विधानसभा चुनावों खत्म हो स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी भाजपा चार दिनों तक अपना मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं कर पाई है। वही भाजपा आल्हा का मन के लिए राजस्थान में भाजपा का मुख्यमंत्री चुना गले में हड्डी बने जैसा साबित होता चला जा रहा है। इसी बीच राजस्थान में भाजपा की मुश्किलें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बढ़ा दी हैं। भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह जहां वसुंधरा खेमे के विधायकों को समझाने में जुटे हैं, वहीं वसुंधरा बुधवार देर रात दिल्ली पहुंच गई। दिल्ली वो अपनी बहू को देखने आई हैं। राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों में कुछ ने बुधवार को वसुंधरा से मुलाकात की थी। फिर उनसे अरुण सिंह भी मिले, लेकिन बात नहीं बनी। अब यह साफ हो गया है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा को सीएम नहीं बनाना चाहता लेकिन भाजपा अभी तक विधायक दल की बैठक भी नहीं बुला सकी है।
पार्टी की गुरुवार को दिल्ली में एक अहम बैठक है, जिसमें नामों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। खबरों के मुताबिक, पार्टी नए मुख्यमंत्री चेहरे चुनना चाहती है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और सीएम पद की प्रबल दावेदारों में से एक वसुंधरा राजे बुधवार रात दिल्ली पहुंचीं, लेकिन बैठक या सीएम चयन पर किसी भी सवाल को टाल गईं। एयरपोर्ट के बाहर वसुंधरा राजे ने कहा, ''मैं अपनी बहू से मिलने दिल्ली आई हूं।''
बुधवार को इस्तीफा देने वालों सांसदों में राजस्थान से राज्यवर्धन राठौड़, किरोड़ी लाल मीणा और दीया कुमारी शामिल थे। लेकिन योगी बालकनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया। इसका आशय यह है कि राज्यवर्धन, किरोडी लाल मीणा और दीया कुमार राजस्थान में ही रुकेंगे। इनमें से कोई एक सीएम का चेहरा हो सकता है। हालांकि तिजारा से चुने गए बालकनाथ को लेकर कुछ ज्यादा ही अटकलें थीं, लेकिन बुधवार को उनका अपने आप खंडन हो गया।
इन सब घटनाक्रमों के बीच भाजपा आलाकमान अपनी रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। समझा जाता है कि भाजपा गुरुवार को राजस्थान में किसी केंद्रीय नेता को भेजकर विधायक दल की बैठक कराएगी और राज्यवर्धन राठौड़, दीया कुमारी या फिर किरोड़ी लाल मीणा में से किसी को सीएम और डिप्टी सीएम की घोषणा कर देगी।