जयपुर। राजस्थान के श्रमजीवी पत्रकारों को प्रदेश के सभी जिलों में रियायती दर पर भूखण्ड मिलने की आस बंधी है। रियायती दर पर भूखण्ड आवंटन के लिए पात्रता संबंधी सुझाव मांगे गए हैं। जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव संजय सैनी, सचिन मुकेश शर्मा, पिंकसिटी प्रेस क्लब के महासचिव रामेन्द्र सोलंकी समेत अन्य वरिष्ठ पत्रकार राज्यस्तरीय पत्रकार आवास समिति के अध्यक्ष एवं प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास व आवासान विभाग कुंजीलाल मीणा से मिले और उन्हें पत्रकार आवास योजना के संबंध में पात्रता संंबंधी सुझाव दिए गए। साथ ही जयपुर की नायला योजना समेत अन्य जिलों में लंबित पत्रकार आवासीय योजना के चयनित आवंटियों की सूची को यथावत रखते हुए वंचित पत्रकारों से आवेदन लेकर भूखण्ड देने की मांग रखी। इस मौके पर पत्रकार आवास योजना के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश और हाईकोर्ट में लंबित याचिका के बारे में कुंजीलाल मीणा से लम्बी चर्चा हुई। कुंजीलाल मीणा ने चयनित सूची को यथावत रखने और आवेदन से वंचित पत्रकारों से आवेदन लेकर शीघ्र ही भूखण्ड आवंटन प्रक्रिया शुरु करने का आश्वासन दिया। राजस्थान पत्रकार आवास समिति के सदस्य सचिव व निदेशक पुरुषोत्तम शर्मा को पात्रता संबंधी सुझाव प्रेषित किए गए। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने हाल ही राज्यस्तरीय पत्रकार आवास समिति समेत अन्य कमेटियों का गठन किया है। करीब एक पखवाड़े पहले पत्रकार आवास समिति की बैठक में प्रदेश में पत्रकार आवास योजना के लिए पात्रता संबंधी नियम तय करने पर चर्चा हुई और इस संबंध में सुझाव मांगे।
विवादित बिन्दुओं को हटाया जाए
कुंजीलाल मीणा से पत्रकार आवास योजना से जुड़े नियमों व बुकलेट से उन विवादित बिन्दुओं को हटाने की मांग रखी, जिनकी वजह से बेवजह कानूनी पेचीदिगियां उत्पन्न हो रही है। उन्हें बताया कि आवेदन बुकलेट में दर्शाए गए नियमों में दो-तीन विवादित बिन्दुओं को हटाए जाने की आवश्यकता है। इन विवादित बिन्दुओं की वजह से नायला पत्रकार योजना कानूनी पेचीदिगियों में अटकी। सबसे विवादित बिन्दु सफल आवेदकों को लॉटरी की तिथि से तीस दिवस के भीतर शपथ पत्र (निर्धारित प्रपत्र में) तथा अधिस्वीकृत पत्रकार से संबंधित प्रमाण पत्र (निर्धारित प्रपत्र में) में प्रस्तुत करने के बारे में लिखा है, जबकि राज्य सरकार के तय नियमों में इनका हवाला तक नहीं है। अधिस्वीकरण नियमों की जटिलता के चलते बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकारों का भी अधिस्वीकरण हो नहीं पाता है। पचास हजार की आबादी में भूखण्ड या पट्टा नहीं होने का शपथ पत्र देने का नियम भी उचित व तर्कसंगत नहीं है। बहुत से पत्रकारों के पास पुश्तैनी मकान, भूखण्ड व जमीन जायदाद है। यह उन्हें पैतृक सम्पत्ति के तौर या माता-पिता की वसीयत के आधार पर मिले हैं। लम्बे समय से पत्रकार योजना नहीं आने के कारण कई पत्रकारों ने अपने स्वयं के खर्चों पर मकान ले लिए हैं। ऐसे में पचास हजार की आबादी में अपूर्ण, पूर्ण, लीज होल्ड अथवा फ्री होल्ड आवासीय भूखण्ड नहीं है, कि घोषणा करवाना उचित प्रतीत नहीं होती है। ऐसे विवादित बिन्दुओं की सूची देते हुए इन्हें हटाने की मांग की गई।
पात्रता के ये दिए सुझाव
जार पदाधिकारियों ने कुंजीलाल मीणा को पत्रकार आवास योजना में पात्रता संबंधी कई सुझाव दिए हैं। जिनमें प्रमुख निम्न प्रकार से हैं।
- उन श्रमजीवी पत्रकारों को आवेदन का पात्र माना जाए, जो पांच साल से सक्रिय श्रमजीवी पत्रकार के तौर पर राजस्थान में कार्यरत हो। श्रमजीवी पत्रकार की न्यूनतम वार्षिक आय 80 हजार से अधिक हो।
- स्वयं के द्वारा दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक व मासिक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करके पत्रकारों को उनके द्वारा दिए जाने वाले प्रमाण पत्र, डीआईपीआर की नियमित हाजिरी दस्तावेज, समाचार पत्रों व पत्र-पत्रिकाओं की ऑडिट रिपोर्ट एवं आईटीआर रिपोर्ट को आधार मानते हुए इन्हें पात्र माना जाए। अगर कोई ऑडिट रिपोर्ट या आईटीआई नहीं भरता है तो उक्त समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के लिए फार्म 16 और आय विवरण का शपथ पत्र लेकर पात्र माना जाए।
- प्रिंट और टीवी चैनल में लम्बे समय तक पत्रकारिता करने वाले बहुत से श्रमजीवी पत्रकार काफी सालों से डिजिटल मीडिया में है। वे वेबपोर्टल व न्यूज वेबसाइट का संचालन करके सक्रिय पत्रकारिता का दायित्व निभा रहे हैं। ऐसे पत्रकारों को पुराने पत्रकारिता अनुभव, नियुक्ति आदेश और वर्तमान में डिजिटल मीडिया संस्थानों के नियुक्ति आदेश, बायलाइन स्टोरीज को आधार मानते हुए इन्हें पात्र माना जाए। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को पात्रता संबंधी नियमों में शामिल किया जाए।
- प्रदेश की पत्रकार आवास योजना में दूरदर्शन, आकाशवाणी में लम्बे समय से कार्यरत संवाददाताओं, स्ट्रिंगर, फोटोग्राफर और वीडियो फोटोग्राफर को उनके पत्रकारिता अनुभव, नियुक्ति आदेश, पीएफ व सैलेरी स्टेटमेंट को आधार मानते हुए पत्रकार आवास योजना में शामिल किया जाए।
- पत्रकार आवास योजना नायला जयपुर एवं प्रदेश के अन्य जिलों की पत्रकार योजनाओं में चयनित किसी पत्रकार का आकस्मिक निधन हो गया है तो उनके आश्रित परिजनों को भूखण्ड दिए जाने के प्रावधान किए जाए ताकि दिवगंत पत्रकार के आश्रित परिजनों को राहत मिल सके।
- वे स्वतंत्र पत्रकार, फोटो जर्नलिस्ट्स, जिनकी आजीविका पूर्णतया पत्रकारिता पर निर्भर है, उनकी बायलाइन स्टोरी के आधार पर पात्र माना जाए।
- सबसे महत्वपूर्ण जयपुर की पिंकसिटी प्रेस एन्क्लेव योजना नायला में चयनित 574 पत्रकारों की सूची को यथावत रखा जाए और इसके साथ वंचित पत्रकारों से आवेदन लेकर योजना को मूर्तरुप दिया जाए। क्योंकि राज्य सरकार की ओर से गठित पत्रकार आवास आवंटन समिति ने ही 574 पत्रकारों का चयन करके सूची जारी की गई थी। सुझाव है कि उक्त 574 पत्रकारों की चयनित सूची को वर्तमान पत्रकार आवास समिति के समक्ष रखकर इसकी समीक्षा करवा ली जाए। जयपुर की तरह प्रदेश के अन्य जिलों में पत्रकारों की चयनित सूची को यथावत रखते हुए शेष पत्रकारों के लिए आवेदन लेकर उन्हें भूखण्ड आवंटन का लाभ दिया जाए।
-जेडीए, नगर निगम के अलावा नगर परिषद, नगर पालिका, उपखण्ड स्तर पर सैकड़ों पत्रकार कार्यरत है। इन सभी पत्रकारों के लिए उपखण्ड स्तर तक कार्यरत पत्रकारों को भूखण्ड देने के लिए पत्रकार आवास योजना लाई जाए। नगर पालिका, उपखण्ड स्तर, तहसील स्तर पर भूखण्ड देने के लिए अलग से प्रावधान रखे जाए। क्योंकि नगर पालिका, उपखण्ड व तहसील स्तर पर कार्यरत अधिकांश पत्रकारों को समाचार पत्र संस्थान, न्यूज चैनल संस्थान खबरों के आधार पर वेतनमान देते हैं। इनकी नियुक्ति स्थायी वेतनमान पर नहीं होती है, लेकिन नगर पालिका, तहसील व उपखण्ड स्तर पर ये पत्रकार कई सालों से पत्रकारिता कार्य कर रहे हैं। बहुत कम ही मीडिया संस्थान नियुक्ति पत्र जारी करते हैं और उन्हें परिचय पत्र जारी करते हैं। कॉलम के हिसाब से मेहनतनामा मिलता है। कुछेक को फिक्स वेतन भी मिलता है। हमारा सुझाव है कि मीडिया संस्थानों द्वारा दिए गए नियुक्ति पत्र व परिचय पत्र तथा उक्त दोनों नहीं होने पर पत्र-पत्रिकारों व न्यूज चैनलों में प्रकाशित पत्रकारों की बाईलाइन, स्टोरी, फिक्स या कॉलम के आधार पर दिए गए वेतनमान के साक्ष्यों को आधार मानते हुए भूखण्ड आवंटन के प्रावधान तय किए जाए। नियमों के सरलीकरण करने से माननीय मुख्यमंत्री की भावना के अनुरुप नगर पालिका, उपखण्ड व तहसील स्तर पर कार्यरत पत्रकारों को भूखण्ड मिल सकेंगे। इसलिए सुझाव है कि नियमों में सरलीकरण करते हुए उनकी बायलाइनों, समाचार पत्रों व न्यूज चैनल के नियुक्ति आदेश, परिचय पत्र को आधार मानते हुए ही नियम तय किए जाए। स्थानीय स्तर पर अधिकारियों व पत्रकारों की कमेटी बनाई जाए।
- जयपुर समेत अन्य किसी भी जिले में पत्रकार योजना शहरी आबादी के नजदीक ही लाई जाए। क्योंकि पत्रकार सुबह से देर रात तक कार्य करता है। ऐसे में हमारा सुझाव है कि पत्रकार आवास योजना आबादी क्षेत्र के पास ही लाई जाए। ताकि योजना लॉंच होते ही वहां वे मकान बनाकर रह भी सके।