जयपुर, 16 फरवरी। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के चार दिवसीय परंपरागत मरु महोत्सव का चौथा दिन बुधवार शहर से बाहर अवस्थित पर्यटन क्षेत्रों और गतिविधियों पर केन्दि्रत रहा। इस दौरान मरु महोत्सव के उल्लासपूर्ण रोमांचक एवं मनोरंजनकारी आयोजनों ने लाणेला, कुलधरा, खाभा एवं सम में महोत्सवी सुगंध से परिवेश को महकाया।
सम में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को इन जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। संचालन रंगकर्मी विजय बल्लाणी ने किया। विभिन्न प्रतियोगिताओं के समापन अवसर पर सम में गाजी खां बरना एवं अन्य लोक कलाकारों के समूहों की ओर से स्वागत गीत एवं अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने आनन्द का ज्वार उमड़ा दिया।
सम में ऊँट रेस हुई जिसमेंं 30 ऊँटों ने हिस्सा लिया। तीन राउण्ड में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आए ऊँटों की फाईनल स्पर्धा में नौ ऊँटों में से सायबदीन (सगरों की बस्ती) विजेता तथा हाकू खां(गूंगे की बस्ती) उप विजेता रहे। जबकि अदरीम खां(लूणों की बस्ती) का ऊँट तीसरे स्थान पर रहा।
सम में हुई रस्साकशी प्रतियोगिता में स्थानीयों ने बाहर से आए सैलानियों की टीम को लगातार दो बार परास्त कर विजेता का खिताब जीता।
मरु महोत्सव के अन्तर्गत ऎतिहासिक कुलधरा एवं खाभा फोर्ट को देखने सैलानियों का तांता बंधा रहा। इन सैलानियों ने खाभा फोर्ट व आस-पास के खण्डहरों को देखा, इनके बारे में जानकारी पायी और भ्रमण का आनंद पाया।
कुलधरा में दिन भर रौनक बनी रही। सैलानियों ने कुलधरा के विभिन्न भवनों व खण्डहरों को देखा तथा इनके इतिहास के बारे में जानकारी पायी। इन सैलानियों ने लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया और पर्यटकों के लिए स्थापित भोजनालय ‘जीमण’ में लजीज व्यंजनों के साथ राजस्थानी भोजन का आनंद लिया। इस दौरान सैलानियों को बाजरे की रोटी, सोगरा, चूरमा, कढ़ी, कैर-सांगरी की सब्जी , चटनी आदि का स्वाद पाकर मेहमान अभिभूत हो उठे। जीमण में मात्र 100 रुपए की दर पर यह राजस्थानी भोजन उपलब्ध कराया गया।
कुलधरा में कई महिलाओं द्वारा चरखा संचालन ने पर्यटकों में खासी जिज्ञासा जगायी। पर्यटकों ने अपने हाथों चरखा चलाते हुए फोटो भी खिंचवाए। खुईयाला के हस्तशिल्पी प्रभुराम अपनी मशीन के साथ आए और पट्टू बनाने का व्यवहारिक प्रदर्शन किया। कुलधरा में मध्य चौक पर विशाल रंगोली आकर्षण जगाती रही। जैसलमेर विकास समिति के सचिव चन्द्रप्रकाश व्यास एवं खादी-ग्रामोद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने सूत कातने तथा चरखा चलाने की प्रक्रियाओं के बारे में पर्यटकों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। व्यास ने पर्यटकों को कुलधरा के बारे में जानकारी दी।
मरु महोत्सव के अन्तर्गत इस बार दो महत्वपूर्ण आयोजन इण्डिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में स्थान पाने के लिए हुए। इनमें ‘रेगिस्तान के जहाज पर सुरों के सरताज’ के अन्तर्गत ऊँटों पर बैठे 50 लोक कलाकारों विभिन्न लोकवाद्यों की सुरीली धुनों एवं गायन की धूम मचायी। श्रृंगारित ऊँटों पर स्वर लहरियों का कमाल दिखाते हुए ऊँटों के इस काफिले ने मैदान के चक्कर लगाकर पूरे माहौल को लोक लहरियों से सराबोर कर दिया। इसमें नवोदित से लेकर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने सहभागिता निभायी।
इण्डिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में इसी तरह का दूसरा रिकार्ड बनाने के लिए एक ही समय में 75 ऊँटों की रेस हुई। यह अपने आप में पहला मौका है जब इतने सारे ऊँटों की एक साथ दौड़ हुई।