दिशा मे कार्य कर रहे देश के शीर्ष वैज्ञानिक पद्मश्री किरण कुमार तथा डॉ अनिल भारद्वाज अभिभूत हो गए।
विद्या भवन सभागार मे विद्यार्थियों से खास तौर पर मिलने पंहुचे इन दोनो वैज्ञानिकों ने जब द्वार के दूसरी और उकेरी हुई पंक्तियों " क्या हमारे भाई दूसरे ग्रह नक्षत्रों मे भी है "? को पढ़ दोनो वैज्ञानिक कुछ देर के लिए गंभीर सोच मे रहे ।
उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई 1969 मे मानव जब चंद्र पर गया तब उसके अगले ही दिन हुए 21 जुलाई को विद्या भवन के स्थापना दिवस सामारोह मे इस वैज्ञानिक उपलब्धि का उत्सव मनाया गया । साथ ही यह चर्चा भी हुई थी कि मानव सूर्य विजेता कब बनेगा । यही जिज्ञासा दीवार पर उकेरी हुई है ।
दोनों शीर्ष वैज्ञानिकों का मेवाड़ी पगड़ी पहनाकर उपरना ओढ़ा व महाराणा प्रताप की प्रतिमा भेंट कर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों व गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए डॉ किरण कुमार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान मिशन की अब तक की यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भारत का अंतरिक्ष मिशन अन्य देशों से इस मामले में अलग है कि हमनें सैन्य उद्देश्यों के बदले शोध व आम जन जीवन की समस्याओं के समाधान के उद्देश्यों से इस पर कार्य किया है। उन्होंने पिछले वर्षों में लॉन्च किए गए भारतीय चंद्रयान मिशन 1 व 2 तथा मंगलयान मिशन की जानकारियां भी सांझा की। उन्होंने आदित्य एल 1 मिशन को सूर्य के शोध में एक क्रांतिकारी कदम बताया।
प्रो अनिल भारद्वाज ने विद्यार्थियों को स्पेस रिसर्च में आगे करियर बनाने का आव्हान किया और यह भी कहा कि बच्चों को स्पेस प्रक्षेपण केंद्र पर जाकर अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण को देखना चाहिए।
विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए किरण कुमार ने कहा कि हम जल्दी ही चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजेंगे। साथ ही कहा कि हमें मिलकर भारत में ऐसा वातावरण व कार्य संस्कृति बनानी होगी जिससे ना केवल हमारा टैलेंट बाहर की बजाय यहीं कार्य करे बल्कि हमें अन्य देशों के प्रतिभाशाली शोधार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करना है।
कार्यक्रम में उदयपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष कोमल कोठरी, विद्या भवन गवर्निंग बोर्ड के गोपाल बंब, पुष्पा शर्मा, रेवती रमण श्रीमाली, विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता, स्कूल प्राचार्य पुष्पराज सिंह , वैज्ञानिक महीप भटनागर उपस्थित रहे ।