जन्म तिथि या मूलांक के आधार पर जानिए कुछ अनसुनी बातें आपके बारे में !
पहले मूलांक अंक बनाये और उसके पश्चात् अपना मूलांक जान कर अपने बारे पढ़ते चले जाए और अपने अंक को बुकमार्क कर ले। अपने इष्ट देव, ग्रह स्वामी, तथा निवारण जानिए।
यहाँ आपको मूल अंक अर्थात मूलांक बनाना बता रहे हैं। यह जन्म की दिनांक से बनाया जाता है। यदि किसी की जन्म दिनांक न हो तो यह जन्म तिथि से भी बनाया जा सकता है। मान लो किसी व्यक्ति की जन्म दिनांक एक है, तो उसका मूलांक 1 होगा। इसी प्रकार 2 का 2, 3 का 3, 4 का 4, 5 का 5, 6 का 6, 7 का 7, 8 का 8 एवं 9 जन्म तारीख का मूल अंक 9 रहेगा। तिथि 10 का 1 + 0 = 1 होगा तथा इसी तरह 11 का 1 + 1 = 2 12 का 1 + 2 = 3 13 का 1 + 3 = 4 14 का 1 + 4 = 5 15 का 6, 16 का 7, 17 का 8, 18 का 9, 19 का 10 अर्थात् 1, 20 का 2. 21 का 3, 22 का 4, 23 का 5, 24 का 6, 25 का 7. 26 का 8, 27 का 9, 28 का 10 अर्थात् 1, 29 का 11 अर्थात् 2, 30 का 3, 31 का 4 मूलांक बनेगा।
जन्मतिथि से मूलांक बनाने की विधि यह है कि एक महीने में 30 तिथियाँ होती हैं और मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। पूर्णमासी के बाद की प्रतिपदा की संख्या 16. द्वितीया की 17. तृतीया की 18 होती है। इसी प्रकार अमावस्या की तिथि संख्या 30 होगी। शुक्लपक्ष की प्रतिपदा की संख्या 1 से चलकर पूर्णमासी तक 15 तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक 16 से लेकर 30 तक होती है। वैसे आजकल अंग्रेजी तारीख सर्वत्र प्रचलित है और पूरी जन्मतिथि मालूम हो तो अंग्रेजी तारीख भी निकाली जा सकती है। परन्तु यदि कभी अंग्रेजी तरीख न मिले और तिथि मालूम हो जाये तो तिथि का मूल अंक बनाकर फल कथन किया जा सकता है।
किसी भी संख्या का मूल अंक जानने का आसान तरीका यह है कि उस संख्या में 9 का भाग दीजिये, जो शेष बचे वही मूल अंक होगा। 0 शून्य बचे तो 9 मूल अंक होगा। नीचे 1 से 9 तक के मूलांकों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
मूलांक 1 सूर्य
किसी भी वर्ष या महीने की 1. 10. 19 और 28 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्ति या जातक का मूलांक 1 होता है। ऐसे जातक सूर्य ग्रह से प्रभावित होते हैं। इन पर सूर्य का प्रभाव विशेष रूप से देखा गया है। यह स्थिर विचारधारा के व्यक्ति रहते हैं एवं अपने निश्चय पर दृढ़ रहते हैं। जीवन में जब भी यह किसी को वचन इत्यादि देते हैं तो उन्हे पूर्ण निभाने की यत्न करते हैं। इनकी इच्छा शक्ति दृढ़ होती है तथा जो भी कार्य या विचार अपने मन में बना लेते हैं, उनका पालन करने की निरन्तर कोशिश करते हैं। प्रेम संबंध या मित्रता के संबंध स्थाई और लम्बे समय तक मधुर बने रहते हैं। जब कभी किसी कारणवश इनका किसी से विवाद या शत्रुता हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में इनका शत्रु या विभाजित व्यक्ति से मन मुटाव दीर्घ काल तक बना रहता है।
इनकी मानसिक स्थिति स्वतन्त्र विचार धारा की होने से पराधीन रहकर कार्य करने में असुविधा महसुस करते हैं। किसी के अनुशासन में कार्य करने की अपेक्षा यह स्वतंत्र रूप से कार्य करना अधिक पसंद करते हैं। निष्पक्ष कोशिश एवं महत्वकांक्षा रहती है कि यह जो भी कार्य करें निष्पक्ष एवं स्वतंत्र हो, उस कार्य में किसी बाहरी व्यक्ति का बीच में हस्तक्षेप इनको मंजूर नहीं होता है। मूलांक 1 का स्वामी सूर्य ग्रह होने के कारण सूर्य से संबंधित गुण कमोवेश मात्रा में इनके अन्दर मोजूद रहती है। जिसके प्रभाव से यह दुसरों का उपकार एवं उपचार निरन्तर करते रहते हैं। सामाजिक क्षेत्र में यह सूर्य के समान ही प्रकाशित होना पसंद करते हैं। सामाजिक संगठनो में मुखिया एवं निरन्तर उच्च पद पाने की इनकी चाहत बनी रहती है। जिसे यह अपनी मेहनत एवं लगन से प्राप्त कर लेते हैं, मूलांक एक के व्यक्तियों को नौ का अंक स्पन्दित करता है। चार एवं आठ के अंक आकर्षित करते हैं तथा 6 एवं 7 के अंक विपरीत रहते हैं। जबकि 2, 3 एवं 5 के अंक मध्यम फल देते हैं। इन्हे रविवार का दिन विशेष लाभप्रद रहता है।
सूर्य को जीवन प्रतीक माना गया है एसे लोग ईमानदार होते है और दृढ़ निश्चयी और श्रृजनशील व्यक्ति होंगे। किसी भी काम को आगे बढ़कर करने वाले और कार्य को स्वयं करने का दम रखते है ऐसे लोगो को और सूर्य का सर्य को जल अर्पित करना चाहिए तथा जल देते समय इस मंत्र ॐ सः सूर्याय नमः का जाप करना चाहिए।
मूलांक 2 (चन्द्रमा)
वर्ष के किसी भी मास की तारीख 2, 11, 20 और 29 तारीख को जन्म लेने वाले जातक का अंक ज्योतिष के आधार पर मूलांक दो होता है। मूलांक दो का स्वामी चन्द्र ग्रह को माना गया है। ऐसे जातकों पर चन्द्र का विशेष प्रभाव देखा गया है। चन्द्र के प्रभाववश ऐसे जातक कल्पनाशील, कलाप्रिय एवं स्नेहशील स्वभाव के होते हैं। इनकी कल्पनाशक्ति उच्च कोटि की होती है, किंतु शारीरिक शक्ति इनकी बहुत अच्छी नहीं होती। इनमें बुद्धि चातुर्य काफी अच्छा रहता है एवं बुद्धि विवेक के कार्यों में ये दूसरों से बाजी मार ले जाते हैं। जिस प्रकार से इनके मूलांक स्वामी चन्द्रमा का रूप एकसा नहीं रहता समयानुसार घटता-बढ़ता रहता है, उसी तरह इनके जीवन में भी काफी उतार चढाव आते हैं तथा एक विचार या योजना पर दृढ़ नहीं रह पाते।
इनकी योजनाओं में बदलाव होता रहता है एवं एक योजना को छोड़कर दूसरी को प्रारम्भ करने की प्रवृत्ति इनके अन्दर पाई जाती है। धीरज एवं अध्यवसाय की इनमें कमी रहती है। इससे इनके कई कार्य समय पर पूर्ण नहीं होते। आत्म विश्वास की मात्रा इनके अन्दर कम रहेगी एवं स्वयं अपने ऊपर पूर्ण विश्वास नहीं रख पाते, जिससे कभी-कभी इनको निराशा का सामना करना पड़ता है यह लोग अपनी भावुकता पर काबू पा लें तो जीवन में सफल हो सकते है
मूलांक 2 के जातकों में यद्यपि चारित्रिक विपरीतता रहती है। फिर भी इनमें सहजता पूर्ण स्पन्दन विद्यमान रहता है। इनमें सूर्य के स्त्रियोचित गुण विद्यमान रहते हैं। जिससे वे अच्छे मित्र बन सकते हैं। ऐसे जातक प्रकृति से शिष्ट, कल्पनाशील, कलात्मक प्रवृत्ति के और रोमांटिक होते हैं। ये अन्वेषक प्रवृत्ति के होते हैं, किन्तु अपने विचारों को उतनी दृढ़ता के साथ क्रियान्वित नहीं कर पाते, जितनी कि एक अंक वाले करते हैं। इनके गुण शारीरिक की अपेक्षा बौद्धिक रूप में अधिक दिखलाई पड़ते हैं और यह अंक 1 के व्यक्तियों की अपेक्षा शारीरिक रूप में कमजोर होते हैं।
अंक 2 वाले व्यक्तियों को जिन प्रमुख कमियों से बचना चाहिए वह हैं अपने विचारों एवं योजनाओं के प्रति उद्विग्नता अस्थिरता निरन्तरता का अभाव एवं आत्म विश्वास की कमी। ये व्यक्ति अत्यधिक सवेंदनशील होते हैं और यदि इनको सुख और सुविधा पूर्ण वातावरण न मिले तो बहुत जल्दी निराश व हताश हो जाते हैं। यह रजोगुण प्रधान व्यक्ति, परलोक सिधार की इच्छा रखने वाले, व्यवहार कुशल माया का सम्पूर्ण भोग करने वाले, निरन्तर उन्नति की और अग्रषर नवीन कार्यों, क्रिया कलापों का अनुसंधान करने वाले, मानसिक शक्ति एवं विचार शक्ति प्रधान, ऐश्वर्य सम्पन्न कीर्तिवान अपरिचित व्यक्ति को अपना बनाने वाले, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, मधुर भाषी होते हैं। इनकी बुद्धि अद्भुत होती ह
मूलांक 2 वाले व्यक्तियों के लिए किसी भी मास की 2. 11, 20 और 29 तारीख विशेष महत्वपूर्ण रहती है। इन तारीखों में इनके बहुत से कार्य बनते हैं। इनको सोमवार, शुक्रवार तथा रविवार के दिन महत्वपूर्ण रहते हैं।
अगर आप का जन्म 2,11,20 या 29 तारीख को हुआ है तो आप का मूलांक 2 है। मूलांक 2 का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है, और चन्द्रमा को शीघ्रगामी ग्रह माना गया है, मूलांक 2 से संबंधित लोग अत्यंत कल्पनाशील, भावुक, सहृदय और सरलचित्त होते हैं। ये मूलतः बुद्धिजीवी होते हैं। ये मस्तिष्क के स्तर अधिक सबल एवं स्वस्थ होते हैं, ऐसे लोगों को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। अपनी माता की सेवा करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।
मूलांक 3 (गुरू)
मूलांक 3 का स्वामी गुरु या बृहस्पति है। जो व्यक्ति 3, 12, 21 या 30 दिनांक को पैदा हुए हों उनका मूल अंक 3 होता है। पाश्चात्य मत के अनुसार 19 फरवरी से 21 मार्च तक और 21 नवम्बर से 21 दिसम्बर तक के बीच के समय में तथा भारतीय मत से 15 दिसम्बर से 13 जनवरी तथा 14 मार्च से 12 अप्रैल के बीच जिनका जन्म होता है, उन पर बृहस्पति का प्रभाव रहता है। जो व्यक्ति इस काल में उपरोक्त तारीखों को पैदा होते हैं उन पर बृहस्पति का विशेष प्रभाव रहता है या पड़ता है।
3 अंक वाले व्यक्ति अनुशासन में कठोर होते हैं। फौज या किसी सरकारी विभाग में अध्यक्ष हों तो अपने अधीन काम करने वाले कर्मचारियों से बहुत सख्ती से काम लेते हैं। काम में ढील या शिथिलता बर्दाश्त नहीं करते और इतनी सख्ती से काम लेते हैं कि अधिनस्थ व्यक्ति ही इनके शत्रु हो जाते हैं। यह लोग बहुत महत्वाकांक्षी और शासन करने की इच्छा रखने वाले होते हैं। ऐसे जातक महत्वाकांक्षी होते हैं, और दूसरों पर शासन करने की इनकी सहज इच्छा
रहती है। गुरू ग्रह के प्रभाववश इनकी विचारधारा धार्मिक रहेगी तथा विद्या, अध्ययन, अध् यापन, बौद्धिक स्तर के कार्य तथा धर्म-कर्म के क्षेत्र में इनको अच्छी उपलब्धियाँ एवं ख्याति प्राप्त होती है।
मानसिक रूप से ये काफी संतुलित एवं विकसित व्यक्ति होंगे तथा किसी भी विषय को समझने की इनमें विशेष क्षमता रहेगी। तर्क एवं ज्ञान शक्ति इनकी अच्छी रहेगी। यह मन से किसी का भी अहित नहीं करेंगे और दूसरों की भलाई करने में भी अपना समय देते रहेंगे। दान-पुण्य के कार्य भी ये काफी करते हैं। सामाजिक स्थिति इनकी काफी अच्छी रहेगी। समाज में ये अग्रणी एवं मुखिया पद का निर्वहन करना अधिक पसन्द करेंगे। दूसरों को सच्ची सलाह देना अपना धर्म समझेंगे।
ऐसे जातक स्वभाव से शान्त, कोमल हृदय, मृदुवाणी एवं सत्यवक्ता होते हैं। सत्य के मार्ग पर चलते हुये कष्टों को भी सहन करेंगे एवं अन्त में विजयश्री को प्राप्त करेंगे।
3 मूल अंक की 6 तथा 9 अंक के साथ मित्रता तथा अनुकूलता है। इस कारण जिन व्यक्तियों की जन्म तारीख का मूल अंक 6 या 9 बनता हो, उनके साथ 3 अंक वाले की मित्रता ठीक रहती है।
अगर आप का जन्म 3,12,21 या 30 तारीख को हुआ है तो उनका मूलांक 3 है। मूलांक 3 का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, जो सभी ग्रहों के गुरु हैं। मूलांक 3
वाले व्यक्ति बड़े स्वाभिमानी होते हैं। किसी के आगे झुकना इन्हें पसंद नहीं होता। 3 मूलांक वाले बड़े संघर्षशील, श्रमजीवी तथा कष्टों से हार न मानने
वाले होते हैं। 3 मूलांक वाले शिक्षा से जुड़े और ज्ञान देने वाले होते है दिल के बहुत साफ और बुद्धि से बहुत समझदार होते है साथ ही ये अच्छे विचारक,
दूरदर्शी, संभावित घटनाओं को भांप लेने वाले होते हैं। 3 मूलांक वालो को गुरु को धारण जरूर करना चाहिए या गुरु समान लोगो का आदर करना चाहिए। इन के लिए विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत लाभकारी है।
मूलांक 4 (राहु)
4 अंक का मूल अधिष्ठाता राहु ग्रह है। राहु या हर्षल का प्रभाव है सहसा प्रगति, विस्फोट, आश्चर्यजनक कार्य, असंभावित घटनायें आदि। जिन व्यक्तियों की जन्म तारीख 4, 13, 22, 31 होती है उनका मूल अंक 4 होता है। 4 मूल अंक वाले व्यक्ति संघर्षरत रहते हैं। आम धारणा से उनकी राय प्रायः नहीं मिलती और उनके विचार जमाने से काफी आगे, अलग ही होते हैं। अपने विरोध करने की आदत के कारण ऐसे व्यक्तियों के शत्रु भी बहुत बन जाते सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक किसी दूसरों के साथ मित्रता जल्दी स्थापित नहीं करते परन्तु 1, 2, 7 तथा 8 मूल अंक वालों के साथ सहानुभूति या सौहार्द बहुधा हो जाता है। धन संग्रह करना पसन्द नहीं होता। मौज करना और खुश रहना इनका स्वभाव होता है। ऐसे जातकों के जीवन में कई असंभावित घटनायें भी घटती हैं। एकाध घटनायें ऐसी भी घटित होती हैं जो इनका केरियर बदल देती हैं। ये एक संघर्षशील व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं तथा इनकी विचार धारा भी आम धारणा से प्रायः अलग रहती है। जमाने से ये काफी आगे की सोच रखते हैं तथा अपना विरोध प्रगट करने की आदत के कारण स्वयं अपने आलोचक तैयार करते है
21 जून से 31 अगस्त तक के समय में राहु का विशेष प्रभाव रहता है इन जातकों को रविवार, सोमवार तथा शनिवार शुभ होते हैं और 4, 13, 22 तथा 31 तारीखें शुभ होती हैं। 21 जून से 31 अगस्त तक का समय भी अच्छा रहता है। इन जातकों को नये काम की शुरूआत और अपने महत्वपूर्ण कार्य इन्ही तारीखों में अगर रविवार, सोमवार या शनिवार भी पड़ता हो तो और भी अधिक शुभ रहता है
अगर आप का जन्म 4,13,22 या 31 तारीख को हुआ है तो उनका मूलांक 4 होगा। 4 मूल्यांक का स्वामी ग्रह राहु है। 4 मूल्यांक वाले महान क्रांतिकारी, वैज्ञानिक या राजनीतिज्ञ हो सकते है लेकिन इस अंक वालों को जिद्दी और हठी के रूप में भी देखा गया है। ऐसे लोग जीवन मे या तो बहुत बड़े बड़े मक़ाम म पर होते है या जीवन भर मे प्रयासों में हो लगे रहते है जल्दी किसी पर यक़ीन नही करतै। लेकिन ये साहसी व्यवहार कुशल और चकित कर देने वाले कामों को करने में भी निपुण होते हैं। 4 मूल्यांक वालो को शिव पूजा जरूर करनी चाहिए। और साल में एक बार भैरव जी के मंदिर जाकर उन का आशीर्वाद भी लेना चाहिए। गोमेद रत्न पहनना लाभकारी होगा। इसे लेने से पहले कुंडली जरूर दिखाए।
मूलांक 5 (बुध)
इस अंक का स्वामी बुध ग्रह है। 5, 14 या 23 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्तियों का मूल अंक 5 होता है। 22 मई से 21 जून तक और 24 अगस्त से 23 सितम्बर तक प्रतिवर्ष सूर्य सायन मिथुन तथा कन्या राशियों में रहता है तथा भारतीय मत से 15 जून से 15 जुलाई तक एवं 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक सूर्य मिथुन तथा कन्या राशि में रहता है और यह राशियाँ बुध की राशियाँ हैं। इस कारण इस समय में उत्पन्न व्यक्तियों पर बुध का विशेष प्रभाव रहता है।
इन तारीखों और समय में जन्मे जातक मिलनसार होते हैं और वे शीघ्र मैत्री भाव करते हैं। 5, 14, 23 तारीखों में पैदा हुए व्यक्तियों से इनकी घनिष्ठता हो जाती है। यह लोग व्यापार की ओर ज्यादा आकृष्ट होते हैं। खासकर शीघ्र लाभ वाले व्यापार की ओर। यह लोग बहुत जल्दबाज होते हैं। फुर्तीले भी होते हैं और हर काम जल्दी से निपटाना पसन्द करते हैं। ज्यादा देर तक किसी बात पर चिन्ता, शोक या पश्चाताप नहीं करते और किसी की बुराई या आघात को शीघ्र भूल जाते हैं। क्षमा कर देते हैं और अपने काम में लग जाते हैं। इनके मिजाज में जल्दबाजी, चिड़चिड़ापन, शीघ्र क्रोध आने की प्रवृत्ति होती है। यह लोग अपनी दिमागी ताकत से बहुत अधिक खर्च करने के कारण स्नायु मण्डल की कमजोरी के शिकार हो जाते हैं।मूलांक पाँच के प्रभाववश ऐसे जातक रोजगार के क्षेत्र में सर्विस की अपेक्षा व्यापार के मार्ग की ओर अधिक आकृष्ट होते हैं। जोखिम उठाने को तत्पर रहते हैं।
इस अंक के व्यक्तियों में चारित्रिक लचक गजब की होती है। किसी कठिनाई या मुसीबत भरी झंझट से ये बहुत जल्दी उबर जाते हैं। अधिक समय तक कोई भी कष्ट इन्हे नहीं रहता। अपने जन्म के ग्रह के समान ही ये व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं, अतः इनके चरित्र पर भाग्य अपना कोई स्थायी घाव नहीं छोड़ता। यदि ये स्वभाव से भले हैं तो वैसे ही रहते हैं और यदि स्वभाव से बुरे हैं तो बुरे बने रहते हैं और इन पर किसी प्रकार की शिक्षा का कोई असर नहीं होता।
ऐसे जातको की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि ये व्यक्ति मानसिक शक्ति का इतना अधिक प्रयोग करते हैं कि मानसिक संतुलन कभी कभी खो बैठते हैं। किसी भी मानसिक तनाव की स्थिति में ये चिड़चिड़ा जाते हैं। इन्हे शीघ्र ही गुस्सा आ जाता है और आसानी से किसी बात को पचा नहीं पाते।
मूलांक 5 के प्रभाववश इस्वी सन् जिनका योग 5, 3, 9, होता है इनके लिए विशेष घटनाक्रम वाले होते हैं,मूलांक 5 वाले व्यक्तियों की अंक 3 एवं अंक 9 से मित्रता रहती है। अतः इनके जीवन में 5, 3, 9, के अंक विशेष घटनाक्रम वाले होते हैं। अंक 1, 6, 7, 8, सम रहते हैं, तथा 2 एवं 4 के अंक शत्रु होते हैं।
इनके लिए हल्का खाकी, सफेद चमकीला उज्वल रंग विशेष अनुकूल रहता है।
अगर आप का जन्म 5,14 या 23 तारीख को हुआ है तो आप का मूलांक 5 होगा। मूल्यांक 5 का स्वामी ग्रह बुध है जो ज्ञान एवं बुद्धि का प्रतीक हैं अतः मूलांक 5 वाले व्यक्तियों का बुद्धिमान होना स्वाभाविक है साथ ही इस मूलांक के व्यक्ति साहसी तथा कर्मशील होते हैं। मूल्यांक 5 वाले नई-2 योजनाओ को बनाने में सक्ष्म होते है यह एक कुशल व्यापारी और बहुत अच्छे सेल्स मैन होते है जो रिस्क उठाने को सदैव तत्पर रहते है, मूलांक 5 वाले लोग एकाउंट्स और शिक्षा से जुड़े कार्य मे काफ़ी सफल होते हैं ये परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को ढाल लेते। हैं ऐसे लोगो को बुद्धि से सम्बंधित कार्य करने चाहिए। 5 मूल्यांक वाले गणेश जी की पूजा करें, हरे रंग को अधिक मात्रा में धारण करें और पन्ना रत्न पहने।
मूलांक 6 (शुक्र)
इस अंक का स्वामी शुक्र है। जिन व्यक्तियों का जन्म 6, 15, 24 तारीखों में से किसी भी एक तारीख को हुआ हो, उनका मूल अंक 6 होता है। 20 अप्रैल से 24 मई तक तथा 21 सितम्बर से 24 अक्टूबर तक सूर्य सायन वृष तथा सायन तुला राशियों में रहता है। निरयन मत से यह 13 मई से 14 जून तथा 17 अक्टूबर से 13 नवंबर तक का समय होता है। यह राशियां शुक्र की राशियां हैं। इस कारण इस समय में पैदा होने वाले व्यक्तियों पर शुक्र का प्रभाव विशेष रूप से रहता है। इन व्यक्तियों में आकर्षण शक्ति तथा मिलनसारी बहुत अधिक होती है और इस कारण ये लोग बहुत लोकप्रिय होते हैं। इनके साथ रहने वाले लोग इन्हें काफी प्रेम करते, श्रद्धा रखते और मान देते हैं। सुन्दरता की ओर ये ज्यादा आकृष्ट होते हैं। सुन्दर व्यक्ति, कला, चित्रकला, सुन्दर वस्त्र, संगीत, साहित्य की ओर इनकी रूचि अधिक रहती है। अतिथियों का विशेष सत्कार करना, हर चीज को ढंग से सजाना, वस्त्र, कपड़े फर्नीचर, परदे आदि सुन्दर सजाकर रखना इन्हें पसन्द आता है। स्वभाव से हठी होते हैं, अपनी बात चाहे सही हो या गलत मनवाना, उस पर अड़े रहना इनका स्वभाव होता है
मूलांक छह के प्रभाववश इनके अन्दर आकर्षण शक्ति तथा मिलन सारिता अधिक रहती है। इस गुण के कारण यह लोक प्रियता प्राप्त करते हैं। सुन्दरता, सुन्दर वस्तुओं की ओर आकृष्ट होना इनकी सहज प्रवृत्ति होती है। विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में इनकी अभिरूचि होती है एवं कला के क्षेत्र को ये अपना रोजगार-व्यापार भी बना सकते हैं। संगीत साहित्य, ललितकला, चित्रकला इत्यादि में रूचि रखते हैं। सुन्दर वस्त्र धारण करना एवं सुसज्जित मकान में रहना इनको अच्छा लगता है। अतिथियों का आदर सत्कार करने में इनको गर्व महसूस होता है। इन जातकों को हल्का नीला या आसमानी या गहरा नीला रंग शुभ होता है। हल्का गुलाबी भी ठीक है, परन्तु काला, गहरा लाला आदि रंग प्रयोग में नहीं लाने चाहिए। मंगलवार बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार के दिन शुभ होते हैं। 6,15 तथा 24 तारीखें शुभ हैं। मंगलवार, बृहस्पतिवार तथा शुक्रवार हो तो विशेष शुभ है।
इस अंक के जातकों को इनकी आयु के 6, 15, 24, 33, 42, 51, 60 व 69 वर्ष महत्वपूर्ण वर्ष हैं। जीवन की शुभ अशुभ सभी महत्वपूर्ण घटनायें इन्ही वर्षों में घटित होनी चाहिये। वैसे 3 व 9 अंक के वर्ष भी 6 मूल अंक वाले व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।मूलांक 6 के प्रभाववश इस्वी सन् जिनका योग 6. 3, 9 होता है इनके लिए अच्छे है |
अगर आप का जन्म 6,15 या 24 तारीख को हुआ है तो आप का मूलांक 6 है। मूलांक 6 का स्वामी ग्रह शुक्र है जो प्रेम एवं शान्ति का प्रतीक है। अतः मूलांक 6 वाले व्यक्ति सुंदर एवं प्रभावशाली होते हैं। हैं। इन की बन-ठनकर रहने की प्रवृत्ति होती है। 6 मूल्यांक वाले दीर्घायु, अच्छा स्वस्थ, बलवान, हंसमुख होते हैं। संगीत एवं चित्रकला में इनकी अच्छी रुचि होती है। मूलांक 6 वाले कला, आभूषण या वस्त्रों के व्यापार व्यवसाय या इनसे जुडे कामों में अच्छा कर सकते हैं। फ़िल्म, नाटक, रंगमंच, सोने चांदी हीरे, आदि से संबंधित काम, खान-पान या होटल आदि से संबंधित काम इनके लिए शुभ रहते हैं। इन्हें लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। अपने आस पास सफाई रखनी चाहिए। क्योंकि लक्ष्मी वही वास् करती है जहाँ साफ सफाई होती है अपनी पत्नी को हमेशा खुश करने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि वो भी घर की लक्ष्मी ही होती है।
मूलांक 7 (केतु)
मूल अंक 7 का स्वामी केतु ग्रह है। इसका भारतीय नाम वरूण है तथा केतु के रूप में भी जाना जाता है। 7, 16 और 25 तारीखों में जन्मे व्यक्तियों का मूल अंक 7 होता है ये जल प्रधान ग्रह है, और चन्द्रमा भी जल प्रधान ग्रह है। इस कारण 2 और 7 अंक में मित्रता है। 7 अंक वालों को 2, 11, 20 और 29 तारीखों में पैदा हुए व्यक्तियों के साथ अच्छी मित्रता निभ जाती है। 7 अंक वाले व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं और इन्हें चित्रकला तथा कविता में विशेष सफलता प्राप्त होती है। आर्थिक सफलता इन्हें विशेष नहीं मिलती और धन संग्रह में भी सफल नहीं होते। यात्रा करना, घूमना फिरना, सैर सपाटे करना इन्हे अच्छा लगता है। दूसरों के मन की बात समझने की शक्ति इनमें विशेष होती है। आयात निर्यात के काम में ओर समुद्री जहाज नौ सैना आदि के काम में सफलता प्राप्त करते हैं। 7 मूल अंक वाली स्त्रियों का विवाह धनी घरों में होता है। अंक सात का अधिष्ठाता भारतीय मतानुसार केतु एवं पाश्चात्य मतानुसार नेपच्यून ग्रह को माना गया है। इन ग्रहों के थोड़े-बहुत प्रभाव इनके ऊपर रहते हैं। मूलांक सात के प्रभाववश इनके अन्दर कल्पना शक्ति की मात्रा अधिक रहेगी। काव्य रचना, गीत-संगीत सुनना, दूरदर्शन देखना इनकी अभिरूचि में समाहित रहता है। ललित कलाओं, लेखन, साहित्य आदि में इनकी रूचि रहती है। आर्थिक सफलतायें इनको अधिक नहीं मिलेंगी तथा धन संग्रह करना भी इनको मुश्किल लगेगा। यात्रा, पर्यटन, सैर-सपाटा इत्यादि इनको विशेष अच्छा लगता है
7 अंक के अन्तर्गत जन्मे व्यक्ति धर्म के बारे में अनोखे विचार रखते हैं। ऐसे व्यक्तियों के स्वप्न बड़े विलक्षण होते हैं तथा अलौकिक रहस्यों की ओर इनका झुकाव रहता है। इन व्यक्तियों के पास अन्तश्चेतना, दिव्य शक्ति तथा विशिष्ट चुम्बकीय शक्ति का दिव्य उपहार होता है। जिससे ये शीघ्र ही दूसरे व्यक्तियों पर अपना प्रभाव डाल लेते हैं।
21 जून से 25 जुलाई तक नेपच्यून का विशेष प्रभाव रहता है। रविवार व सोमवार इनके शुभ दिन हैं। 7 अंक वाले व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण कार्य व नवीन कार्य 7, 16, 25 या 2, 11, 20 और 29 तारीखों में रविवार या सोमवार के दिन प्रारम्भ करें तो ठीक रहता है। यदि समय भी 21 जून से 25 जुलाई का हो तो और भी अच्छा है। इन व्यक्तियों को हरा, काफुरी, हल्का पीला और सफेद रंग विशेष अनुकूल रहता है। गहरे रंग अशुभ होते हैं।
मूलांक 7 वाले व्यक्तियों की अंक 2 एवं अंक 6 से मित्रता रहती है। अतः इनके जीवन में 2, 6, 7, के अंक विशेष घटनाक्रम वाले होते हैं। अंक 3, 4, 5, एवं 8 सम रहते हैं तथा 1 एवं 9 के अंक शत्रु है अगर आप जन्म 7,17 या 25 तारीख को हुआ है तो उनका मूलांक 7 है। मूलांक 7 का स्वामी ग्रह केतु है मूल्यांक 7 वाले व्यक्ति मौलिकता, स्वतंत्र विचार-शक्ति तथा असामान्य व्यक्तित्व के मालिक होते हैं ये शांत चित्त नहीं बैठ पाते सदैव कुछ न कुछ सोचते रहते हैं, ये सदैव बदलाव और यात्रा के लिए लिए उत्सुक रहते हैं। ये स्वतंत्र रूप से और निडरता से साफ साफ बात कहने वाले होते हैं इनमे प्रबल आत्मविश्वास होता हैं। लेकिन ऐसा देखा गया है छोटी-छोटी बातो पर ज्यादा रिएक्ट कर देते है ऐसे लोगो को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। कुतों को कुछ खाने के लिए देना चाहिए। कान (left) को छिदवाना चाहिए।
मूलांक 8 (शनि)
इस अंक का स्वामी शनि है। जो व्यक्ति 8, 17, 26 में से किसी भी तारीख को पैदा हुए हों, उनका मूल अंक 8 होता है। 21 दिसम्बर से 19 फरवरी तक सूर्य सायन मकर और कुम्भ राशियों में रहता है और यह शनि की राशियाँ हैं। इस कारण इन महीनों में पैदा हुए व्यक्तियों पर शनि का प्रभाव विशेष रूप से रहता है।
यह लोग बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं परन्तु अन्य व्यक्ति उनके महत्व को ठीक से आंक नहीं पाते और उनके साथ सहानुभुतिपूर्ण व्यवहार नहीं करते। इस कारण इनको कभी कभी उदासीनता हो जाती है और अकेलापन महसूस होता है। क्योंकि इनमें बाहरी दिखावा नहीं होता। इस कारण लोग इन्हें रूखा, शुष्क और कठोर हृदय समझते हैं। वास्तव में यह ऐसे नहीं होते। अपने काम से मतलब रखते हैं और काम को पूरा करने में लगे रहते हैं। जिससे कभी कभी लोग बुरा भी मान जाते हैं और दुश्मनी या दुर्भावना भी पैदा हो जाती है। ये बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं, उच्चपद व उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयत्न करते रहते हैं और इसके लिए हर प्रकार का त्याग, बलिदान व परिश्रम करते रहते हैं। इन्हें बहुत कठिनाईयाँ उठानी पड़ती हैं और काफी संघर्ष जीवन में करना पड़ता है।
शनि के प्रभाव से ये जातक अपने जीवन में धीरे-धीरे उन्नति प्राप्त करते हैं। व्यवधानों, कठिनाईयों से जूझते हुए सफलता प्राप्त करना इनकी प्रकृति में रहता है। असफलताओं से ये घबड़ाते नहीं, कभी कभी निराशा के भाव अवश्य आ जाया करते हैं। आलस्य इनका सबसे बड़ा शत्रु रहता है और यही आलस्य इनकी असफलता का कारण बनता है। अतः ये जातक किसी भी कार्य को कल पर न टालें। जीवन में शनि ग्रह के प्रभाववश ये काफी महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, जिससे इनको नाम, यश, कीर्ति, प्राप्त होती है। इनकी कार्यशैली को हर कोई समझ नहीं पाता, इससे इनके विरोधी भी उत्पन्न हो जाते हैं।
इनके अन्दर दिखावे की प्रवृत्ति कम रहती है। इस कारण इनको कुछ लोग रूखा, शुष्क और कठोर हृदय समझते हैं। जबकि अन्दर से ये काफी भावुक एवं दयालु हृदय के होते हैं। ऐसे जातक अधिकांश समय में अपने काम से ही मतलब रखते हैं एवं इनकी कोशिश रहती है कि काम में ही लगे रहें। लेकिन इनके इस व्यवहार के कारण इनके आलोचक भी अधिक हो जाते हैं।
इनके अन्दर त्याग की भावना अधिक रहती है एवं श्रम में कभी पीछे नहीं हटते। किसी भी कार्य में कितना भी श्रम, त्याग या बलिदान लगे ये पीछे नहीं हटते। इसी कारण रूकावटों को पार करते हुये ये अपनी मंजिल अवश्य प्राप्त करते हैं। शनि प्रभावी व्यक्ति संघर्ष शील एवं परिश्रमी होते हैं एवं विघ्नों को पार करते हुए उन्नति करने के कारण इनको सफलता देर से लेकिन स्थायी प्राप्त होती है।
8 के अंक की प्रकृति के अन्तर्गत उत्थान, रद्दोबदल, अव्यवस्था, स्वेच्छाचार और सभी प्रकार की सनक आदि गुण मिलते हैं। इनका दूसरा पक्ष दार्शनिक विचार रहस्यमय ज्ञान के प्रति रुचि, धार्मिक निष्ठा, उद्देश्य की प्राप्ति, हाथ में लिए काम के प्रति व्यग्रता तथा सभी कार्यों में भाग्यवादी दृष्टिकोण रहता है। इस अंक के अन्तर्गत जन्मे सभी व्यक्ति प्रायः यह सोचते हैं कि वे अन्य सभी व्यक्तियों से अलग हैं। हृदय में वे अकेलापन अनुभव करते हैं और जो भी भलाई करते हैं उसका परिणाम उन्हें अपने जीवन काल में प्राप्त नहीं हो पाता। मृत्यु के पश्चात् इन व्यक्तियों की स्तुति होती है, इनके कार्यो की प्रशंसा होती है और इनकी याद में पुप्पांजलि चढ़ाई जाती है।
जो व्यक्ति इस अंक के कमजोर या निम्न क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं उनका मानवीयता से संघर्ष रहता है और इनका अन्त दुःखद होता है।
प्राचीन काल से ही इस 8 के अंक को रहस्यवादी विज्ञान में मानवीय न्याय का प्रतीक माना गया है, इस अंक के व्यक्ति दिखावे से रहित एवं शांत तथा उदार हृदय के होते हैं। ये अपनी भावनाओं को छुपाए रखते है
शनिवार का दिन इनका शुभ दिन है। रविवार व सोमवार भी अच्छे हैं। नये काम के लिये, शुभ व महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इन लोगों को यही दिन व 8. 17 व 26 में से कोई तारीख चुनना ठीक रहेगा। अगर 21 दिसम्बर से 19 फरवरी का काल हो तो और भी अच्छा है। गहरा भूरा, काला, गहरा नीला, ककरोजी आदि गहरे रंग अनुकूल रहते हैं। हल्के रंग ठीक नहीं रहते हैं। 4 मूल अंक वालों से मित्रता हो सकती है, जिनका जन्म 4, 13 व 22 तारीखों में से किसी तारीख को हुआ हो या 8, 17, 26 तारीखों का हो उससे मित्रता होती है
मूलांक 8 वाले व्यक्तियों की अंक 1 एवं अंक 4 से मित्रता रहती है। अतः इनके जीवन में 1, 4, 8, के अंक विशेष घटनाक्रम वाले होते हैं। अंक 2, 5, 7, 9, सम रहते हैं तथा 3 एवं 6 के अंक शत्रु है मूल्यांक 8 कालों की शनिवार के दिन शनि जी की उपासना मंदिर में जा कर करनी चाहिए। जब तक कार्य सम्पन्न न हो किसी से नही कहना चाहिए।
मूलांक 9 (मंगल)
मूल अंक 9 का स्वामी मंगल है। 9, 18, व 27 तारीखों में पैदा हुए व्यक्तियों का मूल अंक 9 होता है। 21 मार्च से 27 अप्रैत तक तथा 21 अक्टूबर से 27 नवम्बर तक सूर्य मेष व वृश्चिक सायन राशियों में रहता है जो मंगल की राशियाँ हैं। इस कारण इन सायन मासों में पैदा हुए व्यक्तियों पर भी मंगल का विशेष प्रभाव रहता है। इन मासों में मूल अंक 9 की तारीखें भी हों तो और भी अधिक मंगल का प्रभाव रहता है।
ये व्यक्ति बहुत साहसी होते हैं और कठिनाईयों से नहीं घबराते। स्वभाव में तेजी, फुर्ती व जल्दवाजी होती है। काम को जल्दी जल्दी समाप्त करने की इच्छा रहती है। जीवन काफी संघर्षमय रहता है और अक्सर इनके काफी शत्रु बन जाते हैं। ये लोग पुलिस, फौज, फायर बिग्रड साहस के कामों में यहाँ तक कि दुःसाहस के कामों में काफी सफल होते हैं। परन्तु इनको दुःसाहस करना नहीं चाहिए। सरकस के काम, मौत का गोला, मोटर साइकिल के खेल, कार रेस आदि से बचना चाहिए। शासन व प्रबन्ध व्यवस्था, अनुशासन कायम रखने के कामों में सफल रहते हैं। घर व बाहर इन व्यक्तियों को झगड़े से बचना चाहिए। क्योंकि इन्हें क्रोध जरा जल्दी आता है। अपनी आलोचना भी वर्दाश्त नहीं होती। कोई स्त्री प्रेम का अभिनय करके इन्हे आसानी से मूर्ख बना सकती है और चापलूसी व खुशामदी लोगों से भी यह प्रभावित हो जाते हैं। यह लोग अगर अपने क्रोधी स्वभाव पर कुछ सयंम कर सकें तो काफी सफल व भाग्यशाली हो सकते हैं। 9 के स्वामी मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है। जातक के अन्दर भी सेनापति, नायक, मुखिया इत्यादि बनने की चाह सामाजिक क्षेत्रों में बनी रहती है। रोजगार व्यवसाय में एकाधिकार की प्रवृत्ति आपमें पाई जायेगी। इनके अन्दर साहस अधिक होने से ये अपने कार्यों को अदम्य साहस से करते हुये कठिनाईयों को आसानी से पार कर लेते हैं। स्वभाव में इनके तेजी रहती है। फुर्ती एवं जल्दबाजी होती है। इनकी सदैव यही कोशिश रहती है कि ये जो भी कार्य हाथ में लें वह शीघ्घ्र समाप्त हो जाये।
9 अंक की 3, 6 मूल अंक के साथ मित्रता है। जो व्यक्ति 9, 18, 27 तथा 3, 12, 30, और 6, 15, 24 त