राजस्थान में वीडियो कोच बसों को पंजीकृत करने का प्रावधान नहीं, स्लीपर कोच बसों की अनुमति शून्य : RTO उदयपुर !
अक्सर हमें एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिये बस की यात्रा करनी पड़ती है। अलग अलग ट्रावेल्स एजेंसियों द्वारा साधारण बसों से लेकर AC वॉल्वो चलाई जाती है।
पहले जो बसे चलती थी, उनमें केवल बैठने की ही व्यवस्था होती थी। उसके बाद समय समय पर मोडिफिकेशन होते रहे और मोटर बॉडी बनाने वालों ने कई प्रकार के डिजाइन बनाए।जिनमे कैप्सूल कोच, वीडियो कोच और वर्तमान में स्लीपर कोच प्रचलित हुए।
आमतौर पर वीडियो कोच बसें उन्हें कहा जाता है जिनमे TV लगा होता है और उनमें फिल्में दिखाई जाती रही है।
अब जो बसे चलाई जा रही है,उनमें अधिकांश 2 लेयर वाली स्लीपर कोच प्रचलित है,जिनमे वॉल्वो के अलावा अन्य बसों में लगें पर्दे , सोने बैठने की जगह होती है। साथ ही इन बसों में बैठने की जो थोडी बहुत जगह पीछे की और रखी जाती है वो भी बहुत ही कम रखी जाती है। हद तो तब हो जाती है जब इनमें यात्रियों को ठूस ठूस कर भर दिया जाता है। जिसकी वजह से अंदर सांस लेना भी मुश्किल सा हो जाता है।
बस की छतों पर पार्सल और अन्य ट्रांसपोर्ट में जाने वाला सामान अलग चढ़ा दिया जाता है। कुल मिलाकर बस को इतने सामानों और इंसानों के बोझ से लाद दिया जाता है कि लगता है कि बस कही दुर्घटना ग्रस्त न हो जाए। इन सामानों में कई बार बिना बिल का माल भी परिवहन होता है।
बसों में यात्रा करने वालो के मन में अक्सर कई सवाल उठते है कि बसों में यात्रियों के सफर के लिये क्या कानून और मानक निर्धारित है? बसों में यात्रियों को ठूस ठूस कर भरने , स्लीपर कोच चलाने और ट्रावेल्स एजेंसियों द्वारा बसों के जरिये पार्सल और कोरियर सेवाओ के लिये RTO ने कोई अनुमति दे रखी है या नही ? अगर कुछ भी गलत है तो RTO कोई कार्यवाही क्यों नही करता ?
इन्ही सवालों को जानने के लिये जब RTI के जरिये RTO से सूचना मांगी गई तो चोंकाने वाले जवाब मिले
RTI के अंतर्गत माँगी गई सूचना
(1) शहर में मोडिफिकेशन की गई वीडियो कोच बसों की सत्यापित सूचना मय रजिस्ट्रेशन नम्बर प्रदान की जाए
(2) शहर की उन वीडियो कोच बसों की सत्यापित सूचना प्रदान की जाए जिनमें स्लीपर बर्थ अनुमत किये गए है, समस्त सूचना मय रजिस्ट्रेशन नम्बर व जारी की गई परमिट के साथ प्रदान की जाए
(3) शहर की उन ट्रावेल्स एजेंसियों के नाम व पते की सूचना प्रदान की जाए जो पोस्टल व पार्सल सेवाएं प्रदान कर रही है उनकी सम्पूर्ण सूचना लोक सूचना अधिकारी के नाम व पते के साथ प्रदान की जाए
RTO के जवाब
मोटर वाहन कानून 1989 में वीडियो कोच बसों को पंजीकृत करने का प्रावधान नही है
शहर की वीडियो कोच बसों में स्लीपर कोच अनुमत करने की सूचना शून्य है।
पोस्टल और पार्सल सुविधा उपलब्ध कराने वाली शहर की कोई भी ट्रावेल्स एजेंसी पंजीकृत नही है।
RTO के जवाब से यही पता लगता है कि स्लीपर बसों और विडियो कोच बसों को RTO द्वारा पंजीकृत नही किया जाता और न ही इनकी कोई जानकारी विभाग के पास होने के कारण RTO की कोई जिम्मेदारी बनती है इन पर कार्यवाही की। सीधा तात्पर्य यही है कि बस संचालकों को खुली छूट है मनमानी की । दुर्घटनाओं के होने पर भी यात्रियों की जान माल भगवान भरोसे ही है।